डेयरी बिजनेस के लिए भैंस का एक अहम योगदान होता है. दूध से हो रहे मुनाफे को देखते हुए गांव से अब शहरों की तरफ यह व्यवसाय बढ़ाया जा रहा है. इसमें कोई दोहराय नहीं है कि डेयरी फार्मिंग का व्यवसाय बड़ी तेजी के साथ उभरकर आ रहा है. डेयरी फार्मिंग के बिजनेस को और बढ़ावा देने के लिए सरकार भी कई योजनाएं लेकर आ रही है.
देखा जाए, तो भारत में भैंस की कई नस्लें हैं, लेकिन भैंसों की नस्ल में सबसे अधिक दूध देने वाली भैंस में से एक नस्ल नागपुरी भी है, जिससे दूध का बंपर उत्पादन होता है और साथ में किसान लाखों की कमाई कर रहे हैं.
नागपुरी भैंस की नस्ल
नागपुरी भैंस नाम से ही पता लग रहा है कि इसका ताल्लुक कहीं न कहीं नागपुर से है. इस नस्ल को एलिचपुरी या फिर बरारी के नाम से भी जाना जाता है और भैंस की यह खास नस्ल महाराष्ट्र के नागपुर, अकोला और अमरावती में पाई जाती है. इसके अलावा यह उत्तर भारत और एशिया के कई इलाकों में पाई जाती है. नर भैंस का को भारी कामों के लिए उपयोग में लाया जाता है.
700 से 1200 लीटर दूध उत्पादन
आंकड़ें देखें, तो नागपुरी भैंस औसतन 700 से 1200 लीटर दूध देती है. अब आप सोच रहे होंगे कि यह कम उत्पादन है. मगर आपको बता दें कि दुधारु पूरे साल नहीं बल्कि बच्चा पैदा करने के कुछ महीनों तक बंपर दूध देती हैं, जिसके बाद दूध उत्पादन में कमी आ जाती है और साल के आखिर में गाभिन होने के बाद दूध उत्पादन बंद हो जाता है. इतना ही नहीं नागपुरी भैंस के दूध में 7.7 फीसदी वसा भी मौजूद होती है. जबकि गाय के दूध में 3-4 फीसदी ही वसा होती है. दूध के और अच्छे उत्पादन के लिए नागपुरी भैंस को घास, और भूसी के साथ मक्का, सोयाबीन, मूंगफली, गन्ना की खोई, जई, शलजम और कसावा दिया जाता है.
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नागपुरी भैंस के सींग
नागपुरी भैंस की पहचान केवल देखने मात्र से भी की जा सकती है. जैसा कि यह दिखने में यह बहुत विशाल होती हैं. इनके सींग तलवार की तरह होते हैं, उसी की वजह नागपुरी भैंस बाकी भैंसों से अलग बनाती है. इसके अलावा इसकी गर्दन बेहद लंबी होती है.
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