कोंच एक औषधीय पौधा है, जिसका वानस्पतिक नाम मुकुना प्रूरिएंस है. यह फाबेसी परिवार से संबंधित है और भारत के मैदानी इलाकों में झड़ियों के रूप में पायी जाती है. इसकी पत्तियां नीचे की ओर झुकी होती हैं. जबकि इसके डंठल भूरे रेशमी रंग के 6.3 से 11.3 सेंटीमीटर तक के लगभग हो सकते हैं. ये पौधा इतना लाभकारी है कि इसका हर भाग किसी ना किसी रूप में औषधी की तरह उपयोग होता है. इसकी खेती पर एनएमपीबी द्वारा 30 फीसद अनुदान दिया जा रहा है. चलिए आपको इस पौधे की उत्तम खेती के बारे में बताते हैं.
जलवायु और भूमि
वैसे तो इस पौधे को हर तरह की मिट्टी में उगाया जा सकता है लेकिन, यदि मिट्टी रेतीली या चिकनी हो तो ये अधिक नालीदार ढंग से तैयार होती है. विशेषज्ञों के मुताबिक इस पौधे के लिए उप-उष्ष कटिबंधीय और उष्ण कटिबंधीय जलवायु अनुकूल होती है. पौधे के लिए तापमान का सर्दियों में 15 डिग्री सेल्सियस और गर्मियों में 38 डिग्री सेल्सियस तक होना उत्तम है.
नर्सरी की तैयारी
इसकी खेती बीजों को सीधे खेतों में बोकर की जाती है. हालांकि बीजों को बोने से पहले कवकरोधी उपचार करना जरूरी है. ये उपचार इन्हें भूमिगत बीमारियों से बचाता है.
ऐसे उगाएं फसल
खेतों को पहले अच्छे से जोतते हुए उसे भुरभुरा बना ले. भुरभुरे खेतों में बीज अंकुरित होकर बाहर आसानी से निकल जाते हैं. जमीन तैयार करते समय मिट्टी में प्रति हेक्टर 10 से 20 टन उर्वरक मिलाएं.
इस समय लगाएं पौधा
बरसात के मौसम से ठीक पहले इसके बोने की प्रक्रिया प्रारंभ कर दें. आप चाहें तो इन्हें बांस की छड़ियों का सहारा देकर आसानी से आगे बढ़ा सकते हैं.
पौधों में रखे इतना अंतर
पौधों में परस्पर 1.0 X 0.75 या 1.0 X 0.6 सेमी. का अंतर रखें. इसकी पैदावार प्रति हेक्टेयर 2.5 से 3.0 टन तक हो जाती है.
सिंचाई
शुष्क मौसम में समय पर और सर्दियों में फलियां तोड़ते समय सिंचाई करें.
फसल कटाई एवं प्रबंधन
बुआई के लगभग 140 दिनों बाद इसकी फसल पक जाती है और फलियां मटमैली व भूरे रंग में तब्दील हो जाती हैं. प्रत्येक पौधे से लगभग 25 से 30 गुच्छे निकाले जाते हैं. निकाली गई फलियों को 4 से 7 दिनों तक धूप में सुखाएं. यदि खेती बड़े पैमाने पर की गई हो तो प्रति हेक्टेयर उपज 2.5 से 3.0 टन की दर पर होने की संभावना होती है.
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अनुमानित लागत |
देय सहायता |
पौधशाला |
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पौध रोपण सामग्री का उत्पादन |
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क) सार्वजनिक क्षेत्र |
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1) आदर्श पौधशाला (4 हेक्टेयर ) |
25 लाख रूपए |
अधिकतम 25 लाख रूपए |
2) लघु पौधशाला (1 हेक्टेयर ) |
6.25 लाख रूपए |
अधिकतम 6.25 लाख रूपए |
ख) निजी क्षेत्र (प्रारम्भ में प्रयोगिक आधार पर ) |
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1) आदर्श पौधशाला (4 हेक्टेयर) |
25 लाख रूपए |
लागत का 50 प्रतिशत परंतु 12.50 लाख रूपए तक सीमित |
2) लघु पौधशाला (1 हेक्टेयर ) |
6.25 लाख रूपए |
लागत का 50 प्रतिशत परंतु 3.125 लाख रूपए तक सीमित |
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