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यहां एक बगीचे से की जा रही है 24 लाख की कमाई, कीवी की बागवानी से छप्परफाड़ कमाई

भले ही कीवी एक विदेशी फल हो लेकिन इसकी डिमांड और बागवानी का प्रचलन देश में बढ़ता जा रहा है. बाजारों में काफी महंगा मिलने की वजह से ये बढ़िया कमाई का अच्छा विकल्प हो सकता है. कीवी में भरपूर मात्रा में विटामिल सी, विटामिन ई, फाइबर, पोटेशियम, कॉपर, सोडियम और एंटी ऑक्सीडेंट पाया जाता है. इसमें संतरे के मुकाबले कई गुना ज्यादा विटामिन सी पाई जाती है. जिसकी वजह से इन्यून सिस्टम को मजबूत करने के साथ-साथ कई बीमारियों में फायदेमंद है.

अकबर हुसैन
अकबर हुसैन

भले ही कीवी एक विदेशी फल हो लेकिन इसकी डिमांड और बागवानी का प्रचलन देश में बढ़ता जा रहा है. बाजारों में काफी महंगा मिलने की वजह से ये बढ़िया कमाई का अच्छा विकल्प हो सकता है. कीवी में भरपूर मात्रा में विटामिल सीविटामिन ईफाइबरपोटेशियमकॉपर, सोडियम और एंटी ऑक्सीडेंट पाया जाता है. इसमें संतरे के मुकाबले कई गुना ज्यादा विटामिन सी पाई जाती है. जिसकी वजह से इन्यून सिस्टम को मजबूत करने के साथ-साथ कई बीमारियों में फायदेमंद है. कीवी में मौजूद गुणों की वजह से देश और दुनिया में इसकी बहुत ज्यादा डिमांड है. अगर भारत में इसे उगाया जाए तो ना सिर्फ किसानों की आय बढ़ेगी बल्कि अर्थव्यवस्था पर भी सकारात्मक असर पड़ेगा.

भारत में कीवी कहां उगाया जाता है?

देश में कीवी की बढ़ती मांग को देखते हुए कई राज्यों में इसे उगाया जाने लगा है. हिमाचल प्रदेश, केरलाउत्तर प्रदेश और मेघालय जैसे राज्यों में इसकी बागवानी व्यापक स्तर पर हो रही है. कीवी के उत्पादन में नागालैंड काफी तरक्की कर रहा है. कीवी उत्पादन के लिए नागालैंड को सरकार की तरफ से भी मिल चुकी है. नागालैंड में एक हैक्टेयर बगीचे से लगभग 24 लाख तक की कमाई की जा रही है. वैसे कीवी मूल रूप से चीन का फल माना जाता है, इसलिए इसको चाइनीज़ गूज़बैरी भी कहा जाता है. कमाई के हिसाब से ये फल सेब से भी ज्यादा आमदनी देने वाला है.

कीवी की प्रमुख किस्में (varieties of Kiwi)

कीवी की उगाए जाने वाली प्रमुख किस्में एबॉट, एलीसन,  हेवर्डब्रूनो, मोंटी और तोमुरी हैं.

कीवी की पौधे कैसे तैयार करें?

बडिंग या कलम विधि से कीवी की पौध तैयार करना सबसे सही रहता है, इसके लिए कीवी फल से बीजों को निकालें साफ करके उन्हें अच्छे से सुखा लें. सुखाने के एक हफ्ते बाद बीज की बुवाई करें. नर्सरी तैयार करते हुए ध्यान रखें कि बुवाई के बाद एक हफ्ते के लिए इस पर सीधी धूप ना पड़े, इसलिए इसे अंदर ही रखें. इसके बाद क्यारियों पर मल्चिंग कर दें और जुलाई तक पौध पर छाया रहने दें. जब पौधे में 4 से 5 पत्ते आ जाए तो रोपाई का काम करें, मई या जून महीने में इसे नर्सरी में लगा सकते हैं.

ग्राफ्टिंग- कलम विधि से कीवी की पौध तैयार करने के लिए एक साल पुरानी शाखाओं को काट लें. इसमें 2 से 3 कलियां होनी चाहिएं यानी इन शाखाओं की लंबाई 15 से 20 सेमी के बीच होनी चाहिए. अब 1000 पीपीएम आईबी  नाम का रूट ग्रोथ हार्मोन लगाकर मिट्टी में गाड़ दें. याद रहे हि गाड़ने के बाद ये हिलना नहीं चाहिए और इस पर तेज धूप भी ना लगे. ये काम जनवरी महीने में होना चाहिए. इस तरह से तैयार हुआ पौधा एक साल बाद रोपाई के लिए तैयार हो जाता है.

