उत्तर प्रदेश स्थित लखनऊ का मलिहाबाद आम की बागवानी के लिए जाना जाता है. आम की कई किस्में यहीं की देन हैं. इन दिनों आम की बाग में फूल आना शुरू हो रहे हैं लेकिन बागवानों के लिए एक बड़ी मुसीबत सामने आयी है. ज़्यादातर आम के पेड़ों में दिसंबर तक फूल निकलने की शुरुआत हो जाती है लेकिन कोहरा न पड़ने से बागवानों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है.
मलिहाबाद में कोहरा न पड़ने की वजह से आम के पेड़ों में आने वाले फूलों में जाला कीट तेजी से फैल रहा है. मलिहाबाद के बागवानों का कहना है कि फूलों में इस तरह जाला कीट लगने की वजह से बौर पर भी इसका काफी प्रभाव पड़ेगा. ऐसे में इन जाला कीट से छुटकारा पाना बहुत मुश्किल है. इनका फैलाव फसल के लिए घातक सिद्ध हो सकता है क्योंकि इसका सीधा असर उत्पादन पर पड़ेगा. बागवानों के मुताबिक अगर आम के फूलों को इस जाला कीट से बचान है तो इस समय कोहरा होना बहुत ज़रूरी है. कोहरा होने की वजह से ये कीट भी कम होंगे और फिर इनके प्रभाव को रोका जा सकता है.
वहीं अगर कोहरा नहीं पड़ता है तो आम के उत्पादन में भी काफी समय लग सकता है. आम का उत्पादन करने वाले जानकारों की मानें तो अगर आम के फूलों में इस कीट का प्रकोप है तो इससे लगभग 30 से 40 फीसदी तक फसल बर्बाद हो सकती है. ऐसे में उत्पादन भी बागवानों को कुछ खास नहीं मिलने की उम्मीद होती है.
जानें जाला कीट के बारे में...
आम में लगने वाला यह जाला कीट आधा से एक इंच लंबा होता है. कीट पेड़ों की पत्तियां लपेटकर गुच्छानुमा जाला बना लेता है. इसके साथ ही यह पत्तियों पर लार्वा छोड़कर पत्तियों को लपेटना शुरू कर देता है और इन्हीं गुच्छादार लिपटी हुईं पत्तियों पर जाला बिखेरते हुए यह कीट उसके अंदर घुस जाता है. जाले में घुसकर यह कीट पत्तियों को खाना शुरू करता है. इस तरह पेड़ की सभी पत्तियां जाला कीट के प्रकोप से गुच्छों में बदल जाती हैं. कीट के प्रभाव से पत्तियां भी धीरे-धीरे सूखने लगतीं हैं और कुछ दिनों में पेड़ भी लगभग सूखने लगते हैं.
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