दुग्ध व्यवसाय भारत में बेहद तेजी से फल-फूल रहा है ग्रामीण क्षेत्रों में लाखों लोगों की आमदनी का एक बढ़िया स्रोत है कुछ गायें ऐसी हैं, जो 50 लीटर से ज्यादा तक दूध देती हैं. गाय की ऐसी ही एक नस्ल है ‘गिर’, जो 50 से लेकर 80 लीटर तक दूध दे सकती है. गिर गाय के दूध की बाजार में काफी मांग है इसका दूध सामान्य गाय के मुकाबले महंगा बिकता है. इतना ही नहीं इसके दूध से बने घी की डिमांड भी काफी अधिक है. ऐसे में आपको गिर गाय के बारे में जानकारी दे रहे हैं
गिर नस्ल की गाय की विशेषताएं
गिर गाय अच्छी दुग्ध उत्पादकता के लिए जानी जाती है. दूध में सोने के तत्व होने से रोगप्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है. शरीर का रंग सफेद, गहरे लाल या चॉकलेट भूरे रंग के धब्बे के साथ या कभी-कभी चमकदार लाल रंग की होती है. सबसे अनूठी विशेषता उत्तल माथे हैं जो तेज धूप से बचाते हैं.
गिर नस्ल की गाय पालने से लाभ
गिर गाय एक दिन में करीब 12 लीटर से ज्यादा दूध देने की क्षमता रखती है. जिसमें 4.5% तक वसा होता है. एक बियान में यह गाय औसतन लगभग 2110 किलोग्राम तक दूध का उत्पादन देती है. गुजरात में गिर ने एक बयात में 8200 किलोग्राम दूध दिया है. गुजरात के एक फार्म हाउस में गिर गाय का एक दिन में 36 किलो दूध देने का रिकॉर्ड दर्ज है.
गिर गाय की उत्तम नस्लें
गिर गाय की स्वर्ण कपिला और देवमणी नस्ल की गाय सबसे अच्छी गाय मानी जाती हैं. स्वर्ण कपिला 20 लीटर दूध प्रतिदिन देती है इसके दूध में फैट सबसे अधिक 7% होता है. स्वदेशी पशुओं में गिर का नाम दूध देने में सबसे आगे आता है. इस गाय को क्षेत्रीय भाषाओं में कई अन्य नामों से जाना जाता है, जैसे- भोडली, देसन, गुराती और काठियावाड़ी आदि.
गिर गाय का जीवनकाल
गिर गाय का जीवन काल 12 से 15 साल का हो सकता है. ये अपने जीवनकाल में 6 से 12 बच्चों को जन्म देती है. इसका वजन करीब 400 से 475 किलोग्राम तक हो सकता है. ये पशु विभिन्न जलवायु के लिए अनुकूलित होते हैं और गर्म स्थानों पर भी आसानी से रह सकते हैं.
गिर नस्ल के लिए उचित आहार
पशु के आहार पर ही दूध की मात्रा और गुणवत्ता निर्भर करती है. इसलिए पशु को पर्याप्त मात्रा में पोष्टिक तत्व युक्त आहार देना चाहिए. गाय की खुराकी में मक्का, जौं, ज्वार, बाजरा, छोले, गेहूं, जई, चोकर, चावलों की पॉलिश, मक्की का छिलका, चूनी, बड़वें, बरीवर शुष्क दाने, मूंगफली, सरसों, बड़वे, तिल, अलसी, मक्के से तैयार खुराक, गुआरे का चूरा, तोरिये से तैयार खुराक, टैपिओका, टरीटीकेल आदि को शामिल किया जाना चाहिए. हरे चारे के रूप में बरसीम की सूखी घास, लूसर्न की सूखी घास, जई की सूखी घास, पराली, मक्की के टिंडे, ज्वार और बाजरे की कड़बी, गन्ने की आग, दूर्वा की सूखी घास, मक्की का आचार, जई का आचार आदि को शामिल किया जा सकता है. गाभिन गिर गाय को एक किलो से अधिक मात्रा में दाना देना चाहिए, क्योंकि ये गाय शारीरिक रूप से भी बढ़ती है.
ये भी पढ़ेंः गाय की ऐसी नस्ल जो प्रतिदिन देती है 50 से 80 लीटर तक दूध
Share your comments