भारत एक कृषि प्रधान देश हैं. यहां विभिन्न प्रकार की फसलें ऊगाई जाती है, जिनमें सब्जी वर्ग की फसलों का भी महत्वपूर्ण हिस्सा हैं. सब्जी उत्पादन में भारत का चीन के बाद दूसरा स्थान हैं. सब्जी वर्ग की फसलों में देखा जाये तो टमाटर अपनी अहम भूमिका निभाता हैं. उत्पादन की द्रष्टि से टमाटर एक महत्वपूर्ण सब्जी की फसल है, जो की सब्जी व फल दोनों प्रकार से काम में लिया जाता हैं. अगर पाला नहीं पड़े तो टमाटर की फसल वर्ष भर ऊगाई जा सकती हैं. टमाटर में मुख्य रूप से विटामिन ‘ए’ एवं ‘सी’ पाया जाता हैं. इसका उपयोग ताजा फल के रूप में या उन्हें पकाकर डिब्बाबन्दी करके आचार, चटनी, सूप, सॉस बनाकर व अन्य सब्जियों के साथ पकाकर भी किया जा सकता हैं. टमाटर की फसल में कई प्रकार के कीटों का आक्रमण होता हैं, जिनकी सही समय पर पहचान करके प्रबन्धन किया जाये तो वाकई किसान भाईयों को लाभ मिलेगा . टमाटर में लगने वाले कीट निम्न प्रकार हैं.
नर्सरी में पोधों को कीड़ो के प्रकोप से बचाने के लिये मोनोक्रोटोफॉस 36 एस.एल. एक मिलीलीटर तथा साथ में जाइनेब या मैन्कोजेब 2 ग्राम प्रति लीटर पानी के हिसाब से घोलकर छिड़काव करें .
सफेद लट : यह कीट टमाटर की फसल को काफी नुकसान पहुंचाता हैं. इस कीट की लटें पोधे की जड़ो को खाती हैं. इसके प्रकोप से पोधा सूखकर मर जाता हैं.
प्रबन्धन :
बुवाई वाले खेत में फसल चक्र अपनाना चाहिए .
वयस्क कीट प्रकाश प्रपंच के ऊपर भारी संख्या में आकर्षित होते है अत: इसका प्रयोग करना चाहिए .
इस कीट के वयस्क पेड़ पौधों पर भारी संख्या में बैठे रहते हैं जिनको हाथ या किसी लकड़ी से छड़काकर उन्हें ईक्ट्ठा करके जमीन में दबा दे या फिर केरोसीन युक्त पानी में डालकर मार दे .
इस कीट के नियंत्रण हेतु फोरेट 10 जी 25 किलो प्रति हैक्टेयर की दर से रोपाई से पूर्व कतारों में पोधों की जड़ो के पास डालें .
फल छेदक : इस कीट का वयस्क भूरे रंग का तथा लट हरे रंग की होती हैं. इस कीट की सबसे हानिकारक अवस्था ही लट होती हैं. लट शुरू में मुलायम पत्तों पर हमला करती हैं तथा बाद में फलों पर आक्रमण करती हैं.
एक लट 2-8 फल नष्ट करने में सक्षम होती हैं. ऐसे फल, उपभोक्ताओं द्वारा पसंद नहीं किये जाते हैं तथा बाजार में अच्छे भाव भी नहीं मिलते हैं. फल पर किए गए छेद गोल होते हैं. आक्रमण हरे फलों पर अधिक होता हैं जिससे अम्लता बढ़ जाती है और ये फल धीरे-धीरे कम पसंद किए जाते हैं.
प्रबंधन :
40 दिन पुराने अमेरिकी लंबा गेंदा और 25 दिन पुरानी टमाटर की पौध को 1:16 के अनुपात में पंक्तियों में एक साथ बोयें। मादा पतंगे अण्डे देने के लिए गेंदे की ओर आकर्षित होती हैं.
प्रकाश जाल की स्थापना से वयस्क पतंगों को मारने के लिए आकर्षित किया जा सकता हैं.
इस कीट से सम्बन्धित फेरोमोन ट्रेप एक हेक्टेयर में 12 लगाने चाहिए .
क्षतिग्रस्त फलों को इकट्ठा करके नष्ट कर देना चाहिए .
प्रारंभिक दौर लार्वा को मारने के लिए 5% नीम के बीज गिरी के तेल का छिड़्काव करें। प्रति हेक्टेयर (‘टी’ आकार के) 15-20 पक्षियों के बैठने के लिए रखना चाहिए जो कीटभक्षी पक्षियों को आमंत्रित करने में मदद करता हैं.
