उत्तर प्रदेश के महोबा का पान सिर्फ देश में ही नहीं बल्कि विदेशों तक इसकी पहचान है. एक समय था कि महोबा में अधिकांश लोग पान का ही व्यवसाय करते थे. करीब 2000 से अधिक लोग पान के कारोबार से अपना जीवन-यापन करते थे. महोबा क्षेत्र में करीब 600 एकड़ में सिर्फ पान की खेती होती थी. हम आपको बता दें कि पान की खेती अन्य फसलों के मुकाबले काफी ही संवेदनशीन है. पान की खेती करने वक्त इसका विशेष ध्यान रखना पड़ता है.
महोबा के देसावर पर को देश-विदेशों तक कभी किसी समय में डिमांड थी. बीच में इसकी पहचान धीरे-धीरे खत्म होने के कगार पर था, लेकिन देसावर पान को GI टैग मिलने के बाद फिर से इसे एक नई पहचान मिली है. साथ ही महोबा के किसानों के चेहरे फिर से खिल उठे हैं. ऐसे में आइए आज जानते हैं महोबा के लोकप्रिय पान देसावर पान के बारे में-
महोबा के देसावर पान की डिमांड कई देशों में
मोहबा के देसावर पान का डिमांड सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि कई देशों में है. देसावर पान का स्वाद बाकी पान के पत्ते से काफी अलग होता है जिसे खाने की चाहत सभी रखते हैं. देसावर पान की डिमांड कनाडा, पाकिस्तान, लंदन, श्रीलंका. जापान आदि देशों से है. सभी देश के लोग काफी इस पान को पसंद करते हैं.
देसावर पान की खेती के लिए कभी सरकार करती थी मदद
1984 के आसपास 300 पान किसानों को खाद्य एवं रसद मंत्री ने प्रति माह 17-17 लीटर मिट्टी का तेल देने के लिए सरकार ने योजना बनाई थी. जिससे किसान पान के फसलों की सिंचाई कर सकें. लेकिन धीरे-धीरे 200 पान किसानों के परमिट निरस्त कर दिए गए. सिंचाई के लिए मिट्टी का तेल न मिलने से किसानों को महंगा डीजल खरीदना पड़ रहा था. पान की खेती की लागत बढ़ने और आमदनी कम होने से बड़ी संख्या में किसानों ने पान की खेती से मुंह मोड़ लिया. लेकिन देसावार पान को GI टैग मिलने के बाद किसानों के चेहरे फिर से खिल उठे हैं.
देसावर पान में है अनेकों औषधीय गुण
पान के पत्तों में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम, फॉस्फोरस, लौह, आयोडीन और पोटैशियम जैसे तत्व भी पाए जाते हैं. पान प्राचीनकाल से ही आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी के रूप में जाना जाता है. इसमें एंटीऑक्सीडेंट, एंटीडायबिटिक, एंटी इंफ्लेमेटरी, एंटी-कैंसर, एंटी-अल्सर जैसे औषधीय गुण पाए जाते हैं. जिसके चबाकर रस लेने से कई तरह की बीमारियां दूर होती हैं.
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