
आम भारत का सबसे लोकप्रिय और महत्वपूर्ण फल है, जिसे ‘फलों का राजा’ भी कहा जाता है. उत्तर भारत में आम के बागान मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, बिहार, पंजाब, हरियाणा और उत्तराखंड में विस्तारित हैं. आम के वृक्ष में पुष्पधारण (मंजर आना) एक महत्वपूर्ण अवस्था होती है, जो सीधे फल उत्पादन को प्रभावित करती है. आम में मंजर आने के समय किसानों को कई समस्याओं और प्रश्नों का सामना करना पड़ता है. इस लेख में आम के मंजर से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों और उनके उत्तरों को विस्तृत रूप में प्रस्तुत किया गया है.
आम के वृक्ष में मंजर कब आते हैं?
उत्तर भारत में आम में मंजर (फूल) आने का समय सामान्यतः जनवरी से मार्च के बीच होता है. तापमान, नमी, किस्म, और प्रबंधन तकनीकों के आधार पर यह समय थोड़ा आगे-पीछे हो सकता है.
मंजर आने के लिए उपयुक्त पर्यावरणीय परिस्थितियाँ क्या होनी चाहिए?
आम में मंजर बनने के लिए ठंडे और शुष्क मौसम की आवश्यकता होती है.
रात्रि का तापमान 10-15°C और दिन का तापमान 25-30°C होना चाहिए.
अत्यधिक नमी और निरंतर बारिश से मंजर झड़ सकते हैं या रोग लग सकते हैं.
ठंड और कोहरा मंजर बनने की प्रक्रिया को प्रभावित कर सकते हैं.
क्या सभी आम की किस्मों में मंजर एक ही समय पर आते हैं?
नहीं, आम की विभिन्न किस्मों में मंजर आने का समय अलग-अलग हो सकता है.
दशहरी, लंगड़ा, चौसा, बंबइया - फरवरी-मार्च में मंजर आते हैं.
आम्रपाली और मल्लिका - ये संकर किस्में हैं, जिनमें मंजर अपेक्षाकृत देर से आते हैं.
क्या आम में हर साल समान मात्रा में मंजर आते हैं?
नहीं, आम में एक "विषम फलन" (Alternate Bearing) की प्रवृत्ति होती है, जिसमें एक साल अच्छी मंजर और फल आते हैं, जबकि अगले साल कम मात्रा में मंजर आते हैं. यह समस्या दशहरी और लंगड़ा जैसी किस्मों में अधिक देखी जाती है.
आम में मंजर झड़ने के मुख्य कारण क्या हैं?
- मौसम संबंधी कारण – अत्यधिक ठंड, कोहरा, बारिश या तेज़ हवा.
- पोषक तत्वों की कमी – नाइट्रोजन, बोरॉन, और जिंक की कमी.
- कीट एवं रोग – पाउडरी मिल्ड्यू, ऐन्थ्रेक्नोज और मैंगो हॉपर का प्रकोप.
- अधिक सिंचाई – मंजर के समय अत्यधिक पानी देने से फूल गिरते हैं.
मंजर को झड़ने से कैसे बचाया जा सकता है?
- आम के बागों में मंजर आने के समय या फूल के खिले अवस्था में सिंचाई न करें .
- आवश्यकतानुसार 2-3 छिड़काव निम्नलिखित रसायनों से करें यथा...
- कार्बेन्डाजिम (1%) या थायोफिनेट मिथाइल (0.1%) – फफूंद जनित रोगों के नियंत्रण के लिए.
- डायमेथोएट (05%) या इमिडाक्लोप्रिड (0.05%) – कीट नियंत्रण के लिए.
- बोरॉन (2%) और पोटैशियम नाइट्रेट (1%) – पुष्प विकास को बढ़ाने के लिए.
आम के मंजरों में कौन-कौन से कीट और रोग लगते हैं?
मुख्य कीट:
- मैंगो हॉपर (Idioscopus spp.) – मंजर से रस चूसकर नुकसान करता है.
- थ्रिप्स (Scirtothrips dorsalis) – फूलों को नुकसान पहुंचाते हैं.
- मिली बग (Drosicha mangiferae) – पौधों का रस चूसकर फूल गिरा देती है.
मुख्य रोग:
- पाउडरी मिल्ड्यू (Oidium mangiferae) – मंजरों पर सफेद फफूंद.
- ऐन्थ्रेक्नोज (Colletotrichum gloeosporioides) – मंजर और फूल काले होकर गिर जाते हैं.
- डाईबैक (Lasiodiplodia theobromae) – मंजर और शाखाएं सूख जाती हैं.
उपरोक्त रोग कीट को कैसे करें प्रबंधित?
कीड़ों के प्रबंधन के लिए इमिडाक्लोप्रिड (0.05%) का छिड़काव करें.
रोग प्रबंधन के लिए सल्फर (0.2%) या कॉपर ऑक्सीक्लोराइड (0.3%) का छिड़काव करें.
क्या आम में सिंचाई मंजर बनने की प्रक्रिया को प्रभावित करती है?
हां, मंजर बनने से पहले अधिक सिंचाई करने से नई कोमल पत्तियां निकल आती हैं, जिससे पुष्पन प्रभावित होता है. इसलिए मंजर निकलने के बाद हल्की सिंचाई करनी चाहिए.
क्या मंजर बढ़ाने के लिए किसी विशेष पोषक तत्व की आवश्यकता होती है?
हां, मंजर को बढ़ाने के लिए पोटाश, फॉस्फोरस, बोरॉन और जिंक आवश्यक होते हैं यथा....
जून-जुलाई: प्रति प्रौढ़ वृक्ष (10 वर्ष) – 1 किग्रा यूरिया + 0.5 किग्रा म्यूरेट ऑफ पोटाश एवं सितंबर-अक्टूबर: 50-60 किग्रा कम्पोस्ट + 2 किग्रा सिंगल सुपर फास्फेट + 0.5 किग्रा म्यूरेट ऑफ पोटाश/वृक्ष देना लाभदायक होता है. पुष्पन के समय बोरॉन (0.2%) और जिंक सल्फेट (0.5%) का स्प्रे करें.
आम में फल बनने की संभावना कैसे बढ़ाई जाए?
प्लानोंफिक्स @ 1 मिली लीटर प्रति 3 लीटर पानी की दर से मंजर आने के ठीक पहले छिड़काव करने से मंजर की संख्या बढ़ सकती है. अधिक मात्रा में फूल से फल गिरने से बचाने के लिए प्लानोंफिक्स @ 1 मिली लीटर प्रति 3 लीटर पानी की दर से छिड़काव करने से टिकोले गिरने की दर में कमी आती है.
Share your comments