
Murrah Buffalo Breed: मुर्रा भैंस (Murrah Buffalo) को भारत की सबसे उत्कृष्ट और प्रसिद्ध भैंस नस्लों में से एक माना जाता है. यह नस्ल मुख्य रूप से हरियाणा के हिसार, रोहतक, गुड़गांव, जींद और दिल्ली के कुछ हिस्सों में पाई जाती है. इसकी पहचान उसके चमकदार काले रंग, छोटे लेकिन कसकर मुड़े हुए सींगों और मजबूत शरीर संरचना से होती है. मुर्रा भैंसें अपने उच्च गुणवत्ता वाले दूध और उच्च वसा (फैट) प्रतिशत के लिए मशहूर हैं. इसके दूध में औसतन 6.9 प्रतिशत तक फैट पाया जाता है, जो कि मक्खन, घी और अन्य दुग्ध उत्पादों के लिए उपयुक्त होता है.
एक ब्यांत में मुर्रा भैंस (Murrah Buffalo) करीब 1752 लीटर तक दूध देती है और अधिकतम यह आंकड़ा 2057 लीटर तक चला जाता है. यही कारण है कि यह नस्ल न केवल भारत में बल्कि विदेशों- जैसे ब्राज़ील, फिलीपींस, वियतनाम, मलेशिया और श्रीलंका में भी निर्यात की जा चुकी है और वहां के डेयरी उद्योग का हिस्सा बन चुकी है. ऐसे में आइए भैंस की देसी नस्ल मुर्रा (Murrah Buffalo Breed) की पहचान और अन्य विशेषताओं के बारे में विस्तार से जानते हैं-
मुर्रा भैंस (Murrah Buffalo) कहां पाई जाती है?
मुर्रा नस्ल (Murrah Buffalo Breed) का जन्मस्थान हरियाणा है, विशेषकर हिसार, रोहतक, गुड़गांव और जींद जिले इसके प्रमुख प्रजनन क्षेत्र हैं. यह नस्ल दिल्ली और उसके आसपास के क्षेत्रों में भी पाई जाती है. मुर्रा को दिल्ली, कुंडी, काली जैसे स्थानीय नामों से भी जाना जाता है. इसकी उच्च दुग्ध क्षमता और मजबूत शारीरिक बनावट इसे देश की सबसे भरोसेमंद और लोकप्रिय भैंस नस्लों में शुमार करती है.
मुर्रा भैंस (Murrah Buffalo) का मुख्य उपयोग और खासियत
मुर्रा भैंस (Murrah Buffalo) का प्रमुख उपयोग दूध उत्पादन है. इसके अलावा इसके नर पशुओं का उपयोग खेती में जोतने और प्रजनन के लिए भी किया जाता है. इसकी यह बहुउपयोगिता इसे डेयरी किसानों के लिए एक बहुत ही फायदेमंद पशु बनाती है. इस नस्ल का दूध उच्च वसा सामग्री वाला होता है जिससे मक्खन, पनीर और घी जैसी चीजें बनाने में आसानी होती है.
मुर्रा भैंस (Murrah Buffalo) की शारीरिक बनावट
मुर्रा भैंस (Murrah Buffalo) का शरीर मजबूत, संतुलित और आकर्षक होता है. इसका रंग गहरा जेट ब्लैक (Jet Black) होता है जो इसे दूर से ही पहचानने योग्य बनाता है. इसके सींग छोटे और कसकर स्पिरल रूप में मुड़े हुए होते हैं. मादा भैंस की औसतन ऊंचाई 133 सेंटीमीटर और शरीर की लंबाई 148 सेंटीमीटर होती है. वहीं नर की औसतन ऊंचाई 142 सेंटीमीटर और लंबाई 150 सेंटीमीटर पाई गई है. इसका शरीर भारी और मांसल होता है, जो इसे कठिन परिस्थितियों में भी टिकाऊ बनाता है.
