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जानिए खेती में जूतों की भूमिका के बारे में...

साहब मै एक किसान हूं और अक्सर मै साधारण जूते पहनकर ही खेतों में काम करने निकल जाता हूं, जिससे मेरे जूते गीले हो जातें है. गीले होने के बाद मै इन्हें पहनकर ज्यादा देर काम नही कर पाता और थकान भी महसूस होने लगती है. क्या आप बता सकतें है कि मै खेती करते समय कौन सा जूता पहनूं जो ज्यादा मंहगे भी ना हो और किफायती हो..?

साहब मै एक किसान हूं और अक्सर मै साधारण जूते पहनकर ही खेतों में काम करने निकल जाता हूं, जिससे मेरे जूते गीले हो जातें है. गीले होने के बाद मै इन्हें पहनकर ज्यादा देर काम नही कर पाता और थकान भी महसूस होने लगती है. क्या आप बता सकतें है कि मै खेती करते समय कौन सा जूता पहनूं जो ज्यादा मंहगे भी ना हो और किफायती हो..?

यह सवाल किसी एक किसान ने किया था, लेकिन यह केवल एक किसान की समस्या नहीं है. इस सवाल के जवाब में किसी ने कहा कि किसान नंगे पैर ही खेतों में काम करें, तो बेहतर है, क्योंकि हमारे पैर बहुत सैंसटिव व कोमल होते हैं. जैसे जैसे हम नंगे पैर काम करेंगे, तो हमें इस की आदत हो जाएगी.  हालांकि यह कोई जवाब नहीं हुआ, क्योंकि खेतों में कीड़े मकोड़े से ले कर ईंट पत्थर व कभी कभार लोहे व फसल के पेड़ों के ठूंठ चुभने का डर रहता है. ज्वार बाजरा, अरहर, कपास की फसल कटने के बाद उन की जड़ें खेत में ही रह जाती हैं, जिन से पैरों का बचाव करना बहुत जरूरी है. बरसात के मौसम में कीड़े मकोड़ों का खतरा अलग रहता है.

किसी दूसरे सज्जन ने सलाह दी कि आप इंडस्ट्रियल हाफ बूट या स्ट्रैन प्रूफ, वाटरपू्रफ जूते पहनें. कुछ अच्छे नामी जूते बाहर के देशों से भी मंगाए जाते हैं. उन में कैट (कैटरपिलर) जैसे ब्रांड हैं. आप इंटरनेट वगैरह से इन की जानकारी ले सकते हैं. कैटरपिलर कंपनी के जूतों की कीमत 2500 रुपए से शुरू होती है, जो 10-12 हजार रुपए तक के भी आते हैं.  अन्य किसी ने बताया कि विदेश में तो किसान वैलिंगटन बूट इस्तेमाल करते हैं, क्योंकि यह हार्ड प्लास्टिक के बने होते हैं व काफी मजबूत होते हैं. अब ये भारत में मिलते हैं, लेकिन ये महंगे जरूर होते हैं. बेंगलुरु के किसान ने बताया, ‘‘मैं तो खेत में काम करते समय गमबूट इस्तेमाल करता हूं, जो आमतौर पर आसानी से मिल जाते हैं. किफायती भी हैं. इन्हें आप 500-550 रुपए तक में खरीद सकते हैं.’’ 

इसी सिलसिले में हम ने हिल्सन फुटवेयर कंपनी से गमबूट के बारे में अधिक जानकारी लेने की कोशिश की जिस का इंडस्ट्रियल व फार्मिंग जूते बनाने वाली कंपनियों में खास नाम है. इन के जूते सस्ते व किफायती हैं. साथ ही आम किसान की पहुंच में हैं. यह जू्ता बनाने वाली हिल्सन फुटवेयर प्राइवेट कंपनी टीकरी बार्डर, बहादुरगढ़, हरियाणा में स्थित है. वहां पर सेल्स सेक्शन से जुड़े फिरदौस आलम से हमारी बात हुई, जिन्होंने हमें बताया कि उन की कंपनी अच्छी क्वालिटी के कम दामों में सेफ्टी बूट और गमबूट बनाती है, जो इंडस्ट्रियल व फार्मिंग के काम में इस्तेमाल होते हैं.

जूतों की विस्तृत जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें...

किसानों के लिए खासकर गमबूट बहुत उपयोगी हैं, जो 9 इंच से ले कर 15 इंच की ऊंचाई वाले साइज तक बनाए जाते हैं. साधारणत 9 इंच से 15 इंच तक की ऊंचाई के जूते 100-125 रुपए से ले कर 400-500 रुपए तक में आसानी से मिल जाते हैं, जिन पर पानी व धूलमिट्टी का असर नहीं होता है.  उन्होंने आगे हमें बताया कि कंपनी द्वारा बनाए गए गमबूट कश्मीर व हिमाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी इलाकों में बहुत इस्तेमाल होते हैं, क्योंकि पथरीले व झाडि़यों आदि से ये पैरों की खास सुरक्षा करते हैं और ऐसे इलाकों में ठंड ज्यादा होती है,  उस समय भी ये जूते सुविधाजनक होते हैं, क्योंकि इन जूतों में खासकर पीवीसी (पौली विनायल क्लोराइड), सिंथैटिक व स्टील आदि का प्रयोग किया जाता है. 

मध्य प्रदेश और राजस्थान में खासकर धान की खेती में, दक्षिण भारत में कौफी और चाय के बागान में गमबूटों का काफी चलन है. हालांकि उत्तर प्रदेश और बिहार के किसान अपनी सुरक्षा के प्रति कम जागरूक हैं. उन्हें भी ये जूते इस्तेमाल करने चाहिए. इस के अलावा दूसरी कंपनियां भी फार्मिंग में काम आने वाले जूते बना रही हैं जैसे टोलेक्सो (बीटा टोलेक्सो). इस के जूते लगभग 500 रुपए से शुरू होते हैं. मंगला के नाम से फार्मिंग जूते बाजार में मौजूद हैं, जिस मे अनेक डिजाइन भी हैं. इन की कीमत भी भारतीय किसानों की पहुंच में है. 

आखिर में नतीजा यही निकलता है कि एक तरफ जहां अनेक तरह के जूते बाजार में हैं, तो आज हमारे किसान अपने पैरों की सुरक्षा को ले कर इतने लापरवाह क्यों हैं ?  उन्हें भी अपने पैरों की सुरक्षा का खास ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि पैरों में अगर कहीं चोट आदि लगी तो जूते खरीदने से ज्यादा उस के इलाज पर खर्च हो जाएगा.

 

English Summary: Learn about the role of shoes in agriculture ... Published on: 28 October 2017, 07:28 AM IST

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