शहद के बड़े उत्पादकों की सूची में भारत का नाम भी आता है. अगर भारत में शहद उत्पादन की बात करें तो यहां शहद का उत्पादन 80 हजार मिलियन टन पार पहुंच गया है. शहद की बेहतर गुणवत्ता होने के कारण हम अमेरिका सहित अन्य देशों में इसका निर्यात भी करते हैं . देश में शहद के उत्पादन को तेजी से बढ़ावा देने के लिए सरकार ने पहली बार नेशनल बी बोर्ड को 10 करोड़ रुपए का बजट भी दिया है. इसीलिए मध्यप्रदेश के मुरैना में मधुमक्खीपालन को तेजी से बढ़ाने पर जोर दिया है.
इटैलियन मधुमक्खी ज्यादा देती शहद
केंद्र की मोदी सरकार का उद्देश्य है कि वर्ष 2022 तक कैसे भी करके किसानों की आय को दोगुना किया जा सके और इसके लिए सरकार खेती-बाड़ी समेत मधुमक्खीपालन को बढ़ावा देने पर खासा जोर दे रही है. वही उद्यानिकी विभाग के वैज्ञानिकों के अनुसार भारतीय मधुमक्खी के मुकाबले इटैलियन मधुमक्खी ज्यादा शहद देती है. दरअसल भारतीय मधुमक्खी का व्यवहार ज्यादा दोस्ताना नहीं होता है. वह छत्ते को छोड़कर वहां से उड़ जाती है. वही इटेलियन मधुमक्खी फ्रेंडली होती है, वह कॉलोनी को छोड़कर भी वापस वही आ जाती है. भारतीय मधुमक्खी में शहद की मात्रा कम ही होती है. इनकी जनसंख्या भी कम ही होती है. वही इटैलियन मधुमक्खी की आबादी बढ़कर 50 हजार तक पहुंच जाती है और यह शहद उत्पादन भी तीन गुना ज्यादा करती है.
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय में आई इटैलियन मधुमक्खी
पंजाब एग्रीकल्चर विश्वविद्यालय वर्ष 1963 में बाहर से इटैलियन मधुमक्खी का पहला बीज लेकर आई थी. इस पर 1976 तक रिसर्च चली और र्ष 1976 में पहली बार पंजाब के किसानों को मधुमक्खीपालन के लिए दो बॉक्स मधुमक्खी के दिए गए थे. बाद में उन्होंने इन्ही दो बॉक्स के जरिए और ज्यादा मधुमक्खी पालन को आगे बढ़ाया.
उद्यानिकी विभाग देता है ट्रेनिंग और सब्सिडी
नेशनल हॉर्टिकल्चर मिशन के तहत बागवानी महकमा मधुमक्खीपालन करने वाले किसानों को 1600 रूपए की सब्सिडी देता है.इसमें 800 रूपए बॉक्स और 800 रूपए मधुमक्खीपालन के शामिल होते है. एक बॉक्स समेत मधुमक्खीपालन की खरीद पर किसान के चार हजार रूपये खर्च होते है. यह सब्सिडी केवल उन्ही किसानों को मिलती है जिन्होंने हार्टिक्लचर विभाग या पीएसयू विभाग से ट्रेनिंग ली है. बॉक्स और मधुमक्खी मान्यता प्राप्त संस्थान से ही खरीदी होनी चाहिए. यह विश्वविद्यालय हर साल फरवरी और मार्च तथा सितंबर -नंबवर से ट्रेनिंग कैंप लगाते है.ये ट्रेनिंग फ्री होती है.
मीठी क्रांति से हो रहा लाभ
खादी ग्रामोद्योग विभाग ने हनी मिशन शुरू किया है. इसके जरिए किसान और पैसा कमाने की चाह रखने वाले रोजगार शुरू कर सकते है. लोग हनी मिशन के तहत मधुमक्खी पालन कर अतिरिक्त कमाई कर सकते है. अब तो ऐसी तकनीक आ गई है. इसके माध्यम से शहद निकालते समय मधुमक्खी मरती नहीं है बल्कि मॉम और पालन भी बनता है. 10 बक्सों की ईकाई शुरू करने पर 80 फीसदी अनुदान विभाग की ओर से दिया जाता है. शेष 20 फीसदी किसान को लगाना होता है. अनुमानित तौर पर मधुमक्खी पालन के 10 बॉक्स की ईकाई में 35 हजार रूपये का खर्च आता है. इसमें सात हजार रूपए किसानों को लगाना पड़ता है.
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