नेशनल डेयरी डेवलपमेन्ट बोर्ड (National Dairy Development Board) की पूर्ण स्वामित्व की एनडीडीबी डेयरी सर्विसेज़ (NDDB Dairy Services) ने स्वदेश में विकसित एक नई आधुनिक तकनीक की घोषणा की है. इस तकनीक को बेहद खास माना जा रहा है, क्योंकि इसके द्वारा मवेशियों के शुक्राणुओं की छंटनी कर सिर्फ मादा बछिया को जन्म दिया जा सकता है. इस तकनीक की मदद से भारत को ‘आत्मनिर्भर’ बनाया जा सकता है. इसे एक बेहद महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है.
एनडीडीबी डेयरी सर्विसेज़ द्वारा फील्ड ट्रायल के परिणाम वास्तविक परिस्थितियों में उत्पाद के प्रदर्शन को सुनिश्चित करते हैं. बता दें कि चेन्नई के नज़दीक एक फार्म में इसी तकनीक की मदद से अक्टूबर 2020 में एक मादा बछिया का जन्म हुआ है. इसके लिए शुक्राणुओं की छंटाई अलमाधी सीमेन स्टेशन में की गई थी.
किसानों को होगा फायदा
मौजूद तकनीक कुछ मल्टी-नेशनल कंपनियों के स्वामित्व में है. इसके चलते डेयरी किसान इसका फायदा नहीं उठा सकते हैं, क्योंकि अगर लागत की दृष्टि से देखा जाए, तो यह उनके अनुकूल नहीं रहती है. सिर्फ मादा बछिया के जन्म से डेयरी किसान को बहुत अधिक आर्थिक फायदा होता है, क्योंकि नर बछड़े की आर्थिक उपयोगिता ना के बराबर होती है. इस तकनीक से खुराक की लागत को कम किया जाएगा. इसके साथ ही डेयरी किसानों के लिए किफ़ायती बनाया जा सकेगा. इस तकनीक को बड़े पैमाने पर अपनाया जाएगा.
एनडीडीबी की बड़ी पहल
आपको बता दें कि कंपनी एनडीडीबी डेयरी सर्विसेज़, उत्पादक कंपनियों और उत्पादकता संवर्धन सेवाओं को बढ़ावा देने के लिए काम करती है. इस तरह अब तक 15 दूध उत्पादक कंपनियों की स्थापना की जा चुकी है. इसके अलावा एनडीडीबी डेयरी सर्विसेज़ 4 बड़े सीमेन स्टेशनों का प्रबंधन भी कर रही है. जानकारी के लिए बता दें कि अहमदाबाद के नज़दीक साबरमती आश्रम गौशाला, लखनऊ के नज़दीक पशु प्रजनन केन्द्र, चेन्नई के नज़दीक अलमाधी सीमेन स्टेशन और पुणे के नज़दीक राहुरी सीमेन स्टेशन हैं, जो कि देश में उत्पादित सीमेन का तकरीबन 35 प्रतिशत उत्पादन करते हैं. इस तकनीक को विकसित करने के लिए बैंगलोर आधारित आर एण्ड डी संस्थान जीवा साइन्सेज़ के साथ साझेदारी की गई है. इस तकनीक में उपयोग किए जाने वाले कई अवयवों का विकास देश के प्रसिद्ध संस्थानों में किया जाता है.
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