अजवायन का वैज्ञानिक नाम "Trachyspermum ammi" है और यह मेंथी कुल (Apiaceae) का सदस्य है. इसके छोटे-छोटे दानों की खास महक और औषधीय गुणों के कारण इसे एक महत्वपूर्ण मसाला माना जाता है. इतिहास के प्रमाणों से पता चलता है कि अजवायन का उपयोग वैदिक काल से ही हो रहा है. वेदों में इसे "यावनी" नाम से उल्लेख किया गया है, जिसका अर्थ होता है "यूनानी". अजवायन की खेती और इसका उपयोग भारतीय रसोई में प्रचलित रहा है और इसे औषधीय उपयोग के लिए भी प्रयोग किया जाता है.
कई आयुर्वेदिक गुणों से होती है भरपूर
अजवायन के गुणों के कारण, इसे पाचन, गैस, आंत्र और अन्य पाचन संबंधी विकारों के इलाज में उपयोग किया जाता है. इसके बीजों में मुख्यतः थायमोल (Thymol), पार्सलीन (Parsleyne), लिमोनीन (Limonene), अल्फा-पिनीन (Alpha-pinene) और बेटा-पिनीन (Beta-pinene) जैसे तत्व पाए जाते हैं, जो इसके औषधीय गुणों के लिए जिम्मेदार हैं.
खेती के लिए उचित तापमान
अजवायन (Ajwain) की खेती के लिए उपयुक्त मौसम उष्णकटिबंधीय (वार्षिक तापमान कम से कम 15-25 डिग्री सेल्सियस) और खुशकटिबंधीय (नमी की मात्रा कम होना चाहिए) होना चाहिए. अजवायन गर्म मौसम की पसंदीदा पौधा है और उष्णता और सूखे के लिए अच्छी तरह से समुचित होता है. अजवायन की बुआई कार्यक्रम मार्च और अप्रैल के बीच के दौरान करना चाहिए. इस समय में मौसम गर्म होता है और धरती का तापमान आवश्यक बीजों के उगने के लिए उचित होता है. इसके अलावा, अजवायन को उच्च तापमान (25-30 डिग्री सेल्सियस) और प्रकाश की अच्छी आवश्यकता होती है.
भारत के इन राज्यों में प्रमुखता से होती है पैदावार
महत्वपूर्ण बात यह है कि अजवायन की खेती के लिए निचले सुझाए गए खेती जिलों के लिए उचित मौसम हो सकता है:
उत्तर भारत: हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, दिल्ली
पश्चिमी भारत: राजस्थान, गुजरात
मध्य भारत: मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़
दक्षिण भारत: तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना
उपरोक्त सूची केवल संक्षेप में है और अजवायन की खेती अन्य भागों में भी संभव है, अगर उपयुक्त मौसम शर्तें पूरी होती हैं. यदि आप विशेष मौसम जानकारी के लिए स्थानीय कृषि विशेषज्ञों से परामर्श लें, जो आपके क्षेत्र में अजवायन की खेती के लिए उचित मौसम की जांच कर सकते हैं.
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अजवायन (Ajwain) कुछ मुख्य किस्में
रेगुलर अजवायन (Regular Ajwain): यह साधारण अजवायन होता है जो रसोई में उपयोग होता है. इसके बीज छोटे, गहरे भूरे रंग के होते हैं.
ज्वालामुखी अजवायन (Jwalamukhi Ajwain): यह अजवायन किस्म थोड़ी तेज़ और तीखी होती है. इसके बीज छोटे होते हैं और इसकी खुशबू आम अजवायन से काफी अलग होती है. इसका उपयोग आयुर्वेद में औषधीय गुणों के लिए भी किया जाता है.
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सनई अजवायन (Sath Ajwain): यह अजवायन किस्म आम अजवायन से थोड़ी बड़ी होती है. इसके बीज गहरे भूरे रंग के होते हैं और यह आमतौर पर उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पायी जाती है.
अजवायन पत्ता (Ajwain Leaf): अजवायन की पत्तियों का उपयोग भी किया जाता है, जो अपने व्यापक स्वाद और गंध के लिए प्रसिद्ध हैं. इन पत्तियों को ताजगी सलाद, चटनी और सब्जियों में उपयोग किया जा सकता है.
बाज़ार में अच्छे दामों में बिकती है अजवायन
भारत में अजवायन की बाज़ार में किसानों को बहुत अच्छी कीमत मिलती है. अगर हम इस वर्ष की बात करें तो यह 15 हजार से लेकर 23 हजार रुपये क्विंटल के भाव तक में खरीदी गई थी.
एक अनुमान के मुताबिक भारत में हर साल 2 लाख टन से ज्यादा अजवायन (Ajwain) का उत्पादन किया जाता है.
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