जब कभी तेज बारिश या बर्फबारी होती है तो किसानों के लिए कई परेशानियां लेकर आती है. मगर इस बार दिसंबर के अंत में हुई बर्फबारी और बारिश बागवानी के लिए संजीवनी मानी जा रही है.
दरअसल, बागवानी के विशेषज्ञों का कहना है कि दिसंबर के अंत में हुई बर्फबारी और बारिश बागवानी के लिए काफी अच्छी है. इससे सेब के पेड़ों को कड़ाके की ठंड (चिलिंग ऑवर्स) मिलना शुरू हो गया है.
बागवानी विशेषज्ञों की सलाह (Horticulture expert advice)
विशेषज्ञों की तरफ से बागवानों को सलाह है कि वह अपने बगीचों में तौलिए बनाने के काम में जुट जाएं. इसके साथ ही किसान खेतों में खाद डाल दें और सब्जी की पौध की रोपाई का काम भी शुरू कर दें.
बागवानी विशेषज्ञ कहते हैं कि अभी तक सूखे के कारण तापमान नीचे नहीं जा रहा था. इस बार बर्फबारी और बारिश हुई है, जिससे बगीचों को अच्छी बर्फ मिली है. इससे चिलिंग ऑवर्स भी शुरू हो गयाहै. अब बागवानों को बगीचों में तौलिए बनाने के काम करना चाहिए.
पेड़ों पर नहीं होगा रोगों का (There will be no diseases on trees)
दिसंबर के अंत में हुई बर्फ से पेड़ों पर वूली एफिड और कैंकर जैसे रोगों का प्रकोप नहीं होगा.
बता दें कि कई बागवानों ने दिसंबर में प्रूनिंग का काम कर लिया है. अगर मजबूरी है, तो इस समय प्रूनिंग कर सकते हैं, नहीं तो प्रूनिंग यानी काटछांट का काम जनवरी या फरवरी में कर सकते हैं. इसके अलावा बगीचों में खाद डालनी है, तो गोबर की खाद ही डालें, बाकी अन्य खाद मार्च में डालें.
इसके अलावा दिसंबर अंत की बारिश अन्य फसलों के लिए भी लाभकारी है. अब किसान खेत में खाद डाल सकते हैं, तो वहीं फसलों पर दवाओं का स्प्रे भी कर सकते हैं. किसान सब्जी के पौधों की रोपाई का काम कर सकते हैं, तो वहीं किसान खेतों में पिछेता किस्मों की फसलों की बिजाई भी कर सकते हैं.
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