1. Home
  2. बागवानी

बागवानी फसलों की इन किस्मों से कमाएं अच्छी आमदनी

किसान भाइयों आधुनिक दौर में बागवानी फसलों के अच्छे उत्पादन द्वारा आप अच्छी कमाई कर सकते हैं। आम, आँवला, अमरूद जैसी फसलों के बाग लगाकर आप अच्छी आमदनी प्राप्त कर सकते हैं लेकिन इन सब के बीच आवश्यक है कि आप अच्छे किस्म के बाग लगाकर अच्छी फसल प्राप्त करें। इसलिए नीचे कुछ किस्मों के बारे में जानकारी दी जा रही है जिनसे आप अच्छा उत्पादन ले सकते हैं।

किसान भाइयों आधुनिक दौर में बागवानी फसलों के अच्छे उत्पादन द्वारा आप अच्छी कमाई कर सकते हैं। आम, आँवला, अमरूद जैसी फसलों के बाग लगाकर आप अच्छी आमदनी प्राप्त कर सकते हैं लेकिन इन सब के बीच आवश्यक है कि आप अच्छे किस्म के बाग लगाकर अच्छी फसल प्राप्त करें। इसलिए नीचे कुछ किस्मों के बारे में जानकारी दी जा रही है जिनसे आप अच्छा उत्पादन ले सकते हैं।

यह किस्में लखनऊ स्थित केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान द्वारा विकसित किया गया है। इस बीच संस्थान द्वारा आपको नर्सरी लगाने के लिए भी प्रोत्साहन दिया जा रहा है।

अंबिका 2000-

यह आम की किस्म आम्रपाली व जनार्दन पसंद किस्म का क्रॉस है। इस किस्म के आम का वजन लगभग 300 ग्राम से 350 ग्राम तक होता है जो कि रंग में आकर्षक होने के कारण बाजार में काफी पसंद किया जाता है। यह उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, गुजरात व बिहार की जलवायु के लिए उपयुक्त किस्म मानी जाती है।

अरुणिका 2008-

यह आम्रपाली व वनराज किस्म का संकर किस्म है। यह मध्यम आकार का हल्के वजन वाला आम होता है जो कि एक पेड़ से करीब 69-70 किग्रा की उपज देता है। यह भी अपने रंग एवं खुश्बू के कारण बाजार में बिक्री के लिए काफी पसंद किया जाता है।

आम की अन्य प्रसिद्ध किस्म-

हायब्रिड 1084-

यह किस्म भी जनार्दन पसंद व आम्रपाली किस्म का क्रास है। यह भी भंडारण करने के लिए एक उपयुक्त किस्म है साथ ही रंग व स्वाद में काफी आकर्षक फल देती है।

CISH M-2( दशहरी X चौसा)-

यह किस्म दशहरी से 15 दिन देर से पकती है लेकिन वर्षा का इसके फल कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। इसका फल देखने में दशहरी जैसा ही होता है जो कि उत्तर भारत की एक प्रचलित हायब्रिड किस्म है। यह वजन में औसत 220 ग्राम का फल होता है। इसका गूदा गहरा पीला व फायबर युक्त होता है।

हायब्रिड 949-

यह किस्म वनराज व आम्रपाली किस्म की संकर किस्म है जो कि गहरे लाल रंग का गूदा वाला फल देती है। यह भी भंडार गृह में भंडारण के लिए एक उपयुक्त किस्म है।

अमरूद की किस्म-

ललित 1999-

यह किस्म अन्य किस्मों की तुलना में अधिक उत्पादन देती है जो 6 वर्ष के अंतराल पर करीब एक पेड़ से औसत 100 किलोग्राम फल प्रदान करते हैं। इस किस्म के फल 100 गाम में लगभग 250 मिलीग्राम विटामिन सी की मात्रा प्रदान करते हैं। इसके अतिरिक्त इस किस्म के फल की भंडारण क्षमता भी अधिक होती है जो कि एक वर्ष तक शुद्ध बना रहता है। यह आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र की जलवायु के लिए उपयुक्त किस्म है।

श्वेता 2005-

यह एक मध्यम प्रकार की फल वाली लगभग 220 ग्राम वजन वाली किस्म है। सफेद रंग का गूदा वाला फल विटामिन सी की मात्रा अधिक रखने वाली किस्म है। यह 6 वर्ष के अंतराल के दौरान विकसित पौधे से करीब 90 किलोग्राम फल का उत्पादन देती है।

जामुन-

जामुन CISH J-42-

यह बीजरहित फल वाली किस्म है। जो कि उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले में विकसित किया गया है। एक फल का औसत वजन 8 ग्राम होता है। लंबाई 2.27 सेमी व चौड़ाई 2.18 सेमी होती है। यह किस्म सबसे अलग है क्योंकि बीजरहित होने के कारण यह प्रसंस्करण के लिए एक उपयुक्त किस्म है।

जामुन CISH J-37-

यह किस्म भी केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान द्वारा विकसित किया गई है। इस किस्म का फल 22-24 ग्राम का होता है। इसका फल लगभग 3.90 सेमी का होता है साथ ही व्यास 3.03 सेमी होता है। 

किसान भाइयों आप कृषि सबंधी जानकारी अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकतें हैं. कृषि जागरण का मोबाइल एप्प डाउनलोड करें और पाएं कृषि जागरण पत्रिका की सदस्यता बिलकुल मुफ्त...

https://goo.gl/hetcnu

विभूति नारायण तिवारी

English Summary: Earn good income from these varieties of gardening crops Published on: 13 February 2018, 03:50 IST

Like this article?

Hey! I am . Did you liked this article and have suggestions to improve this article? Mail me your suggestions and feedback.

Share your comments

हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें. कृषि से संबंधित देशभर की सभी लेटेस्ट ख़बरें मेल पर पढ़ने के लिए हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें.

Subscribe Newsletters

Latest feeds

More News