अगर कम लागत में उत्तराखंड के चमोली में किसानों को ट्राउट मछली से अच्छा मुनाफा हो रहा है. यहां ट्राउट मछली 1,000 से 1500 रुपये प्रति किलो तक बिक रही है, जिस कारण क्षेत्र के ज्यादातर किसान इसकी तरफ आकर्षित हो रहे हैं. यहां अधिकतर किसानों ने ट्राउट मछली को पालने के लिए टैंक बनवाए हैं.
टैंक में करते हैं ट्राउट मछली का पालन
किसान इन टैंकों में ट्राउट मछली के बीज डालते हैं, इस काम के लिए इन्हें मछली विभाग की तरफ से करीब ढाई लाख रुपए तक का अनुदान मिलता है. अगर औसत मछलियों की बात करें, तो लगभग एक टैंक में 3000 ट्राउट मछलियों के बीज डालने पर आधे टन से अधिक मछलियां प्राप्त हो जाती है. इन्हें बड़ा होने में 4 महीने तक का समय लग जाता है.
तलाई में भी कर सकते हैं पालन
वैसे अगर टैंक बनाने के लिए आपके पास पैसे कम हैं, तो आप तलाई तकनीक का भी सहारा ले सकते हैं. किसानों के मुताबिक खेत के ही किसी एक भाग को बरसात के मौसम से पहले तलाई में बदला जा सकता है. बस इसके लिए इतना ध्यान रखना है कि वो खेत का उंचाई वाला हिस्सा हो और मिट्टी चिकनी हो. तलाई बनाने के लिए वर्गाकार या आयताकार आकार में गड्ढे का निर्माण करना है. इस आकार में बारिश का पानी जमा हो जाता है और फिर इसमें मछलियों को आसानी से पाला जा सकता है.
ट्राउट के लिए तामपान
यहां के किसानों के मुताबिक जिस तरह का वातावरण इन मछलियों को चाहिए, उसके हिसाब से उत्तराखंड और विशेषकर चमोली जगह एकदम सही है. आज से 8 साल पहले तक लोग इसके बारे में नहीं जानते थे, लेकिन पिछले 5 सालों में स्थानीय लोग इसकी तरफ आकर्षित हुए हैं. इसे रहने के लिए न तो बहुत अधिक गर्म मौसम चाहिए और न ही बहुत अधिक ठंडा.
साफ पानी में खेती
इस मछली को रहने के लिए तापमान 12 से 15 डिग्री सेल्सियस तक का चाहिए होता है, इसे ग्लेशियर से आने वाला साफ पानी बहुत पसंद है और इसकी खेती सिर्फ साफ पानी में ही हो सकती है. बता दें कि ट्राउट मछली एक शाकाहारी मछली है.
मछली बीज
इस मछली के बीज बहुत आसानी से स्थानीय बाजारों में मिल सकते हैं. इसके लिए आपको कहीं दूर जाने की जरूरत नहीं है. अगर फिर भी मछली बीज नहीं मिल रहे तो आप ऑनलाइन भी इसे खरीद सकते हैं. आज के समय में कई कंपनियां, जैसे इंडिया मार्ट या अमेजन आदि इन मछलियों के बीज उलब्ध करवा रही है.
मृत अथवा बीमार मछली को अलग करना जरूरी
एक बीमार मछली सभी को बीमार कर सकती है, इसलिए इन्हें अलग करना जरूरी है. किसानों के मुताबिक मृत मछलियों में बैक्टीरिया वायरस होते हैं, इसलिए जितना शीघ्र हो इन्हें बाहर कर देना चाहिए. अगर पानी में ऐसी मछलियां दिखाई दे रही है, जिनके गलफडे क्षतिग्रस्त हो गए हैं, तो उन्हें अन्य मछलियों से दूर कर नष्ट कर देने में ही भलाई है.
सेहत के लिए लाभकारी
ट्राउट मछली को सेहत के लिए बहुत अच्छा माना जाता है, डॉक्टर्स दिल के मरिजों को ट्राउट मछली खाने की सलाह देते हैं. किसानों ने बताया कि कैसर जैसी बीमारियों से बचाने में भी ये मछली सक्षम है. जिन लोगों को कम खून की समस्या है, उन्हें भी इस मछली का सेवन करना चाहिए.
प्रोटीन से भरी हुई है ट्राउट मछली
इन मछलियों का इस्तेमाल किसी चिकन या मटन की तरह भोजन के लिए अधिक किया जाता है. इनके अंदर एक कांटा होता है. लोगों में इसकी मांग इसलिए भी अधिक है, क्योंकि सेहत के लिहाज से यह बहुत फायदेमंद है. विशेषज्ञों के मुताबिक इसमें फैटी एसिड नामक तत्व होता है, जो हमारे शरीर के लिए बहुत लाभकारी है.
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