एक जमाना था जब खेती को सिर्फ किसानों की आजीविका का साधन माना जाता था. हालत यह थी कि उनके लिए अपना गुजारा करना भी बहुत मुश्किल होता था, लेकिन समय के साथ-साथ किसान खेती के तौर तरीकों को लेकर बहुत जागरूक हुए हैं.
वे जान गए हैं कि सिर्फ मेहनत करना ही महत्वपूर्ण नहीं है, मेहनत किस समय, कैसे और कितनी करनी है, यह भी बहुत महत्वपूर्ण है. यही कारण है कि आजकल किसान खेती में तरह-तरह के प्रयोग करने लगे हैं. नई-नई फसलों का उत्पादन करने लगे हैं. वे मांग के अनुसार, अपनी प्राथमिकताएं निर्धारित करने लगे हैं .
अश्वगंधा की बढ़ रही है मांग (Demand for Ashwagandha is increasing)
आजकल औषधीय पौधों की मांग को देखते हुए किसान अश्वगंधा की खेती (Ashwagandha Farming) को प्राथमिकता देने लगे हैं. अश्वगंधा का प्रयोग बहुत सी दवाइयों में किया जाता है और यही कारण है कि इसकी मांग भी बढ़ी है. कोरोना काल में लोग इसके महत्व से परिचित हो गए हैं और यही कारण है कि इसका प्रयोग लगातार बढ़ा है.
अश्वगंधा (Ashwagandha) का भारतीय आयुर्विज्ञान में बहुत महत्व है. इसे चमत्कारिक औषधि (Miracle Medicinal Plant) कहा जाता है, जो बीमारियों को दूर करके शरीर को उत्तम स्वास्थ्य प्रदान करती है. अश्वगंधा के पत्ते, बीज और छाल तीनों ही बहुत उपयोगी होते हैं. इनका प्रयोग दवाइयां बनाने में किया जाता है. अश्वगंधा शरीर और मन दोनों के स्वास्थ्य की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है. यह तनाव और चिंता से भी राहत दिलाता है. सामान्य फसलों के मुकाबले किसान अश्वगंधा की खेती (Ashwagandha Cultivation) कर के 50% तक अधिक मुनाफा कमा सकते हैं.
यूनानी दवाओं में भी होता है अश्वगंधा का प्रयोग (Ashwagandha is also used in Unani medicines)
यूं तो यह एक बेहद फायदेमंद और औषधीय महत्व का देसी पौधा है, लेकिन इसका प्रयोग सिर्फ भारतीय आयुर्वेदाचार्य ही नहीं करते बल्कि यूनानी दवाओं (Unani Medicine) को बनाने के लिए भी इसका खासा उपयोग किया जाता है.
सितम्बर है अश्वगंधा खेती के लिए उपयुक्त (September is suitable for Ashwagandha farming)
अश्वगंधा का औषधीय महत्व होने के कारण यह एक नगदी फसल मानी जाने लगी है. यह बेहद कम समय में अच्छा लाभ देती है. आपको बता दें कि इसकी खेती के लिए सितंबर का महीना सबसे उपयुक्त है. इसकी खेती के लिए सरकार भी लगातार किसान भाइयों को प्रोत्साहित कर रही है, इसलिए भारत में अश्वगंधा की खेती बड़े पैमाने पर की जाने लगी है.
किस तरह करें अश्वगंधा की खेती (How to cultivate Ashwagandha)
मान लीजिए आप एक हेक्टेयर में अश्वगंधा की खेती करना चाहते हैं, तो इसके लिए लगभग 10 किलो बीजों की आवश्यकता होगी. ये बीज छह-सात दिन में अंकुरित होने की स्थिति में आ जाते हैं. इन बीजों को आपस में कुछ दूरी रखते हुए खेत में लाइन से डाल दिया जाता है.
कब करें अश्वगंधा फसल की कटाई (When to harvest Ashwagandha crop)
अश्वगंधा की खेती के साथ सबसे बढ़िया बात यह है कि इसके पौधों की कटाई के लिए ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ता यानी फसल जल्दी ही तैयार हो जाती है. 160 से 180 दिन के बाद फसल कटाई के लिए तैयार हो जाती है. इन्हें काटकर इनकी जड़ों, पत्तियों और छाल को अलग करके मांग के अनुसार इनकी आपूर्ति की जा सकती है और अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है.
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