मुर्रा भैंस (Murrah Buffalo) का पालन-पोषण और देखभाल
मुर्रा नस्ल (Murrah Buffalo) को आमतौर पर अर्ध-गहन (Semi-Intensive) प्रणाली के तहत पाला जाता है. भैंसों को दिन में खुली जगह पर बांधा जाता है या पेड़ों के नीचे रखा जाता है और रात को उन्हें ठंडी और हवादार जगह में रखा जाता है. किसान इनके लिए हरा चारा जैसे- बरसीम, जई, सरसों (रबी मौसम में) और बाजरा, ज्वार व मक्का (खरीफ मौसम में) उगाते हैं. इनके शेड आमतौर पर पक्की दीवार और कच्ची ज़मीन वाले होते हैं और गर्मियों में छाया और पानी की विशेष व्यवस्था की जाती है.
मुर्रा भैंस (Murrah Buffalo) की दूध उत्पादन क्षमता
मुर्रा भैंस दूध देने में बहुत सक्षम मानी जाती है. एनडीडीबी के अनुसार एक ब्यांत में यह भैंस 1752 लीटर दूध देती है, जबकि कुछ विशेष मामलों में यह आंकड़ा 2057 लीटर तक पहुंच सकता है. दूध में औसतन वसा प्रतिशत 6.9% होता है, जो कुछ भैंसों में 7.8% तक भी देखा गया है. पहली बार ब्याने की औसत उम्र 43.4 महीने होती है और दो ब्यांतों के बीच औसत अंतराल 14.9 महीने है.
मुर्रा भैंस (Murrah Buffalo) की खास पहचान और विशेषताएं
मुर्रा भैंसों की सबसे बड़ी खासियत उनकी स्थायित्व, सहनशीलता और अधिक दूध देने की क्षमता है. यह नस्ल गर्म और शुष्क जलवायु में भी आसानी से जीवित रह सकती है. इसके अलावा यह नस्ल रोग प्रतिरोधक क्षमता में भी श्रेष्ठ मानी जाती है. इसकी सुंदरता, सींगों की बनावट, चमकदार रंग और मांसल शरीर इसे अन्य नस्लों से अलग बनाते हैं.
राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्व
मुर्रा नस्ल (Murrah Buffalo Breed) को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी बहुत सम्मान प्राप्त है. यह नस्ल न केवल भारत में बल्कि फिलीपींस, ब्राज़ील, मलेशिया, वियतनाम और श्रीलंका जैसे देशों में भी निर्यात की जा चुकी है, जहां इसका सफलतापूर्वक पालन किया जा रहा है. कई विकासशील देशों में यह नस्ल डेयरी उद्योग की रीढ़ बन चुकी है. इसके अलावा, भारत सरकार भी इस नस्ल के संवर्धन और संरक्षण पर ध्यान दे रही है.
किसानों के लिए लाभदायक सौदा
यदि कोई किसान डेयरी फार्मिंग (Dairy Farming) की योजना बना रहा है, तो मुर्रा भैंस उसके लिए सबसे उपयुक्त विकल्प हो सकती है. इसकी दूध देने की क्षमता, रोगों से लड़ने की ताकत, और विभिन्न मौसमों में जीवित रहने की शक्ति इसे एक आदर्श भैंस बनाती है. साथ ही, इसके बछड़े प्रजनन और खेत जोतने जैसे कार्यों में भी प्रयोग किए जा सकते हैं, जिससे अतिरिक्त लाभ होता है.
ऐसे में हम यह कह सकते हैं कि भैंस की मुर्रा नस्ल (Murrah Buffalo Breed) न केवल हरियाणा की शान है, बल्कि यह भारत की डेयरी संपन्नता की पहचान भी है. इसके दूध की मात्रा, गुणवत्ता, वसा प्रतिशत और सहनशक्ति इसे दूसरी सभी नस्लों से ऊपर स्थान देती है. यह भैंस एक ऐसा निवेश है जो किसान को लंबे समय तक लाभ दे सकती है.
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