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बरसात में न करें ऐसी गलतियां, दुधारू पशुओं का सेहत होगा खराबः एनडीडीबी

मनुष्य की तरह पशु भी बरसात में विभिन्न रोगो के प्रति संवेदनशील होते है, बहुधा देखा गया है कि वर्षा ऋतु में पाचन से संबंधित रोग अधिक प्रकोप करते है. इस मौसम में भूसा, हरा-चारा, दाना, दलिया, एंव चोकर इत्यादि में फफूद का प्रकोप हो जाता है एंव नदियो तालाब का पानी कीटाणुओ तथा विभिन्न प्रकार के परजीवियो से प्रदूषित हो जाता है. प्रदूषित चारे दाने एंव पानी के सेवन से पशुओं को पाचन से संबंधित बीमारियां हो जाती है.

सिप्पू कुमार
सिप्पू कुमार

मनुष्य की तरह पशु भी बरसात में विभिन्न रोगो के प्रति संवेदनशील होते है, बहुधा देखा गया है कि वर्षा ऋतु में पाचन से संबंधित रोग अधिक प्रकोप करते है. इस मौसम में भूसा, हरा-चारा, दाना, दलिया, एंव चोकर इत्यादि में फफूद का प्रकोप हो जाता है एंव नदियो तालाब का पानी कीटाणुओ तथा विभिन्न प्रकार के परजीवियो से प्रदूषित हो जाता है. प्रदूषित चारे दाने एंव पानी के सेवन से पशुओं को पाचन से संबंधित बीमारियां हो जाती है.

ऐसे में नेशनल डेयरी डेवलपमेन्ट बोर्ड के चेयरमैन दिलीप रथ बताते हैं कि बरसात का मौसम पशुपालकों के लिए अधिक चुनौती भरा क्यों है. दुधारू पशुओं के चारा, स्वास्थ्य प्रबंधन, दूध दोहन का प्रबंधन, सामान्य एवं रखरखाव पर विशेष ध्यान देना चाहिए. बरसात का मौसम पशु बीमारियों के लिए सबसे घातक समय होता है. चलिए आपको बताते हैं कि बरसात के मौसम में बीमारियों से बचाव के लिए पशुपालकों को किस तरह के उपाय करने चाहिए.

आवास प्रबंधन:

पशुओं के शेड में पानी के रिसाव और जीवों को पैदा करने वाले स्तनदाह जानवरों के विकास में हो रही असुविधा को सुनिश्चित करें और पशुओं के लिए लीक प्रूफ शेड का प्रयोग करे. ध्यान रहे कि डेयरी पशु, विशेष रूप से ताज़े कैल्वर्स, जो भारी उडद के साथ होते हैं, फिसलन वाले फर्श के कारण दुर्घटनाओं के शिकार होते हैं. जानवरों के फिसलने से बचने के लिए रबड़ की चटाई का उपयोग करना उचित है. शेड में हवा की गति और शेड को सुखाने के लिए उच्च गति के पंखे लगाए जाए.

कीटों एवं मक्खियों को नियंत्रित करने के लिए शेड में कीटाणुनाशक का छिड़काव करें. बाढ़ ग्रसित क्षेत्रों में, जानवरों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट करने की अग्रिम योजना स्थानीय अधिकारियों के परामर्श से की जाए.

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आहार प्रबंधन:

बरसात के समय हरी घास में अधिक नमी और कम फाइबर होता है जो दूध में वसा अवसाद और पतला मल होने का कारण बनता है. इन समस्याओं से बचने के लिए हरी घास के साथ पर्याप्त सूखा चारा उपलब्ध कराएं.

ध्यान रहे कि इस मौसम में डेयरी पशु (एचसीएन) सनायड विषाक्तता के लिए अतिसंवेदनशील होते हैं, उन्हें चारा खिलाते समय पर्याप्त देखभाल की जानी चाहिए. दाने में आधिक नमी होने से कवक के विकसित होने की संभावना बढ़ जाती है, जिससे अफ्लाटॉक्सिं का स्तर अधिक हो जाता है. इससे पशुओं में दुग्ध उत्पादन और प्रजनन शक्ति भी प्रवावित होती है. दूध के उत्पादन को अधिकतम करने के लिए उच्च गुणवत्ता वाले पशु आहार और खनिज मिश्रण खिलाना सुनिश्चित करें.

स्वास्थ्य प्रबंधन:

हेमोरहाजिक सेप्टीसीमिया (गालघोटू) एक घातक बीमारी है, जो आमतौर पर बरसात के मौसम में होती है. बारिश शुरू होने से एक महीने पहले सभी जानवरो जो 6 महीने से ऊपर के है सभी जानवरों का टीकाकरण करें.

स्वच्छ वातावरण नहीं होने के कारण बरसात के मौसम में थनैला रोग आम है. इस बीमारी से निपटने के लिए पशु चिकित्सा की सहायता लें. आयुर्वेद दवाइयों का भी उपयोग किया जा सकता है. परजीवियों को नियंत्रित करने के लिए बरसात की शुरुआत से पहले कृमिनासक दवा का उपयोग करें. बारिश के मौसम में दुधारू पशुओं के कुशल प्रबंधन के लिए एनडीडीबी-विकसित सलाहकार दुधारू पशुओं की उत्पादकता को अनुकूलित करने में मदद करेगा.

English Summary: this is how you can take care of your cattle during rainy session know more about it Published on: 14 August 2020, 02:38 IST

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