जब बच्चा पैदा होता है तभी से माता-पिता को उसकी तालीम की चिंता सताने लगती है। उसके ख्वाबों को पंख देने के लिए पेरेंट्स अपने बच्चों को अच्छे से अच्छे स्कूल में पढ़ाना चाहते हैं जहां बच्चों को सभी सुविधाएं मिल सकें और वे स्कूल जाने के लिए आतुर रहें।
अमूमन देखने में आता है कि बच्चा जब पहली बार स्कूल जाता है तो वो अपने क्लासरूम को रंग-बिरंगे रंगे हुए देखकर काफी खुश होता है। किसी दीवार पर हाथी का बच्चा अटखेलियां करता हुआ पोस्टर देखता है तो कहीं मछलियां पानी में तैरती हुई दिखाई देती हैं। इन्हें देखकर बच्चे काफी आकर्षित होते हैं क्योंकि उन्हें इस तरह से एक नई दुनिया में आने का मौका मिलता है। कुछ ऐसी ही दुनिया बिहार के समस्तीपुर में बच्चों के लिए तैयार की गई है।
बच्चों के विकास में मददगार
इसमें बच्चे सुबह उठकर स्कूल के लिए तैयार होकर अपना बस्ता उठाते हुए सीधे रेलगाड़ी के डिब्बे में जाकर बैठेंगे और अपनी पढ़ाई करेंगे। आपको बता दें कि यह डिब्बे उनके लिए बेहद खास हैं और यही वो जगह है जहां बच्चे अपने सपनों को नया आसमान देंगे। अब आप सोच रहे होंगे कि भला रेलगाड़ी के डिब्बों में बैठकर बच्चे कैसे पढ़ाई कर सकते हैं तो आपकी इस शंका को हम दूर कर दें कि ये डिब्बे बच्चों को कहीं लेकर नहीं जाते हैं बल्कि यह उनका स्कूल है जिसे रेलगाड़ी के डिब्बों का रूप दिया गया है। दरअसल स्कूल प्रशासन ने बच्चों को पढ़ाई की ओर आकर्षित करने के लिए पूरे स्कूल को रेलगाड़ी के डिब्बों की तरह रंगवा दिया है ताकि बच्चों को यहां आने पर यही लगे कि वे कहीं जा रहे हैं। प्रशासन का मानना है कि इससे बच्चों के विकास के साथ-साथ ध्यान केंद्रित करने में सहायता मिलती है।
स्कूल बना आकर्षण का केंद्र
समस्तीपुर के नंदिनी स्थित आदर्श मध्य विद्यालय में प्रशासन ने बच्चों को स्कूल तक बुलाने के लिए यह खास तरीका अपनाया है और इस अनोखे तरीके से स्कूल को पेंट करवाया गया है। पहले से इस स्कूल में पढ़ रहे स्टूडेंट्स अपने स्कूल के नए कलेवर को देखकर काफी खुश हैं।
इन दिनों बच्चों के लिए ही नहीं बल्कि आसपास के लोगों के लिए भी यह स्कूल आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। स्कूल बिल्डिंग पर भी चाइल्ड फ्रेंडली कंपार्टमेंट लिखा गया है। सबको अपनी तरह का यह अनूठा प्रयोग पसंद आ रहा है।
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