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Updated on: 5 April, 2023 12:00 AM IST
पशुओं के आहार को सबसे ज्यादा ध्यान में रखना चाहिए.

आज हम बच्चों की बात करें या घर के किसी भी सदस्य की दूध सभी के लिए हमेशा से ही एक सम्पूर्ण आहार के रूप में हमारे खानपान में शामिल रहा है. हम दूध को अपने बच्चों के शारीरिक विकास के लिए सबसे महत्वपूर्ण आहार के रूप में शामिल करते हैं, लेकिन दूध देने वाले उन पशुओं के आहार को जब हम देखेंगे तो बिल्कुल एक सा ही होता है. जिस खाने में कई तरह के पोषक तत्व या तो होते ही नहीं हैं या जो होते भी हैं तो बहुत कम मात्रा में होते हैं. जिसका असर सीधा पशुओं के दूध पर पड़ता है. इस तरह का चारा खाने से या तो पशुओं के दूध की कमी हो जाती है या उनके दूध की क्वालिटी पर सीधा असर पड़ता है.

डेयरी पशुओं के लिए आवश्यक पोषक तत्व

पशु को एक दिन में खिलाया जाने वाला आहार जिसमें दाना और चारा दोनों सम्मिलित होते हैं, सभी पोषक तत्वों की पूर्ति के लिए चारे में सभी तत्व मौजूद हों, उसे पशु आहार कहते हैं. पशुओं को चारे में हमको उनको समय समय पर सभी पोषक तत्वों को उनके साइज़ और वजन के अनुसार देते हैं जिससे उनके दूध की मात्रा में वृद्धि होती है. पशुओं के चारे में सबसे ज्यादा कार्बोहाइड्रेट की मात्रा होती है. इसके साथ ही प्रोटीन युक्त पोषण की जरूरत पशुओं में लगातार बनी रहती है. साथ ही रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिये विटामिन तथा अन्य खनिज युक्त चारे को खिलाना चाहिए.

गाय/भैंस के लिए आवश्यक पोषक तत्वों के बारे में महत्त्व पूर्ण जानकारी और उनके श्रोत-

पशुओं के चारे में कार्बोहाइड्रेट

गाय/ भैंस के चारे में सबसे प्रमुख आहार में पाए जाने वाले पोषक तत्वों में सबसे ज्यादा मात्रा कार्बोहाइड्रेट की ही होती है. कार्बोहाइड्रेट का प्रमुख कार्य पशुओं के शरीर में ऊर्जा प्रदान करना होता है. कार्बोहाइड्रेट मुख्य रूप से मक्का, जौं, हरा चारा, भूसा, कड़वी एवं अन्य अनाजों से प्राप्त किया जा सकता है. कार्बोहाइड्रेट का प्रमुख कार्य ऊर्जा देने के साथ में प्रोटीन का पाचन करना, दूध में वसा की मात्रा को बढ़ाना भी होता है.

डेयरी पशुओं में प्रोटीन की मात्रा और उसका कार्य

शरीर के सभी जरुरी तत्वों में प्रोटीन भी एक महत्त्वपूर्ण तत्व के रूप में कार्य करता है. यह शारीरिक विकास का प्रमुख तत्व होता है जिसका कार्य शरीर में ऊतकों का निर्माण और उनकी वृद्धि करना होता है. प्रोटीन युक्त अनाज के लिए हम दालों या उनके छिलके, दाल वाली फसलों के चारे साथ ही तेल वाली फसलों की खली में पाया जाता है. पशुओं के नए जन्में बछड़ों के लिए यह बहुत ही आवश्यक तत्व होता है जो उनके शारीरिक विकास में सहायक होता है. 

