अपने घर और बगीचों को सुंदर और आकर्षक बनाने के लिए लोग तरह-तरह के पौधे लगाते है. बाजार में रंग-बिरंगे और छोटे-बड़े सभी तरह के फूल मौजूद हैं. इनमें गेंदा बहुत आकर्षक और खूबसूरत होता है.
गेंदे के फूल का उपयोग मंदिर से लेकर शादी-विवाह जैसे मौकों पर सजावट के लिए होता है. लेकिन गेंदे का फूल महज एक फूल नहीं, बल्कि औषधीय चमत्कार वाला फूल है. इतना ही नहीं, अपने तमाम फायदों की वजह से गेंदे की खेती भी खूब फायदेमंद साबित होती है.
भारत में गेंदे का पौधा सबसे ज्यादा लगाए जाने वाले पौधों में एक है. भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान की प्रधान वैज्ञानिक डॉ तेजस्विनी पी द्वारा अर्का शुभा नामक गेंदे की एक नई किस्म का विकास किया गया है. इस लेख में पढ़ें अर्का शुभा गेंदे के बारे में जानकारी
क्यों विशेष है अर्का शुभा गेंदा (Why is Arka Shubha Marigold special?)
अन्य किस्म के गेंदों में कैरोटीन की अधिकतम मात्रा 1.4 % पायी जाती है जबकि अर्का शुभा में 2.8 % कैरोटीन पाया जाता है जो कि गेंदें की अन्य किस्मों की तुलना में उच्चतम है. इस नई किस्म की ख़ास विशेषता है कि इस किस्म के गेंदे के फूल खराब होने पर भी मूल्यवान है.
अर्का शुभा का उपयोग (Uses of Arka Shubha)
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इस नई किस्म को न केवल सजावटी उद्देश्य के लिये प्रयोग किया जा सकता है, बल्कि यह कच्चे कैरोटीन का भी अच्छा स्रोत है.
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अर्का शुभा किस्म का उपयोग पोल्ट्री क्षेत्र में किया जाता है. इसकी पंखुडि़यों का इस्तेमाल मुर्गी के चारे के रूप में किया जा सकता है ताकि गुणवत्तापूर्ण जर्दी प्राप्त की जा सके.
उद्देश्य (Objective)
हेसारघट्टा के भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान द्वारा किये जा रहे शोधों का उद्देश्य फलों, सब्जियों, सजावटी पौधों और औषधीय उत्पादों में अधिक उपज देने वाली किस्मों को विकसित करके बागवानी फसलों की पैदावार बढ़ाना है.
आयात निर्भरता कम करने में सहायक (Helpful in reducing import dependency)
कैरोटीन मुख्य रूप से फार्मास्युटिकल क्षेत्र में उपयोग किया जाता है, इसलिए इसकी हमेशा उच्च मांग होती है. वर्तमान समय में , भारत अपने अधिकांश कैरोटीन का आयात चीन सहित अन्य देशों से करता है. इसलिए यह किस्म आयात निर्भरता को कम करने में काफी सहायक होगी.
क्या है कैरोटीन (What is Carotene)
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कैरोटीन कैरोटीनॉयड वर्णक हैं जो ऑक्सीजन रहित होते हैं. कैरोटीन ज़्यादातर असंतृप्त हाइड्रोकार्बन होते हैं, जिनमें केवल कार्बन और हाइड्रोजन उपस्थित होता है.
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ये पीले, नारंगी या लाल आदि रंगों में हो सकता है.
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कैरोटीन गाजर के नारंगी रंग के लिये उत्तरदायी होता है
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α-कैरोटीन, β-कैरोटीन, और लाइकोपीन कैरोटीन के उदाहरण हैं.
बागवानी से संबंधित हर विशेष जानकारी के लिए जरुर पढ़ें कृषि जागरण हिंदी पोर्टल के लेख.
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