तेजपत्ते का उपयोग हमारे यहां शताब्दियों से मसालों के रूप में होता आया है, लेकिन फिर भी प्रायः इसकी खेती को अधिक फायदेमंद नहीं समझा जाता. बाजार में आज इसकी भारी मांग है और यही कारण है कि इस समय इसकी खेती सुनहरे संभावनाओं के दौर से गुजर रही है. ऐसे में अगर आप भी कम लागत में बड़ा मुनाफा कमाना चाहते हैं, तो तेजपत्ते की खेती कर सकते हैं.
सेहत के लिए औषधि है तेजपत्ता
तेजपत्ते का उपयोग आप स्वाद बढ़ाने के लिए मसालों के रूप में करते होंगें, लेकिन शायद ही आपको इस बात का पता होगा कि तेजपत्ता हमारे शरीर के लिए किसी औषधि से कम नहीं है. अनेक प्रकार की दवाईयों में इसका उपयोग होता है. चलिए आज हम आपको इसकी खेती के बारे में बताते हैं.
इन राज्यों में होती है खेती
वैसे तो तेजपत्ते की खेती लगभग पूरे भारत में होती है, लेकिन मुख्य तौर पर बिहार, केरल, कर्नाटक समेत उतरी पूर्वी भारत के पहाड़ी क्षेत्रों का इसके उत्पादन में बड़ा योगदान है.
सरकार से मिल रहा है अनुदान
इसकी खेती के लिए अगर आप सहायता चाहते हैं तो राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड से संपर्क कर सकते हैं. बोर्ड द्वारा इसमें 30 प्रतिशत का अनुदान दिया जा रहा है.
भूमि की तैयारी
तेजपत्ते की खेती वैसे हर तरह की भूमि में हो सकती है, लेकिन 6 से 8 पीएच मान वाली मिट्टी इसके लिए सबसे उपयुक्त है. इसकी खेती से पहले भूमि को तैयार करना जरूरी है. खेती से पहले मिट्टी की दो से तीन बार अच्छे से जुताई कर लें. सभी खरपतवारों को साफ करने के बाद जैविक खाद का उपयोग कर सकते हैं.
बुवाई
पौधों की बुवाई करते समय आपसी दूरी 4 से 6 मीटर की रखें. ध्यान रहे कि खेत में पानी की निकासी की व्यवस्था की गई हो. इन्हें पाले से भी बचाने की जरूरत होती है. कीटों से बचाव के लिए हर सप्ताह नीम के तेल का छिड़काव कर सकते हैं.
सिंचाई
इसे विशेष सिंचाई की जरूरत नहीं पड़ती. गर्मियों के मौसम में साप्ताहिक सिंचाई की जानी चाहिए. बरसात में अगर मानसून गड़बड़ हो तो आप सिंचाई कर सकते हैं.
फसल कटाई
लगभग 6 वर्ष में इसका पौधा कटाई के लिए तैयार हो जाता है. इसकी पत्तियों को काटकर छाये में सुखाना चाहिए. अगर तेल निकालने के लिए इसकी खेती कर रहे हैं, तो आसवन यन्त्र का प्रयोग कर सकते हैं. इसकी खेती के लिए सरकार 30 प्रतिशत का अनुदान भी मिल रहा है, जिसकी जानकारी आप इस लिंक से प्राप्त कर सकते हैं.
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