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बिच्छू की तरह डंक मारता है ये घास, छू लेने भर से होती है खुजली और झनझनाहट

अक्सर आपने लोगों को ये कहते सुना होगा कि सुबह घास में कुछ देर चलना चाहिये. हम में से अधिकांश लोग ऐसे भी होंगें जो सुबह सैर करते हुए घास पर चलते होंगें. निसंदेह विज्ञान ये बात कहती है कि तनाव मुक्त, सेहतमंद और खुशनुमा रहने के लिये घास पर चलना फायदेमंद है. उत्त राखंड के क्षेत्रों में पाया जाने वाला एक पहाड़ी घास ऐसा भी है

सिप्पू कुमार
सिप्पू कुमार

अक्सर आपने लोगों को ये कहते सुना होगा कि सुबह घास में कुछ देर चलना चाहिये. हम में से अधिकांश लोग ऐसे भी होंगें जो सुबह सैर करते हुए घास पर चलते होंगें. निसंदेह विज्ञान ये बात कहती है कि तनाव मुक्त, सेहतमंद और खुशनुमा रहने के लिये घास पर चलना फायदेमंद है. उत्‍तराखंड के क्षेत्रों में पाया जाने वाला एक पहाड़ी घास ऐसा भी है जिसके संपर्क में आने भर से आपको झनझनाहट और तेज खुजली हो सकती है. इस घास का आतंक वहां के लोगों में इस कदर है कि आम तौर पर इसे छूने से भी लोग कतराते हैं. समूचे भारतवर्ष में इस घास को बोलचाल की भाषा में बिच्छू घास के नाम से जाना जाता है. चलिये इसके बारे में आपको विस्तार से बताते हैं.

वानस्पतिक कुल से है बिच्छू घासः

बिच्छू घास मूल रूप से अर्टिकाकेई वनस्पति परिवार से संबंध रखता है और इसका नाम अर्टिका पर्वीफ्लोरा है. इसकी पत्तियों पर छोटे-छोटे मगर तीखे कांटें होते हैं. खुली त्वचा के संपर्क में आते ही ये बदन में झनझनाहट और खुजली शुरू कर देती है. दर्द में ये किसी बिच्छु के डंक के समान ही होता है. हालांकि कंबल से रगड़ने से आम तौर पर ये शिकायत दूर हो जाती है.

मैदानी क्षेत्रों में भी है भारी मांगः

इस घास से कई प्रकार के स्वादिष्ट और और पौष्टिक भोजन पकाएं जाते हैं. इसी कारण आज इसकी मांग पहाड़ी क्षेत्रों के साथ-साथ मैदानी क्षेत्रों में भी बढ़ी है. इससे बनने वाला साग विशेष तौर पर भोजन के रूप में लोकप्रिय है.

इससे बनती है 300 रूपये किलो की चायः

पहाड़ी घास भले त्वचा के लिये प्रत्यक्ष तौर पर खतरनाक है. लेकिन इसके कई स्वास्धवर्धक फायदें भी हैं. आप जानकर चौंक जायेंगें कि इससे बनने वाले चाय का दाम 300 रूपये प्रति किलो तक है.

English Summary: Stinging Nettle bichu ghans know more about this medical plants Published on: 27 November 2019, 06:47 IST

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