पौधों के आदर्श जलवायु, भूमि एवं सिंचाई के लिए एक नर्सरी का होना जरूरी है. एक अच्छी नर्सरी पौधों के विकास में सहायक है, लेकिन इसके लिए जरूरी है कि प्रबंध उचित ढंग से किया गया हो. इसमें कोई दो राय नहीं कि सब्जियों के उत्पादन में प्रबंधन एवं प्रतिरोपण सबसे महत्वपूर्ण कारक हैं. इससे एक तरफ जहां महंगे बीजों की बचत होती है, वहीं हल्की गति से आने वाले पौधों की देखभाल हो जाती है. इसके अलावा जड़ों की काट-छांट करने से पौधों में नई जड़ों का विकास होता है.
वैसे प्रतिरोपण का एक लाभ यह भी है कि इससे खेतों में लगे फसलों के काटने का समय भी बच जाता है और वो जल्दी तैयार हो जाते हैं. जल्दी तैयार होने के कारण बाजार में उनकी मांग अधिक होती है और मूल्य भी अच्छा मिलता है. लेकिन अच्छे परिणाम के लिए प्रतिरोपण के वक्त कुछ सावधानियों को रखना जरूरी है. चलिए आज हम आपको प्रतिरोपण और उससे जुड़ी सावधानियों से अवगत कराते हैं.
प्रतिरोपण और सावधानियां
प्रतिरोपण एक महत्वपूर्ण काम है. इसलिए पौधों को नर्सरी से इस प्रकार ही निकाला जाना चाहिए, जिससे कम से कम क्षति हो. पौधों को निकालने से पहले क्यारियों को अच्छी तरह सींच लेना चाहिए. पौधों को निकालने के बाद उन्हें गीले कपड़ो से ढंक कर किसी छायादार स्थान पर रखना चाहिए. ध्यान रहे कि इस दौरान उसमें से पानी का वाष्पीकरण कम से कम हो.
पौधों पर न पड़े दबाव
पौधों की जड़ के चारों ओर की मिट्टी ठोस होनी चाहिए, इसलिए उसे अच्छी तरह दबा दें. ध्यान रहे कि पौधों का संपर्क मृदा के निकट में न होने पाए और दबाव केवल मिट्टी पर ही पड़े. जड़ को चारों ओर से हवा मिलना जरूरी है. यह क्रिया खासकर बरसात के दिनों में लाभकारी है.
हल्की छंटाई हो सकती है लाभदायक
पौधरोपण के समय वाष्पीकरण रोकने के लिए पौधों की कुछ पंक्तियां कम कर सकते हैं. लेकिन ध्यान रहे कि केवल हल्की छंटाई ही लाभकारी हो सकती है, भारी छंटाई उत्पादन को कम कर सकता है. वैसे प्रतिरोपण का कार्य जल्दी पूरा कर लेना चाहिए.
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