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गेंदे और ग्लेडियोलस की फसल में लगने वाले रोग और उनका प्रबंधन

फूलों की खेती में गेंदा और ग्लेडियोलस प्रमुख फूल हैं. आज हम आपको गेंदा और ग्लेडियोलस के फूलों में लगने वाले प्रमुख वायरस रोगों के बारे में और उनके प्रबंधन के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं.

प्रबोध अवस्थी
प्रबोध अवस्थी
Viral diseases caused and management in gladiolus and marigold
Viral diseases caused and management in gladiolus and marigold

फूलों को उनके आकर्षक चटक रंगों और सुगंध के लिए महत्व दिया जाता है जिससे वे बगीचों और व्यावसायिक खेती के लिए भी एक महत्त्वपूर्ण बन जाते हैं. ग्लेडियोलस और गेंदा हमारे देश की दो बहुत ही महत्वपूर्ण व्यावसायिक फूलों की फसलें हैं. इन फसलों के अच्छी गुणवत्ता वाले फूलों का उत्पादन विभिन्न प्रकार के रोगजनकों (जीवाणु, कवक और विषाणु) द्वारा दुष्प्रभावित होता है, जिनमें से विषाणु प्रमुखतः चिंता का विषय है क्योंकि कोई भी रासायनिक उपचार विषाणु-संक्रमित पौधे से विषाणु को समाप्त नहीं कर सकता है.

वायरस से संक्रमित ग्लेडियोलस और गेंदा मुख्य रूप से पत्ती पर हरे-पीले मोज़ेक; झुर्रीदार और गोल मुड़ी पत्ती; पत्ती, तना, बाह्यदल और पंखुड़ी पर धारियां; फूल का रंग विच्छेदन; फूल में आकार विकृति; और पौधे का छोटा आकार जैसे लक्षण प्रदर्शित करते हैं .

वायरस संचरण के विभिन्न तरीके

प्रकृति में कीट और मानवजनित गतिविधियां विषाणु के प्रसार के लिए जिम्मेदार हैं. विषाणु संचरण में शामिल कीट जैसे हरा और काला माहू, तैला कीट, टिड्डा, सफ़ेद मक्खी और फीताकृमि आदि हैं जो एक विषाणु संक्रमित पौधे से रस चूसते हैं और फिर स्वस्थ पौधे में पहुंचा देते हैं. मानवजनित विषाणु-संचरण में विषाणु से दूषित उद्यान उपकरणों द्वारा काटने से इसका स्वस्थ पौधे में संचरण तथा बड़े पैमाने पर विषाणु-संक्रमित मातृ पौधों के गुणन द्वारा वानस्पतिक प्रसार शामिल है.

ग्लेडियोलस और गेंदा के विषाणु

ग्लेडियोलस और गेंदा के पौधों को प्राकृतिक रूप से कई विषाणु संक्रमित करते हैं जिससे उनका सौंदर्य और व्यावसायिक मूल्य खराब हो जाता है. संक्रमित करने वाले प्रतिनिधि विषाणुओं के नाम इस प्रकार हैं- अजिरिटुम एनेशन विषाणु, बीन येलो मोज़ेक विषाणु, कुकुम्बर मोज़ेक विषाणु, इम्पेतिन्स नेक्रोटिक स्पॉट विषाणु, मैरीगोल्ड मोज़ेक विषाणु, पपाया रिंगस्पॉट विषाणु, पोटैटो विषाणु -Y, टोबैको रिंगस्पॉट विषाणु, टोमेटो अस्पेरमी विषाणु, टोमेटो स्पॉटेड विल्ट विषाणु इत्यादि .

विषाणु प्रबंधन

विषाणु के प्रसार को सीमित करने तथा उनके कुशल प्रबंधन के लिए निम्नलिखित सुझावों पर विचार किया जा सकता है :

  • ग्लेडियोलस और गेंदा के रोपण के लिए विषाणु-रहित एवं प्रमाणित बीज/रोपण सामग्री का उपयोग करें .
  • किसी भी उल्लिखित रोग के लक्षणों को प्रदर्शित करते संक्रमित पौधों को पहचानें, तुरंत उखाड़ें और नष्ट करें .
  • विषाणु-वाहक या विषाणु-स्रोत को कम करने के लिए ग्लेडियोलस और गेंदा के खेतों में और उसके आसपास उगने वाले खरपतवारों (चाहे संक्रमित हों या नहीं) को उखाड़ें और नष्ट करें .
  • हरा और काला माहू, तैला कीट, टिड्डा, सफ़ेद मक्खी और फीताकृमि आदि के संक्रमण को नियंत्रित करें या उससे बचें क्योंकि वे विषाणु के प्रसार के लिए वेक्टर के रूप में भी काम करते हैं.
  • कीटों की आबादी को नियंत्रित करने के लिए 15 दिनों के अंतराल पर किसी भी उपलब्ध कीटनाशक या वैकल्पिक रूप से (2.0 % नीम के तेल) का छिड़काव करें.
  • उद्यान उपकरणों को विसंक्रमित करने के लिए उन्हें 30 मिनट के लिए 2.0% ब्लीच घोल में डुबो कर साफ किया जाना चाहिए.
  • कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया जाना चाहिए कि विषाणु संक्रमित पौधे के क्षेत्रों से स्वस्थ पौधे के क्षेत्रों में जाने से बचे.
  • साथ ही कर्मचारियों को विषाणु जनित रोगों के प्रभाव और उनके संचरण के तरीके के बारे में शिक्षित किया जाना चाहिए जिस से उनके प्रसार को रोका जा सके.

लेखक-

सचि गुप्ता*, शिव सिंह तोमर** एवं भावना तोमर***

सहायक प्राधयापक, कृषि संकाय, जी. डी. गोएंका विश्वविधायालय, सोहना, गुरुग्राम, हरियाणा, भारत -122103  

अधिष्ठाता, कृषि संकाय, जी. डी. गोएंका विश्वविधायालय, सोहना, गुरुग्राम, हरियाणा, भारत -122103  

शोध छात्रा, कृषि संकाय, जी. डी. गोएंका विश्वविधायालय, सोहना, गुरुग्राम, हरियाणा, भारत -122103

English Summary: viral diseases caused and management in gladiolus and marigold farming Published on: 03 November 2023, 04:16 IST

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