प्राचीनकाल में प्रसिद्ध चिकित्सक महर्षि चरक ने लिखा है, “आक में ऐसी आग होती है जो व्यक्ति के रोग को जलाती नहीं बल्कि सुखा देती है.” आक किसी भी जगह आसानी से उगने वाली औषधीय गुणों से भरपूर वनस्पति है. लेकिन आक के गुणों से बहुत कम लोग परिचित हैं. जनसाधारण के लिए यह मात्र एक झाड़ीनुमा पौधा है लेकिन असल में यह किसी मल्टी विटामिन से कम नहीं है.
आम भाषा में आक को मदार, अकौआ के नाम से जाना जाता है. आक का पेड़ गर्मियों में हरा-भरा दिखाई देता है, जबकि वर्षा होते ही सूखने लगता है. आक के पत्ते,फूल और दूध का इस्तेमाल दवा के रूप में किया जाता है. अगर संक्षिप्त में कहें तो आक के पेड़ का हर अंग आपने आप में एक औषधि है.
आक के फ़ायदे
आक के कई सारे फ़ायदे हैं जो कि कुछ इस प्रकार है:
जुकाम में उपयोग
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आक के फूलों को पानी में उबालकर, पानी छानकर जरा-सी शक्कर मिलाकर पीने से सारा जुकाम निकल जाता है और तबियत ठीक हो जाती है.
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आक के पेड़ की छाल पानी में उबालकर शहद डालकर पीने से काफी लाभ होता है.
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अदरक, काली मिर्च, लौंग, आक की भस्म और तुलसी का काढ़ा बनाकर पीने से काफी लाभ होता है.
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आधा चम्मच सोंठ और थोड़ी-सी आक के पेड़ की छाल की चाय पीने से काफी लाभ होता है.
पीलिया में आक का उपयोग
आक की छोटी छोटी कोपलो को पीसकर पान के पत्तो के बीच रखकर चबाएं इस नुस्खे के दो तीन दिन प्रयोग करने से पीलिया ठीक होने लगता है.
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कब्ज में आक का उपयोग
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मूली के दो चम्मच रस में आक की छाल को जलाकर उसकी एक रत्ती भस्म मिलाकर सेवन करें.
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पानी में 2 लौंग, 2 हरड़ तथा एक रत्ती आक के फूल उबालकर छान लें. और फिर उसमें जरा-सा सेंधा नमक मिलाकर सेवन करने से कब्ज की शिकायत ठीक हो जाती है.
खांसी में उपयोग
आग के फूल का प्रयोग खांसी के लिए भी किया जता है. इसकी भस्म को शहद के साथ खाने से खांसी नहीं होती है.
आक के प्रयोग में बरतें विशेष सावधानी
आक का पौधा थोड़ा जहरीला होता है, इसके गलत सेवन से गंभीर परिणाम हो सकते हैं. आयुर्वेद संहिताओं में भी इसकी गणना आंशिक जहर में की गई है. यदि इसका सेवन अधिक मात्रा में कर लिया जाए तो,उल्टी दस्त होकर पानी की कमी से मनुष्य की मृत्यु भी हो सकती है. इसलिए आक का प्रयोग सावधानीपूर्वक करना चाहिए.
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