फल छेदक से संरक्षण के लिए एन.पी.वी. 250 एल.ई./ हेक्टेयर के साथ साथ 20 ग्राम / लीटर गुड़ का 10 दिनों के अंतराल पर छिड़काव भी लाभदायक होता हैं.
मैलाथियान 50 ई.सी. एक मिलीलीटर प्रति लीटर पनी के हिसाब से छिड़काव करना चाहिए .
सफेद मक्खी : यह छोटा सा सफेद रंग का कीट होता हैं. इसके प्रोढ़ व निम्फ दोनों ही पोधे का रस चुसकर नुकसान करते हैं. इसके द्वारा अर्क चूसने और संयंत्र पोषक तत्वों को हटाने के कारण पौधे कमजोर हो जाते हैं. अगर पौधों के आस-पास पानी भरा हुआ है तो नुकसान और अधिक गंभीर हो सकता हैं. सफेद मक्खी बायोटाइप 'बी' टमाटर पत्ती कर्ल वायरस के संक्रमण और संचारित होने से फसल के पूर्णरूप से नुकसान होने का खतरा हो जाता हैं.
प्रबंधन :
वयस्क को आकर्षित करने के लिए एक हेक्टेयर में 12 पीले रंग के येलो कार्ड लगाने चाहीए .
सफेद मक्खी पत्ती कर्ल वायरस के प्रसार करने में वेक्टर के रूप में कार्य करती हैं, सभी प्रभावित पौधों को आगे प्रसार से बचाने के लिए उखाड़कर निकाल देना चाहिए .
नीम की निंबोली या पत्तियों से तैयार 5 % नीम के अर्क का छिड़काव करें .
7 पत्ती युक्त बना जीवामृत का छिड़काव करें .
आक, धतुरा, नीम, करंज आदि की पत्तियों से तैयार वानस्पतिक काढे का छिड़काव करें .
ऐसीफेट 75 एस.पी. 2 ग्राम या ऐसीटामिप्रिड 20 एस.पी. 0.5 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें .
माहू : यह नरम शरीर, नाशपाती के आकार का पंखों वाला या पंखहीन कीट होता हैं. झुंड मे रहकर रस चुसना, मलिनकिरण या पत्ते को मोड़ना तथा शहद्नुमा पदार्थ छोड़ना इसकी पहचान होती हैं.
प्रबंधन :
वयस्क को आकर्षित करने के लिए एक हेक्टेयर में क म से कम 12 पीले रंग के येलो कार्ड लगाने चाहीए .
नीम की निंबोली या पत्तियों से तैयार 5 % नीम के अर्क का छिड़काव करें .
7 पत्ती युक्त बना जीवामृत का छिड़काव करें .
आक, धतुरा, नीम, करंज आदि की पत्तियों से तैयार वानस्पतिक काढे का छिड़काव करें .
डाइमेथोएट 30 ई.सी. एक मिली या थायामिथोक्जाम 25 डब्ल्यू.जी. 0.4 ग्राम प्रति लीटर की दर से छिड़काव करना चाहिए .
हरा तेला : यह हरे रंग का नरम शरीर वाला हेलीकॉप्टर के आकार का कीट होता हैं. यह पत्ती की निचली सतह पर रहता हैं तथा हमेशा टेढ़ा चलता हैं.
प्रबंधन :
नीम की निंबोली या पत्तियों से तैयार 5 % नीम के अर्क का छिड़काव करें .
7 पत्ती युक्त बना जीवामृत का छिड़काव करें .
आक, धतुरा, नीम, करंज आदि की पत्तियों से तैयार वानस्पतिक काढे का छिड़काव करें .
थायामिथोक्जाम 25 डब्ल्यू.जी. 0.4 ग्राम या या डाइमेथोएट 30 ई सी 1 मिली /लीटर की दर से छिड़काव करना चाहिए .
ऐसीफेट 75 एस.पी. 2 ग्राम या ऐसीटामिप्रिड 20 एस.पी. 0.5 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें .
सूत्र कृमि : इसकी वजह से टमाटर की जड़ो में गांठ पड़ जाती है तथा पोधों की बढ़वार रूक जाती है जिससे ऊपज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता हैं.
प्रबंधन : रोपाई से पूर्व 25 किलो कार्बोफ्यूरान 3 जी प्रति हैक्टेयर की दर से भूमि में मिलायें या पोध की रोपाई के समय जड़ो के पास 8 -10 कण डालकर रोपाई करें .
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