Holi: रंगों का त्योहार होली इस साल कही पर 24 तो कही पर 25 मार्च को मनाया जाएगा. होली से एक दिन पहले होलिका दहन होता है और इसके दूसरे दिन रंगों के साथ होली खेली जाती है. इस दिन पूरे देश में धूमधाम और हर्षोल्लास से होली खेली जाती है. होली के दिन विभिन्न जगहों पर अलग-अलग परंपरा और प्रथाएं हैं. कहीं लट्ठमार होली मशहूर है तो,कहीं फूलों की होली खेली जाती है. कुछ जगहों पर होली पर जलसा होता है तो कुछ स्थानों पर जुलूस निकाले जाते हैं.
ऐसे में आज हम आपको कृषि जागरण के इस आर्टिकल में, होलिका दहन के बाद लोग होलिका की राख को शरीर पर क्यों लगाते हैं. ये विस्तार से बताएंगे.
होलिका दहन के भस्म के पीछे की मान्यता
हिन्दु धर्म के मान्यता के अनुसार होलिका दहन के भस्म या राखा को बहुत पवित्र माना जाता है. इसलिए होली से पहले होलिका दहन करते समय वहां जाकर पूरे परिवार के साथ परिक्रमा करना चाहिए. और होलिका के राख यानी भस्म को पूरे शरीर पर लगाना चाहिए. इसके अलावा यह राख ऊर्जा के प्रति अत्यंत ही संवेदनशील होता है. जिस वजह से कुछ लोग इस राख को घर में साल भर तक रखते भी हैं, जिसे घर में निगेटिविटी नहीं आती.
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स्वास्थ्य और वातावरण के लिए फायदेमंद
होलिका दहन में जिस प्रकार की लकड़ियों और सामानों को जलाने में प्रयोग किया जता है, उस वजह से ये राख स्वास्थ्य और वातावरण के लिए काफी ज्यादा फायदेमंद होता है. जिस वजह से इस राख को शरीर पर लगाने से दाद व खुजली की समस्या नहीं होती. वहीं धार्मिक मान्यताओं के अनुसरा होलिका दहन के भस्म में देवताओं की कृपा होती है. जिस वजह से इस भस्म को माथे पर लगाने से बुद्धि तेज होती, भाग्य अच्छा होता है और पूरे साल आप बीमारियों के चपेट में नहीं आते.
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