
साबूदाना अब केवल व्रत का भोजन नहीं रह गया है, बल्कि यह हेल्दी डाइट का अहम हिस्सा बन चुका है. इसमें भरपूर कार्बोहाइड्रेट होता है, जो शरीर को तुरंत ऊर्जा पहुंता है. खिचड़ी, खीर या पकोड़े के रूप में इसका स्वाद भी बेहतरीन होता है. लेकिन बाजार में मिलने वाला हर साबूदाना शुद्ध नहीं होता है. आज के दौर में कुछ दुकानदार इसे चमकदार बनाने और सस्ता बेचने के लिए केमिकल्स से तैयार करते हैं, जो सेहत के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं.
ऐसे में जरूरी है कि आप असली और नकली साबूदाने की पहचान/ Identification of Real and Fake Sago करना सीखें और सावधानी से खरीदारी करें.
साबूदाना क्या होता है?
साबूदाना टैपिओका (कसावा) की जड़ से बनाया जाता है. इसकी जड़ों से स्टार्च निकालकर छोटे-छोटे मोती जैसे दानों में सुखाया जाता है.
कैसे बनता है मिलावटी साबूदाना?
कुछ लोकल निर्माता इसमें सिंथेटिक स्टार्च, केमिकल्स और पॉलिशिंग एजेंट मिलाते हैं. इसमें ब्लीच, फॉस्फोरिक एसिड और सल्फ्यूरिक एसिड जैसे हानिकारक पदार्थ हो सकते हैं.
सेहत पर क्या असर डालता है मिलावटी साबूदाना?
- गैस, अपच, उल्टी-दस्त
- लिवर पर असर
- बच्चों और बुजुर्गों को फूड पॉइजनिंग का खतरा
घर पर कैसे पहचानें असली साबूदाना?
- सफेद, साफ और एक जैसे आकार के दाने हों.
- दाने सूखे हों, आपस में चिपके न हों.
- कोई अजीब गंध न आए.
- पकने पर नरम और पारदर्शी हो जाए, अंदर से कड़ा न रहे.
साबूदाना खरीदते वक्त ध्यान रखें:
- पैकेट सील हो और साफ-सुथरा दिखे.
- मैन्युफैक्चरिंग और एक्सपायरी डेट जांचें.
- FSSAI का लोगो और लाइसेंस नंबर देखें.
- जाने-माने ब्रांड का चुनाव करें.
व्रत में क्यों खाया जाता है साबूदाना?
इसमें कार्बोहाइड्रेट ज्यादा होता है जो जल्दी एनर्जी देता है और पचने में आसान होता है.
क्या बच्चों को साबूदाना देना सही है?
अगर साबूदाना शुद्ध है तो सुरक्षित है, लेकिन मिलावटी होने पर पेट खराब कर सकता है.
स्टोरेज टिप:
साबूदाना को एयरटाइट डिब्बे में, सूखी और ठंडी जगह पर रखें. बरसात में कीड़ों से बचाने के लिए नीम की पत्तियां या तेजपत्ता रखें.
सरकारी निगरानी और शिकायत
FSSAI भारत में खाद्य सुरक्षा की निगरानी करता है.
शिकायत दर्ज करने के लिए:
- वेबसाइट: www.fssai.gov.in
- मोबाइल एप: Food Safety Connect
Share your comments