छत्तीसगढ़ के बलोद जिले में स्थापित पहले आधुनिक मिल्क प्लांट का पांच जून को मुख्ममंत्री डॉ रमन सिंह के द्वारा उद्घाटन किया जाएगा। इस संयंत्र में कुछ खास तरह के उपकरण भी इस्तेमाल किये गए हैं जो की ये बताने में सक्षम होंगे की दूध में पानी की मात्रा कितनी है और शुद्ध दूध कितना है। दूध को गांव गांव के पशुपालक गंगा मैय्या सहकारी समिति के जरिए 30 रुपए प्रति किलो के भाव से बेचा जाएगा। वहीं जिस दूध में पानी की मात्रा मौजूद होगी उसके दूध को यह मशीन रिजेक्ट कर देगी। इस बात से यह तो तय है यहां शुद्ध दूध को ही बेचा जाएगा। फिर उसी दूध को बारीकी से शुद्ध (बैक्टीरिया मुक्त) करने अलग अलग मशीनों में डाला जाएगा। उसके बाद तैयार शुद्ध दूध को 40 रुपए प्रति लीटर की भाव से बेचा जाएगा। वहीं इस समिती ने दूध का नाम गंगा दूध रखा है। यह जल्द ही आने वाले दिनों में ग्राहकों के लिए उपलब्ध हो जाएगा।
दूध सयंत्र भवन का निर्माण खनिज न्यास निधि के तहत 19.56 लाख रुपए में किया गया है। और पुणे से करीब 64 लाख रुपए की मशीन खरीदकर लगाई गई है। वहीं यहां लगे एक-एक मशीन की किमत लगभग 10 से 15 लाख रुपए है। बिजली गुल होने से काम बंद न हो इसलिए जनरेटर लगाया गया है। मशीनों को ठंडा रखने के लिए चिलर मशीन भी लगी है। अब प्लांट के बगल में यहां से निकलने वाले गंदे पानी को शुद्ध करने के लिए आठ लाख से जल शुद्धिकरण संयंत्र बनाया जा रहा है।
वहीं स्टोरेज क्षमता की बात करें तो इसकी स्टोरेज़ क्षमता लगभग 3000 लीटर है। और दूध के बैक्टीरिया को दूर करने के बाद इन्हें दूध के टैंकरों में भरा जाएगा। जिन्हें पैकेजिंग मशीन से आधा लीटर के पैकेट में भरने के बाद बिक्री के लिए कोल्ड रूम में 2 से 8 डिग्री के तापमान में रखा जाएगा।
अलग-अलग गांव से दूध बेचने आए लोगों से दूध खरीदकर एक कैन में इकट्ठा किया जाएगा और उसके बाद दूध तीन पाइप के जरिए होमो जेनाइम मशीन में जाएगा। जहां वह बैक्टीरिया को नष्ट कर दूध शुद्ध करेगा। फिर दूध स्टोरेज टैंक में जमा होगा। यहां से पैकेजिंग मशीन में पाइप से सीधा पैकेट बनकर निकलेगा।
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