भारत में बड़े पैमाने पर डेयरी फार्मिंग की जा रही है. ऐसे में पशुपालकों को अपने पशुओं का ध्यान रखना बहुत जरूरी हो जाता है. थोड़ी सी लापरवाही और पशुओं में कई बीमारी के लक्षण नजर आने लगते हैं. ऐसे ही पशुओं में खूनी दस्त की बीमारी बहुत घातक होती है. ऐसे में आज हम आपको पशुओं में इस बीमारी से निपटने के कुछ देसी उपचार के बारे में बताने जा रहे हैं.
पशुओं में खूनी दस्त काक्सीडिया नामक प्रोटोजोआ के कारण होते हैं. बता दें कि यह घातक प्रोटोजोआ पानी, पशु चारा और चारागाह के कारण एक पशु से दूसरे पशु में फैलता है. पशुओं की छोटी से छोटी बीमारी का वक्त से इलाज करना बहुत जरूरी है, इसका खतरनाक प्रभाव हम लंपी जैसी जानलेवा बीमारी के रूप में देख चुके हैं, जिससे न जाने कितने पशुओं की जान ले ली. इसी प्रकार से खूनी दस्त से पशु काफी परेशान हो जाता है, जिसका असर दूध उत्पादन पर भी पड़ता है. इससे पशुपालकों और पशु दोनों को बहुत नुकसान होता है.
पशुओं में खूनी दस्त के लक्षण
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पशु में खूनी दस्त होने का सबसे बड़ा लक्षण है कि पशु के शरीर मे पानी की कमी हो जाती है तथा पशु कमजोर नजर आने लगता है.
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कमजोरी के कारण पशु सुस्त रहने लगता है.
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मलत्याग के दौरान पशु को काफी जोर लगाना पड़ता है.
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मलत्याग के वक्त मलाशय बाहर आ सकता है.
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पशु मल बहुत पतला और बदबूदार होता है,
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खूनी दस्त अचानक हो जाते हैं.
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दस्त में रक्त और थक्केनुमा हो सकता है.
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दस्त के बाद पशु के पूंछ में रक्त लगा हो सकता है.
खूनी दस्त रोग का उपचार
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खूनी दस्त के ग्रसित पशु को सल्फाग्वानेडीन या सल्फा बोलस की गोलियां खिला सकते हैं.
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ग्रसित पशु के इर्द गिर्द 10 फीसदी लाइकर अमोनिया फोर्ट का छिड़काव करें.
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पशुओं के छोटे बछड़ों को 1-2 टेबलेट सल्फोप्राइस की खिलानी चाहिए.
पशुओं में खूनी दस्त से रोकथाम
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यदि पशुओं का पहले से ही ध्यान रखा जाए तो आप आने वाले वक्त में पशुओं को कई प्रकार की बीमारी से बचा सकते हैं-
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पशुओं में खूनी दस्त ना हो उसके लिए सबसे पहले बछड़ों को जन्म के 12 घंटों की भीतर कोलोस्टन्न्म/खींस जरूर पिलाएं.
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बछड़े के जन्म के वक्त पशु का बाड़ा साफ और सूखा होना चाहिए.
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पशुओं को साफ सुथरे बर्तनों में खाना और पानी खिलाएं.
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पशुओं के बाड़े में गोबर और मूत्र अधिक देर तक जमा ना होने दें.
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यदि कोई पशु खूनी दस्त से ग्रसित है तो उसे बाड़े के अन्य जानवरों से अलग कर लें और बाड़े की सफाई कर लें.
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ग्रसित पशु का जल्द से जल्द उपचार कर लें.
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पशु बाड़े में ताजी हवा के लिए उचित प्रबंध जरूर बनाकर रखें.
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एक बाड़ें में पशुओं की संख्या अधिक नहीं होनी चाहिए.
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नए पशु के आगमन पर उन्हें कुछ दिन क्वारिनटिन रखें, क्योंकि यदि उनमें कोई बीमारी है तो बाड़े में अन्य जानवरों में फैलने से रूक सकती है.
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