लेयरिंग विधि- कीवी के पौध की एक साल पुरानी शाखा का चुनाव कर उसकी एक इंच छाल चारो तरफ से हटा दें, इसके बाद उसके चारों ओर अच्छे से मिट्टी बांध दें, इसमे हवा नहीं जानी चाहिए. करीब एक महीन के भीतर इसमें से नस्से निकलने लगेंगे. इसके बाद इस शाखा को मुख्य पौध से काटर दूसरी जगह लगा दें. इसको मुख्य पौधे से हटाते समय ये ध्यान रखें कि शाखा चिरनी नहीं चाहिए, और जहां मिट्टी बांधी थी उसके ठीक नीचे से काटें.  

मिट्टी का मिश्रण कैसा हो?

कीवी की कलम लगाने के लिए बालू, सड़ी खादमिट्टीलकड़ी का बुरादा और कोयले का चूरा 2:2:1:1 के अनुपात उचित रहता है.

भूमि का चुनाव

कीवी की बागवानी के लिए अच्छी जल निकासी वाली, गहरीउपजाऊबलुई रेतीली दोमट मिट्टी उचित रहती है. जिसका पीएच मान 5.0 से 6.0 के बीच होना चाहिए.

उपयुक्त जलवायु

भारत के हल्के उपोष्ण और हल्के शीतोष्ण जलवायु वाले क्षेत्र जिनकी समुद्र तल से ऊंचाई 1000 से 2000 मीटर के बीच हो.  सालभर में करीब 150 सेमी की औसत से बारिश होनी चाहिए. सर्दियों तापमान 7 डिग्री सेल्सियस तक रहना चाहिए.

कीवी के पौधों में सिंचाई की व्यवस्था

कीवी के पौधों को गर्मियों में ज्यादा पानी की जरूरत पड़ती है. गर्मियों में 10 से 15 दिनों के अन्तराल से सिंचाई कर सकते हैं.

रोग और रोकथाम

कीवी के पौधों में मुख्य रूप से जड़ गलन, कालर रॉटक्राउन रॉट आदि रोग होते हैं. यह रोग मिट्टी में फफूंद लगने की वजह से होते हैं. बरसात और गर्मियों में इन रोगों के होने की ज्यादा संभावना रहती है. इनकी वजह से पत्तियां  मुरझाकर आकार में छोटी होने लगती है, टहनियां सूख जाती और जड़े गलकर पौध खराब हो जाती है.

रोकथाम- कीवी की पौध को फफूंद से बचाने के लिए सबसे कारगर उपाय यही है कि जड़ों में पानी भरा नहीं रहना चाहिए यानी जल निकासी की अच्छी व्यवस्था हो.

बैक्टीरियल लीफ स्पॉट- कीवी के पौधों में ये रोग बसंतऋतू के अंत में होता है. इससे पत्तियां प्रभावित होती है जिसकी वजह से पत्तियों पर पीले रंग के धब्बे पड़ने लगते हैं.

रोकथाम- जीवाणुनाशक का छिड़काव कली खिलने से पहले करना चाहिए.

कीवी की बागवानी से जुड़ी ज्यादा जानकारी के लिए संपर्क सूत्र (Contact):

उत्तराखंड में कई जगह कीवी की खेती की जा रही है यहां टिहरी जिले के दुवाकोटी गांव की सीता देवी ने कीवी की बागवानी कर बंपर कमाई के साथ-साथ अपना नाम भी ऊंचा किया.

किसान का फोन नंबर- 7830840344

पता- दुवाकोटी गांव, टिहरी जिला, उत्तराखंड

राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड 74/B फेज 2 , पंडित वारीराजपुर रोडदेहरादून

फोन नंबर- 0135-2774272

उद्यान पंडित कुंदन सिंह पंवार से तकनीकी जानकारी ले सकते हैं

मोबाइल नंबर- 7895895675

कीवी की पौधे लेने और तैयार करने की जानकारी के लिए बीरेंद्र सिंह असवाल से संपर्क करें,

मोबाइल नंबर- 9411396869

English Summary: Earning from kiwi cultivation or gardening Published on: 01 December 2020, 01:02 IST

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