धान :
1. धान की मध्यम व देर से पकने वाली प्रजातियों की रोपाई प्रथम पखवाड़े में, शीघ्र पकने वाली प्रजातियों की रोपाई द्वितीय पखवाड़े में तथा सुगन्धित किस्मों की रोपाई माह के अन्त में करें।
2. धान की रोपाई से पूर्व 25 किग्रा/हैक्टेयर की दर से जिंक सल्फेट खेत में मिला दें परन्तु ध्यान रखें कि फॉस्फोरस वाले उर्वरक के साथ जिंक सल्फेट कभी न मिलाएं।
3. धान में खैरा रोग के लक्षण दिखाई देने पर प्रति हैक्टेयर 5 किग्रा जिंक सल्फेट व 2.5 किग्रा चूना 800 लिटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।
सब्जियां :
1. भिण्डी, सेम, लोबिया, चौलाई तथा कद्दू वर्गीय सब्जियों की निम्न प्रजातियों की बुवाई।
2. लोबिया-पूसा सुकोमल
3. लौकी-पूसा नवीन, पूसा संतुष्टि, पूसा हाइब्रिड 3।
4. करेला-पूसा दोमौसमी, पूसा औषधि, पूसा हाइब्रिड 2।
5. चिकनी तोरई-पूसा स्नेहा।
6. धारीदार तोरई-पूसा नूतन।
7. पेठा-पूसा उज्जवल, पूसा उर्मी, पूसा श्रेयाली।
8. गोभी-पूसा कार्तिकी, पूसा कार्तिक संकर।
बाजरा :
1. बाजरा की बुवाई 15 जुलाई के बाद पूरे माह की जा सकती है।
2. बुवाई के लिए प्रति हैक्टेयर 4-5 किग्रा बीज की आवश्यकता होती है।
3. बाजरा की प्रमुख किस्में पूसा 322, पूसा-23 हैं।
अरहर :
1. अरहर की उन्नत किस्मों तथा पूसा 2002, पूसा 2001, पूसा 992, पूसा 991 की बुवाई करें।
2. अरहर के लिए बीजदर 10-15 किग्रा./हैक्टेयर रखें।
3. उपरोक्त सभी किस्मों की अवधि 140-145 दिन है जो दो हरे फसल चक्र के लिए उपयुक्त है।
फलफसलें :
1. आम की आम्रपाली, मल्लिका, दशहरी, पूसासूर्य, पूसा अरुणिमा, तोड़ने के लिए तैयार हो जाती है।फलों को इथ्रेल के घोल में (1.8 मिली प्रति लिटर गुनगुने पानी) में 5 मिनट रखने से समान रूप से पकाएं।
2. आम, अमरुद तथा पपीता में फल मक्खी की रोकथाम के लिए इमिडाक्लोप्रिड ( 3मिली. 10 लिटर पानी) तथा मिथाइल युजिनोल फेरोमोंन ट्रैप का उपयोग करें।
3. नींबू वर्गीय फलों में जड़ गलन तथा फाइटॉपथोरा बीमारी की रोकथाम के लिए पौधों की जड़ो में रिडोमिल (2.5 ग्रा./लि. पानी) तथा अलीटे (60-120 ग्रा./लि. पानी )का छिड़काव करें।
राश्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिषन (एनएसएफएम)-
1. चावल, गेहूं, दालों और मोटे अनाज के उत्पादन में बढ़ोत्तरी।
2. क्षेत्र के विस्तार और टिकाऊ तरीके से उत्पादकता वृद्धि के माध्यम से दलहन उत्पादन में वृद्धि।
3. व्यक्तिगत स्तर पर खेत मिट्टी की उर्वरता और उत्पादकता को बहाल करने और खेत स्तर की अर्थव्यवस्था में वृद्धि।
4. किसान के बीच विश्वास बहाल करने के लिए खेत स्तर पर आय/अर्थव्यवस्था में वृद्धि।
5. सीमांत किसान और महिलाओं के लिए कम से कम 33 प्रतिशत फंड आवंटन।
राष्ट्रीय कृषि मंडी (ई-एनएएम)
कृषि विपणन क्षेत्र में प्रवेशक सुधार के उद्देश्य से और किसानों को अधिकतम लाभ देने के लिए पूरे देश में कृषि उत्पादों की ऑन लाइन विपणन को प्रोत्साहन देने के लिए भारत सरकार ने राष्ट्रीय कृषि बाजार कार्यान्वयन के लिए इस योजना को अनुमोदित किया है। इस योजना के अन्तर्गत सभी बाजारों में ई मार्केट प्लेटफार्म उपलब्ध कराया जाएगा जिससे ऑनलाइन ट्रेडिंग करने,
ई परमिट जारी करने और ई भुगतान आदि करने के साथ-साथ बाजार के सम्पूर्ण कार्य के डिजिटलाइजेशन को प्रोत्साहित किया जा सके।जिससे लेन-देन प्रक्रिया पारदर्शिता आ सके।
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