नीम एक औषधीय पौधा है. इसके बीज, पत्ती, तना, छाल, गोंद सभी चीजों में औषधीय गुण होता है. इसकी खेती उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में ज्यादातर की जाती है. औषधीय गुणों के साथ पाया जाता है. इतने ढेर सारे गुणों की वजह से इसे दूसरे पौधों की तुलना में एक लाभकारी पेड़ के रूप में जाना जाता है. संस्कृत में नीम को 'अरिस्टा' के नाम से जाना जाता है, जिसका अर्थ है अच्छा स्वास्थ्य देने वाला. यहां तक नीम का महत्व पर्यावरण संरक्षण, कीट नियंत्रण और चिकित्सा तक हर क्षेत्र में होता है.
नीम का उपयोग
औषधीय गुण: आयुर्वेद में नीम का एक लंबा इतिहास रहा है. इसमें एंटी-एलर्जेनिक, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटीपायरेटिक और एंटी-डायबिटिक गुण होते हैं. नीम-आधारित उपचारों का उपयोग मुंहासे, एक्जिमा और सोरायसिस जैसी त्वचा के रोग से बचाव के लिए किया जाता है. इसका उपयोग संभावित कैंसर-रोधी दवाओं की खोज भी की जा रही है.
कृषि: नीम के अर्क का उपयोग प्राकृतिक उर्वरक के रूप में किया जाता है. यह फसलों को कीटों और बीमारियों से भी बचाता है. नीम आधारित कीटनाशकों को सबसे उत्तम उर्वरक माना जाता है. यह कीटों की प्रजनन क्षमता को कम करते हैं.
जानवरों की देखभाल: कीड़ों और परजीवियों को दूर रखने के लिए नीम का तेल जानवरों पर लगाया जाता है, जिससे जानवरों के स्वास्थ्य को बढ़ावा मिलता है और रासायनिक उपचार की आवश्यकता कम हो जाती है. नीम की पत्तियों का उपयोग जानवरों के लिए स्वास्थ्य लाभ के रुप में किया जाता है. रोग ग्रसित जानवरों के चारे में मिलाकर इसका इस्तेमाल किया जाता है.
सौंदर्य प्रसाधन: नीम के अर्क का उपयोग साबुन, शैंपू, लोशन और अन्य सौंदर्य प्रसाधन उत्पाद बनाने में किया जाता है. इसमें बहुत से पोषक गुण मौजूद होते हैं, जो हमारी त्वचा के लिए अच्छा होता है. नीम के तेल का उपयोग करने से मनुष्यों को मच्छरों और अन्य काटने वाले कीड़ों से बचाता है.
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नीम एक बहुत ही गुणकारी पौधा है. इसके औषधीय गुणों के अलावा घर के सामने भी लगाया जाता है. जिससे घर के आस-पास ऑक्सीजन की मात्रा अच्छी बनी रहती है.
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