पशुओं के चारे में वसा का महत्व

पशुओं में ऊर्जा प्रदान करने का प्रमुख स्रोत वसा होता है. यह कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन से दो से ढाई गुना ज्यादा ऊर्जा प्रदान करने वाला पोषक तत्व है. यह शरीर के अंगों को सुरक्षित रखने के साथ साथ ही उनके शरीर के तापमान को भी नियंत्रित करता है. पशु आहारों में 3-5 प्रतिशत वसा की मात्रा उपलब्ध होती है.  भोजन की कमी होने पर भी वसा शरीर में ऊर्जा को बनाये रखने का काम करती है. यह सभी प्रकार की खल में आसानी से प्राप्त हो जाती है जिनमें बिनौला, तिलहन,सोयाबीन आदि प्रमुख है. 

पशुओं के चारे में विटामिन्स का महत्त्व

विटामिन्स की कमी होने पर पशुओं में रोगों की सम्भावना ज्यादा रहती है. जिस कारण उनके चारे में विटामिन्स का पूरा ध्यान रखा जाता है. वैसे हम पशुओं को वसा में घुलने वाले विटामिन में A , D, एवं E को पशुओं के चारे के साथ दे सकते हैं. विटामिन B- Complex एवं विटामिन K जुगाली करने वाले पशुओं के अमाशय में उपस्थित सूक्ष्म जीवों के द्वारा स्वतः ही बना लिया जाता है. अन्य तरह के विटामिन पशुओं के अंदर स्वाभाविक रूप से बनते रहते हैं.

विटामिन की कमी से पशुओं में होने वाले रोग

जब भी किसी के भी शरीर में किसी विटामिन की कमी होती है तो वह शरीर रोगग्रस्त हो जाता है फिर वह शरीर मनुष्य का हो या किसी पशु का. डेयरी उद्योग में प्रयोग में आने वाले पशुओं के लिए इन सभी बातों के लिए जागरुक होने की जरूरत रहती है. इस प्रकार का रोग यदि गाय या भैंस को लग जाता है तो इसका सीधा असर उनकी सेहत के साथ-साथ उनके दूध पर आता है. पशुओं में विटामिन्स की कमी के कारण होने वाले रोगों में गर्भपात, अंधापन, चमड़ी का सूखापन, भूख की कमी, गर्मी में न आना तथा गर्भ धारण आदि तरह की समस्याएं आती है.

पशुओं के लिए आवश्यक खनिज लवण

पशुओं में खनिज लवण की आवश्यकता शारीरिक क्रियाओं को निष्पादित करने के लिए किया जाता है. इनकी कमीं होने पर भी शरीर में कई तरह के रोग हो जाते हैं. पशुओं के लिए सबसे आवश्यक खनिज लवण कैल्शियम, फॉस्फोरस, आयरन, कॉपर, मैग्जीन, कोबाल्ट, आयोडीन आदि खनिज प्रमुख रूप से पाए जाना जरुरी होता है. पशुओं की अस्थियां और दाँत  खनिज लवण के द्वारा ही निर्मित होते हैं.  

भैंस के चारे का संतुलित रूप

हम भैंस को दिए जाने वाले चारे को दो प्रमुख भागों में बाँट सकते हैं. जिसमें पहला भाग चारा का होता है और दूसरा भाग दाना का. चारे में रेशेयुक्त चारे की मात्रा शुष्क भर के आधार पर 18 से 20 प्रतिशत होती है. पशुओं में आहार की मात्रा उसकी उत्पादकता तथा प्रजनन की अवस्था पर निर्भर करती है. पशु को कुल आहार का 2/3 भाग मोटे चारे से तथा 1/3 भाग दाने के मिश्रण द्वारा मिलना चाहिए. मोटे चारे में दलहनी तथा गैर दलहनी चारे का मिश्रण दिया जा सकता है.

ये भी पढ़ेंः डेयरी पशुओं में बांझपन और प्रजनन की समस्याओं को कैसे हल करें?

पशुओं के आहार को सबसे ज्यादा ध्यान में रखना चाहिए. इसी के साथ हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि पशु किसी भी दूषित पदार्थ को न खाने पाए. जिससे वो बीमार हो जाये. डेयरी पशुओं में होने वाली बीमारियां सीधे उनके दूध पर प्रभाव डालती हैं.

English Summary: essential elements and their importance in the diet of dairy animals
Published on: 05 April 2023, 12:43 IST

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