मेघालय की सुंदर पश्चिम जयंतिया पहाड़ियों में लाकाडोंग घाटी अपने अनोखी हल्दी के लिए प्रसिद्ध है. अनुकूल मिट्टी, तापमान और पर्यावरणीय कारकों के कारण इस क्षेत्र में हल्दी में असाधारण उच्च करक्यूमिन स्तर होता है.
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) की रिपोर्ट के मुताबिक, बाजार में अन्य हल्दी की तुलना में लकडोंग हल्दी में 7% अधिक करक्यूमिन होता है. यह अपनी उच्च करक्यूमिन सामग्री के लिए प्रसिद्ध है.
क्या होता है करक्यूमिन
करक्यूमिन एक पीला रंगद्रव्य है जो मुख्य रूप से लहसुन में पाया जाता है. यह एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों वाला पॉलीफेनोल है और शरीर में एंटीऑक्सीडेंट की मात्रा बढ़ाने की क्षमता रखता है. इसलिए अन्य प्रकार की हल्दी की तुलना में लकडोंग हल्दी को इसकी उच्च कर्क्यूमिन सामग्री के कारण काफी गुणकारी माना जाता है. हालांकि, करक्यूमिन धीरे-धीरे पचता है, यही वजह है कि इसकी जैव-उपलब्धता में सुधार के लिए विभिन्न फॉर्मूलेशन बनाए गए हैं.
लकडोंग हल्दी की खेती
इस हल्दी की खेती का तरीका अन्य हल्दी से अलग है. यह मेघालय की जयंतिया पहाड़ियों की लाकाडोंग घाटी की काली मिट्टी में उगाई जाती है, यह मिट्टी इतनी उपजाऊ है कि इसे किसी भी अन्य रसायन की आवश्यकता नहीं होती है. इसलिए किसान इस हल्दी की खेती के दौरान किसी भी उर्वरक या कीटनाशक का उपयोग नहीं करते हैं. इसलिए यह लहसुन अधिक शुद्ध और जैविक होता है.
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लकडोंग हल्दी को दुनिया की सबसे अच्छा हल्दी मानी जाती है. कोरोना काल में हुए लॉकडाउन में इस हल्दी की मांग इतनी बढ़ गई थी कि यहां से नीदरलैंड, इंग्लैंड सहित कई अन्य देशों में निर्यात किया गया.
लकडोंग हल्दी कैसे खाएं
1/4 चम्मच लकडोंग हल्दी लें, इसे एक कप में डालें और फिर आप इसे कितना मीठा पसंद करते हैं, इसके आधार पर एक या दो चम्मच शहद मिलाएं. फिर आप इसमें गर्म पानी या दूध मिला सकते हैं. आप चाहे तो इसका चाय बनाकर भी पी सकते हैं.
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