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जीरो टिलेज तकनीक अपनाकर किसान गेहूं उत्पादन बढ़ाये...

आज के समय में गेहूँ की खेती करते समय किसान भाई अगर भूमि के साथ ज्यादा खिलवाड़ न करके बोएं या यूँ कह सकते है कि जुताई अगर जीरो के बराबर करके करें तो अधिक उत्पादन ले सकते हैं। जीरो जुताई से गेहूँ बिजाई एक अनोखी तकनीक है जिसका नाम है जीरो टिलेज सीड कम फर्टिलाइजर ड्रिल मशीन। इस मशीन से किसान भाई अपने बाजरा, कपास धान आदि की फसलों की कटाई करते ही तुरंत प्लेव करके गेहूँ की बिजाई सीधा जमीन में कर सकते है।

आज के समय में गेहूँ की खेती करते समय किसान भाई अगर भूमि के साथ ज्यादा खिलवाड़ न करके बोएं या यूँ कह सकते है कि जुताई अगर जीरो के बराबर करके करें तो अधिक उत्पादन ले सकते हैं। जीरो जुताई से गेहूँ बिजाई एक अनोखी तकनीक है जिसका नाम है जीरो टिलेज सीड कम फर्टिलाइजर ड्रिल मशीन। इस मशीन से किसान भाई अपने बाजरा, कपास धान आदि की फसलों की कटाई करते ही तुरंत प्लेव करके गेहूँ की बिजाई सीधा जमीन में कर सकते है। इस तकनीकी से जो समय जुताई आदि में लगता है उसे बचाया जा सकता है। बीज की मात्रा भी उचित दूरी पर तथा समान रूप से बीजा जा सकता है। इस विधि से बीज तथा खाद एक साथ बीजा जा सकता है। वैज्ञानिक तौर पर यह पूरी तरह सिद्ध हो चूका है कि बाजरा, गेहूं, कपास-गेहूं तथा धान -गेहूं फसल चक्र वाले क्षेत्रों में यह मशीन पूरी तरह उपयोगी पाई जाती है। यह तकनीक हरियाणा, पंजाब, पश्चिमी उत्तर प्रदेश राज्यों में किसान भी अत्यधिक अपना रहे हैं तथा गेहूं की बिजाई कम लागत में करके अधिक पैदावार प्राप्त कर रहे हैं।

जीरो टिलेज क्यों और कैसे : अनुसंधान से यह पाया गया है कि अगर गेहूं की बिजाई २५ नवंबर के बाद करता है तो प्रतिदिन २५-३० किलोग्राम प्रति हैक्टेयर उपज में कमी आती है। इसके साथ साथ खेत को तैयार करने के लिए होने वाले खर्च को भी बनाया जा सकता है।  अतः मशीन द्वारा समय पर बिजाई करके पैदावार में होने वाले नुकसान को बचाया जा सकता है ।

बाजरा, कपास तथा धान की फसलों में अगर हो सके तो कटाई से कुछ दिन पहले या कटाई बाद सिंचाई कर दी जाती है। फसल कटाई होते ही बची हुई नमी में तुरंत इस मशीन द्वारा सीधे तौर पर गेहूं की बिजाई कर दी जाती है। इस प्रकार खेत तैयारी में जो समय लगता है उसे सुचारु रूप से दूसरे खेती कार्यो में उपयोग किसान भाई कर सकते है ।

जीरो टिलेज कहाँ:- जहाँ पर फसल कटाई में या देर से पकने में ज्यादा समय लगता है तथा गेहूं की बिजाई २५ नवंबर के बाद हो पाती है वहां पर इस मशीन का उपयोग अति लाभदायक सिद्ध हुआ है। इस मशीन का उपयोग अति चिकनी मिट्टी को छोड़कर सभी प्रकार की मिट्टी में सुचारु रूप से किया जा सकता है।

जीरो टिलेज तकनीक के लाभ निम्नलिखित है:-

१. खेत की तैयारी पर होने वाले खर्च को १२००- १५०० रुपए प्रति एकड़ तक बचाया जा सकता है।

२. इस मशीन द्वारा एक एकड़ को घंटे में बीजा जा सकता है जबकि सामान्य अवस्था में ५-६ घंटे लगते है।

३. इस मशीन द्वारा समय की बचत की जा सकती है जिसका सदुपयोग किसान दूसरे खेती कार्यों में कर सकते है।

४. इस विधि द्वारा बीज तथा खाद समुचित गहराई तथा दुरी पर बीजा जा सकता है तथा बीज की मात्रा भी उचित पड़ती है।

५. खरपतवार के जमाव में ४०-५० प्रतिशत तक कमी होती है क्योंकि जुताई न होने पर बीज गहराई में ही दबा रहता है।

६. इस मशीन के उपयोग से बुआई के पश्चात वर्षा होने पर पपड़ी नहीं जमती ।

७. मजदूरी तथा डीजल में २५-३० प्रतिशत तक बचत की जा सकती है जिससे पर्यावरण शुद्ध रहता है।

८. पहली सिंचाई के समय पानी को १०-२० प्रतिशत तक बचाया जा सकता है।

९. इस तकनीक का उपयोग करने से अलग अलग शोध से पाया गया है कि फसल उत्पादन में १०-१५  प्रतिशत तक बढ़त होती है।

१०. बाजरा तथा धान कि फानो को जलाने की आवश्यकता नहीं पड़ती जिससे पर्यावरण शुद्ध तथा भूमि की उर्वरक शक्ति में वृद्धि होती है ।

११. इस तकनीकी द्वारा बिजाई करने में भूमि में नमी बनी रहती है जिससे फसल में हवा नहीं निकलती तथा पकाव अच्छा होता है।

१२. इस मशीन द्वारा गेहूं बिजाई करने सालों -साल किसान भाई अच्छी पैदावर ले सकता है ।

१३. इस मशीन का उपयोग ग्रीष्मकालीन मुंग बिजाई में भी किसान सरसों व गेहूं के खेत में कर सकता है।

जीरो टिलेज संबंधी कुछ महत्वपूर्ण सुझाव:-

  1. बाजरा, कपास तथा धान कटाई करते समय यह ध्यान रखें कि डंठल/फानें ज्यादा बड़े ना हो ।
  2. गेहूं बिजाई करते समय गहराई ५ से ७ से. मि .रखें ।
  3. अगेती बिजाई करने से फसल उत्पादन में वृद्धि होती है ।
  4. मशीन की देख रेख समय समय पर करते रहें तथा उचित स्थान पर रखें
  5. इस मशीन को चलाने के लिए प्रशिक्षण लेना जरुरी है ।
  6. बिजाई करते समय उचित गहराई करने हेतु मशीन के दोनों तरफ पहिये से स्क्रू बोल्ट की सहायता से ऊपर नीचे रख सकते है ।
  7. मशीन के दोनों तरफ ड्राविंग व्हील होते है इससे आवश्यक्तानुसार दिए गए ग्रुप की सहायता से व्यवस्थित कर सकते है।
  8. मशीन चलते समय पीछे दिए गए लकड़ी के फट्टे पर बैठ कर एक व्यक्ति को यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए की बीज या खाद सही निकल रहे है या नहीं, कोई नलकी बंद तो नहीं है।
  9. इस मशीन द्वारा किसान भाईयों से सुझाव दिया जाता है कि गेहूं बीज की मात्रा ५० कि. ग्रा. प्रति एकड़ प्रयोग करें ।
English Summary: Increasing farmer wheat production by adopting zero-telex technology ... Published on: 04 November 2017, 04:47 IST

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