आजकल एलोवेरा (aloe vera) की मांग बढ़ती जा रही है. इसे ग्वारपाठा भी कहते हैं. इसकी खेती करना हमारे किसान भाइयों के लिए बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है. इसकी खेती करके अच्छी कमाई की जा सकती है.
एलोवेरा का औषधीय महत्व बहुत ज्यादा है और सौंदर्य प्रसाधनों (beauty products) के निर्माण में भी इसकी मांग में दिन प्रति दिन बढ़ोतरी हो रही है. एलोवेरा की पत्तियों की जगह इसके पल्प को ज्यादा उपयोगी माना जाता है और औषधियों एवं सौंदर्य प्रसाधनों में भी इसका प्रयोग ही ज्यादा होता है.
बेहतरीन प्यूरीफायर(purifier) है एलोवेरा
इसके अलावा एलोवेरा को एक बेहतरीन प्यूरीफायर भी माना जाता है. कहते हैं कि एक एलोवेरा का पौधा नौ प्यूरीफायर के बराबर होता है. एलोवेरा हानिकारक विषैली गैसों को अवशोषित करता है. यह कार्बन डाइऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड को सोख लेता है और वातावरण में ऑक्सीजन का स्तर बढ़ाता है.
आयुर्वेद में संजीवनी का दर्जा मिला है एलोवेरा को
एलोवेरा को आयुर्वेद में संजीवनी की संज्ञा दी गई है. इसमें भरपूर मात्रा में अमीनो एसिड होता है और विटामिन B 12 बहुत अच्छी मात्रा में होता है जिसके कारण शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. चाहे त्वचा की देखभाल की बात हो या बालों की रखरखाव की एलोवेरा दूसरे सौंदर्य प्रसाधनों से इक्कीस ही ठहरता है. एलोवेरा घाव को भरने में मदद तो देता ही है. यह कैंसर रोधी भी है और कैंसर निवारक भी.
धूसर मिट्टी में होती है बढ़िया पैदावार
धूसर मिट्टी में एलोवेरा अच्छी पैदावार देता है. एलोवेरा का पौधा अत्यधिक ठंड की स्थिति में संवेदनशील होता है, इस दौरान खेती नहीं करनी चाहिए. एलोवेरा की खेती रेतीली से लेकर दोमट मिट्टी तक विभिन्न प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है. एलोवेरा साल में आपको 10 लाख तक की आमदनी दे सकता है.
कम लागत में अधिक मुनाफा
एलोवेरा की खेती एलोवेरा की खेती की सबसे बढ़िया बात यह है कि सिर्फ एक बार पौधे लगाकर 5 साल तक से मुनाफा कमाया जा सकता है और लागत आती है सिर्फ पचास हज़ार लागत में दस लाख रुपए तक की कमाई आसानी से की जा सकती है. एलोवेरा का पौधा लगाने पर उससे तीन या चार छोटे पौधे निकलते हैं. इन पौधों को अपने खेत में दूसरी जगह लगाकर एलोवेरा के बड़े पौधे का रूप दिया जा सकता है.
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कहां पाया जाता है एलोवेरा
एलोवेरा मुख्यतः शुष्क इलाकों( dry areas) में पाया जाता है मध्यप्रदेश राजस्थान गुजरात महाराष्ट्र हरियाणा के सूखे हिस्सों में यह बहुतायत में मिलता है इसका तना छोटा पत्तियां हरी और गद्देदार होती है एलोवेरा की पत्तियों से पीले रंग का तरल पदार्थ निकलता है जिसे पल पिया एलोवेरा जेल कहा जाता है इसी पल पिया जेल की डिमांड आजकल बहुत ज्यादा है.
कम पानी में संभव है एलोवेरा की खेती
एलोवेरा के पौधों को बहुत कम पानी की आवश्यकता होती है. यह कम बरसात वाले इलाकों में भी है बहुत अच्छा पनपता है. ज्यादा ठंड में यह खराब हो जाता है.
एलोवेरा के पौधे कब लगाएं?
यूँ एलोवेरा का पौधा कभी भी लगाया जा सकता है लेकिन अच्छी पैदावार के लिए जुलाई-अगस्त में इसे लगाना ज्यादा उचित रहता है. सर्दियों को छोड़कर पूरे साल इसकी खेती की जा सकती है.
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