देशभर में खेती के साथ-साथ मुर्गीपालन को बढ़ावा देने वाले कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से कई जिलों में नई प्रजातियों को पालक तक पहुंचाया जा रहा है। इसी बीच किसानों की सबसे बड़़ी समस्या ये है कि वह अपनी मु्र्गियों को मु्र्गीपालन के दौरान चूजों को बिल्ली, चील आदि के झप्पटों से काफी नुकसान उठाना पड़ता है. इन हमलो से बचाव के लिए कृषि विज्ञान केंद्र ने जबलपुर से खास प्रजाति के चूजे मांगवाए है जिनका नाम नर्मदा निधि है.
नर्मदा निधि के माध्यम से कृषकों को जहां पर अंडे आदि बेचकर लाभ कमाने का अवसर मिलेगा तो वही दूसरी ओर पक्षियों के झपट्टों से भी आसानी से निजात मिल सकेगी। दर्सल नर्मदा निधि की खास बात यह है कि इसके चूजे पंरम्परागत रूप से भागने में सक्षम होते है जिसके चलते बिल्ली, बाज, चील, श्वान आदि उनको आसानी से नहीं पकड़ पाते है. इसको लेकर नर्मदा निधि के चूजे प्रयोगिक तौर पर जिले के आधे दर्जन किसानों और मुर्गीपालन वालों को दिए गए है.
इस प्रजाति की एक और खास बात है कि इसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता भी काफी अधिक है और सस्ती होने के चलते इसके पालकों को काफी ज्यादा लाभ भी मिलेगा. इसको लेकर किसानों को मुर्गीपालन से तेजी से जोड़ने का काम भी विभाग तेजी से कर रहा है ताकि खेती के साथ ही लोग इससे आसानी से अन्य लाभ को कमा सके.
ये है नर्मदा निधि की खासियत (This is the specialty of Narmada Nidhi)
नर्मदा निधि की खासियत यह है कि ये मु्र्गी सामान्य के अपेक्षा ज्यादा अंडे देती है. सामान्य मु्रगी जहां पर सामान्य तौर पर 60 से 70 अंडे देती है वही दूसरी ओर ये नर्मदा निधि 100 से अधिक अंडे दे सकती है. इ्न्हीं अंडों को विज्ञान केंद्र द्वारा दूसरे पालकों को भी उपलब्ध करवाकर उनकी संख्या जिले में बढ़ाने का कार्य भी किया जाएगा. ये प्रजाति बिल्ली और चूजों के बचाव में काफी ज्यादा सक्षम है।
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