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जून-जुलाई की बारिश में पशुओं को घेर सकती हैं ये खतरनाक बीमारियां, जानिए उपाय और सावधानियां!

बारिश में भींगने से खुरपका-मुंहपका, गलाघोंटू और लंगड़ा बुखार जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. इस आर्टिकल में जानें पशुओं को सुरक्षित रखने के उपाय और बरसात में पशुपालन में बरती जाने वाली जरूरी सावधानियां.

मोहित नागर
मोहित नागर
Rainy season livestock care
मानसून की बारिश में भींग गए हैं पशु तो हो जाएं सावधान (सांकेतिक तस्वीर)

Rainy season livestock care: भारत के गांवों में पशुपालन आज भी आमदनी का एक प्रमुख जरिया है. किसान अपने घरों में गाय, बैल, बछड़े और भैंस जैसे दुधारू और कार्यशील पशु पालते हैं, जिनसे उन्हें दूध, खेती के काम और गोबर जैसी उपयोगी चीजें मिलती हैं. लेकिन जून का महीना जहां गर्मी से राहत देने के लिए बारिश लाता है, वहीं यह बारिश पशुओं के लिए कई गंभीर समस्याएं भी खड़ी कर सकती है.

खुले में बंधे रहते हैं पशु

गर्मी के मौसम में पशुओं को आमतौर पर खुले स्थानों पर बांधा जाता है ताकि उन्हें हवा मिलती रहे और गर्मी से राहत मिले. लेकिन इसी दौरान अगर अचानक तेज बारिश हो जाए और पशु खुले में भींग जाएं, तो यह उनके स्वास्थ्य के लिए खतरा बन सकता है.

भीगने से बढ़ सकता है संक्रमण का खतरा

बारिश में भींग जाने से पशुओं को कई तरह की बीमारियां घेर सकती हैं. सबसे ज्यादा खतरा वायरल और बैक्टीरियल संक्रमण का होता है, जो पशुओं की जान तक ले सकता है.

बारिश में पशुओं को होने वाली प्रमुख बीमारियां

1. खुरपका-मुंहपका (FMD): यह एक अत्यंत संक्रामक रोग है जो बारिश के मौसम में जल्दी फैलता है. यह बीमारी पशुओं के खुरों और मुंह में घाव बना देती है जिससे वे खाना-पीना छोड़ देते हैं. इसका असर दूध उत्पादन पर भी पड़ता है.

2. गलाघोंटू (Hemorrhagic Septicemia): यह एक बैक्टीरिया से होने वाला रोग है, जिसमें पशु को तेज बुखार, सांस लेने में दिक्कत और सूजन जैसे लक्षण होते हैं. यदि समय पर इलाज न किया जाए तो पशु की जान जा सकती है.

3. लंगड़ा बुखार (Black Quarter): यह बीमारी विशेष रूप से बारिश के मौसम में मिट्टी में छिपे बैक्टीरिया के कारण होती है. यह गाय और भैंसों में तेज बुखार, लंगड़ाना और सूजन जैसे लक्षणों के साथ आती है.

क्या करें बारिश में पशुओं की सुरक्षा के लिए?

  • बारिश से पहले पशुओं को शेड में बांधें: जैसे ही आसमान में बादल दिखें, पशुओं को सुरक्षित और सूखे स्थान पर ले जाएं.
  • सूखे और स्वच्छ शेड का इस्तेमाल करें: जहां पशुओं को बांधते हैं वहां की फर्श को सूखा और साफ रखें.
  • पशुओं को गीले न रहने दें: अगर पशु भींग जाएं तो तुरंत उन्हें पोछें और उनके शरीर को सूखा रखें.
  • टीकाकरण कराएं: बरसात से पहले ही पशुओं को खुरपका-मुंहपका, गलाघोंटू और लंगड़ा बुखार के लिए वैक्सीन लगवाएं.
  • पशु चिकित्सक से सलाह लें: अगर पशु में कोई भी बीमारी के लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर को बुलाएं.

पशुपालकों को रखें ये बातें ध्यान

बारिश का मौसम जहां खेती के लिए वरदान होता है, वहीं पशुपालन में थोड़ी सी लापरवाही भारी नुकसान पहुंचा सकती है. खासकर जून-जुलाई में अचानक बरसात हो जाने पर खुले में बंधे पशु सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं. ऐसे में समय पर सावधानी बरतकर पशुओं को बीमारियों से बचाया जा सकता है और उनकी देखभाल अच्छी तरह की जा सकती है.

English Summary: rainy season livestock care tips diseases prevention for farmers in Indian villages Published on: 17 June 2025, 12:09 IST

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