आज के समय में हमारे देश में ऐसे कई किसान हैं, जो खेती-किसानी और पशुपालन में अधिक से अधिक लाभ प्राप्त कर रहे हैं. ऐसे ही एक किसान शैलेन्द्र कुमार चौधरी है, जो पारम्पक रूप से खेती करके अपना जीवनयापन करते हैं. बता दें कि जिस किसान की हम बात कर रहे हैं, वह बिहार के बेगूसराय जिले के रहने वाले हैं. किसान शैलेन्द्र अपने परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए पशुपालन भी करते हैं. उन्होंने बताया कि शुरूआती समय में सब कुछ सही चल रहा था, लेकिन जब से कोरोना महामारी आई तो इसने देशभर के ज्यादातर किसानों की आर्थिक स्थिति पर बुरा प्रभाव डाला. उन्होंने बताया कि कोरोना काल के समय खुद के खाने के लिए अनाज काफी नहीं पड़ रहा था ऐसे में पशुओं को दाना कैसे दिया जा सकता था.
पशुओं को प्रर्याप्त मात्रा में दाना न मिलने की वजह से उनकी प्रजनन क्षमता में कमी आने लगी. बड़ी समस्या तब आयी जब गाय पाल खाने के लिये गरम (हीट होना) ही नहीं हो रही थी.
अश्वगंधा से बनाई पशुओं की दवाई
पशु चिकित्सा पदाधिकारी ने चौधरी को बताया कि पशुओं को सन्तुलित आहार नहीं देने के कारण गाय के शरीर में पोषक तत्वों की कमी होने लगी, जिसके कारण गाय पाल नहीं खा रही है. गाय की इस परेशानी का हाल निकालने के लिए चौधरी के पास देशी विकल्प ढूंढने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं था. ऐसी परिस्थिति में उन्होंने औषधीय पौधों की जानकारी प्राप्त करने का निर्णय लिया और इस दौरान उन्हें पता चला कि अश्वगंधा एक ऐसी वनस्पति है जो पशुओं के लिए इस प्रकार की समस्या (पशुओं को पाल नहीं खाने की) में औषधि बेहद लाभकारी मानी जाती है. इसके लिए उन्होंने अनुसंधान केन्द्र, इस्लामपुर (नालंदा) से सम्पर्क किया.
इस्लामपुर के वैज्ञानिकों ने चौधरी को बताया कि अश्वगंधा वनस्पति इस समस्या के निदान में सहायक साबित हो सकती है. अश्वगंधा से जुड़ी अधिक जानकारी के लिए चौधरी ने स्थानीय लोगों से भी संपर्क किया. इसके बाद उन्होंने "अश्वगंधा पंचाग" बनाने का निर्णय लिया. इसे बनाने के लिए उन्होंने अश्वगंधा पंचाग- पौधे की जड़, तना, पत्ती, फूल एवं फल (बीज) को 3:15:1:1 भाग में मिलाकर बनाया. इसके बाद उन्होंने इसे बनाने के बाद पशु चिकित्सक से सलाह ली और फिर गाय के आहार की विवरणी भी बनाई.
गाय के आहार की विवरणी की विधि
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हरा चारा-10 किलो
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सूखा भूसा-05 किलो
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अनाज मिश्रण 5-2.0 किलो
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सरसों की खली-आधा किलो में 100 ग्राम अश्वगंधा पंचाग मिलाया.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस आहार मिश्रण को चौधरी ने अपनी गाय को लगातार 90 दिनों तक खिलाया. जिससे गाय के स्वास्थ्य, दूध क्षमता एवं उसके प्रजनन पर चमत्कारिक प्रभाव देखने को मिलें. इस आहार को खाने के बाद गाय की त्वचा में चमक बढ़ी, दूध उत्पादन बढ़ा और गाय ने गर्मधारण भी किया. चौधरी के द्वारा किए जा रहे कार्यों पर जो लोग हँसी-मजाक करके उल्टी-सीधी सलाह देते थे, वह लोग अब चौधरी से पशु स्वास्थ्य संबंधी सलाह लेते हैं. आज के समय में अहियापुर के जो किसान अश्वगंधा पंचाग के साथ भोजन मिश्रण व्यवस्था को अपनाये है उनकी गाय 18-20 महीनें में गर्मधारण कर रही हैं.
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