देशभर के किसान अधिक मुनाफा पाने के लिए पारंपरिक खेती छोड़कर आधुनिक खेती की तरफ रुख कर रहे हैं. इसके लिए वे बुवाई, सिंचाई में बदलाव लाने के साथ नई तरीके की फसल भी ऊगा रहे हैं. हालांकि नई किस्म की फसल उगाने में कई तरह के जोख़िम भी है क्योंकि इनमें कई प्रकार नए रोग का अंदेशा बढ़ जाता है. ऐसा ही कुछ केले की फसल उगाने वाले किसानों के साथ हो रहा है. केले की फसल पैदा करने वाले देशभर के किसानों के लिए पनामा विल्ट (Panama Wilt) बीमारी नई मुसीबत के रूप में सामने आई है. यह बीमारी उनकी लाखों की फसल चौपट कर रही है जिसके चलते किसानों का आधुनिक खेती तरफ बढ़ता रुझान व्यर्थ ही जा रहा है. हालाँकि यह बीमारी सबसे पहले विदेशों में देखी गई थी जिसके चलते वहां के किसानों की केले की फसल बर्बाद हो चुकी. तो आइये जानते हैं इस बीमारी के लक्षण और रोकथाम के उपाय
क्या है पनामा विल्ट बीमारी? (What causes banana Panama wilt?)
यह फंगस से होने वाली बीमारी है जो कि पिछले कुछ सालों से अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, ताईवान समेत दुनिया के कई देशों में देखी गई थी. इस बीमारी ने वहां के किसानों की केले की फसल को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया. वहीं अब ये बीमारी कुछ सालों से यह देश के किसानों के लिए भी परेशानी का सबब बनीं हुई है. दरअसल, पनामा विल्ट फ्यूजेरियम विल्ट टीरआर-2 नामक फंगस से होती है. जो केले के पौधों की वृद्धि को रोक देता है. इस बीमारी के लक्षण की बात करें तो केले के पौधें की पत्तियां भूरे रंग की होकर गिर जाती है और तना भी सड़ने भी लगता है. यह बेहद घातक बीमारी मानी जाती है जो केले की पूरी फसल को बर्बाद कर देती है. हमारे देश में मई और जून माह में इस बीमारी का भारी प्रकोप रहता है. ऐसा माना जाता है कि बढ़ती गर्मी के साथ इस बीमारी का असर बढ़ता जाता है.
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भारत में कहां है पनामा विल्ट बीमारी का असर
भारत में केले की फसल बिहार, उत्तर प्रदेश, गुजरात और मध्य प्रदेश में होती है. पनामा विल्ट बीमारी से प्रभावित क्षेत्र बिहार का कटिहार और पूर्णिया, उत्तर प्रदेश का फैजाबाद, बाराबंकी, महाराजगंज, गुजरात का सूरत और मध्य प्रदेश का बुरहानपुर जिला है. यहां किसान पहले तो इस बीमारी को समझ नहीं पाए. वे किसी और बीमारी का समझकर कीटनाशक का छिड़काव करते रहे लेकिन कोई असर नहीं हुआ. केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान (सीआईएसएच) के निदेशक डॉ. शैलेन्द्र राजन के मुताबिक, किसानों की समस्या के आधार पर जब वैज्ञानिकों ने पता किया तो यह पनामा विल्ट बीमारी के रूप में सामने आई. डॉ. राजन का कहना है कि यह बीमारी एक खेत से दूसरे खेत में सिंचाई, फावड़े-कुदाल के जरिए पहुंचती है.
कैसे पाएं निजात (How do you control the wilt of bananas in Panama)
इसकी रोकथाम को लेकर केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के निदेशक डॉ. शैलेन्द्र राजन का कहना है कि वैज्ञानिकों और किसानों के सामूहिक प्रयास से इस बीमारी से निजात पाई जा सकती है. उनका कहना है कि पूरी दुनिया में पनामा विल्ट की कोई कारगर दवाई नहीं है. हालांकि सीआईएसएच के वैज्ञानिकों ने आईसाआर-फुसिकांट नाम की दवाई बनाई है. इस दवाई के प्रयोग से बिहार समेत अन्य राज्यों के किसानों को फायदा मिला है. उनकी लाखों रुपए की फसल बचाई जा चुकी है. पिछले तीन साल से सीआईएसएच किसानों की केले की फसल बचाने का प्रयास कर रहा है. इसलिए देशभर के किसानों तक यह दवाई पहुँचाने के प्रयास किये जा रहे हैं. हालांकि डॉ. राजन का कहना है कि आईसाआर-फुसिकांट अभी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं लेकिन यह कमी जल्द ही दूर की जा सकेगी.
लेखक - श्याम डांगी
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