1. Home
  2. पशुपालन

Goat Registration: बुंदेलखंडी बकरी को राष्ट्रीय स्तर पर मिली नई पहचान, जानें इस नस्ल की खासियत

New Breed Goat Recognition: बुंदेलखंडी बकरी को आईसीएआर-राष्ट्रीय पशु आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो से नई नस्ल के रूप में मान्यता मिली है. यह बकरी जलवायु परिस्थितियों के अनुकूल होने, मांस और दूध उत्पादन में सक्षम और लंबी दूरी तक चलने की क्षमता के लिए जानी जाती है. इसकी मान्यता से बकरी पालकों की आजीविका में सुधार और अनुसंधान अवसर बढ़ेंगे.

लोकेश निरवाल
लोकेश निरवाल
Bundelkhandi Goat
Bundelkhandi goat: बुंदेलखंडी बकरी को मिली नई नस्ल की मान्यता (Image Source: ICAR)

Bundelkhandi Goat: बुंदेलखंड क्षेत्र की महत्वपूर्ण पशुधन प्रजाति, बुंदेलखंडी बकरी को आईसीएआर-राष्ट्रीय पशु आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो, करनाल द्वारा एक नई नस्ल की बकरी के रूप में आधिकारिक मान्यता दी गई है. यह घोषणा राष्ट्रीय कृषि विज्ञान केंद्र में आयोजित एक विशेष समारोह के दौरान की गई. बताया जा रहा है कि इस बकरी को मान्यता इसलिए दी गई है, ताकि बुंदेलखंडी बकरी के संरक्षण और विकास प्रयासों को बल मिलेगा. अनुसंधान के नए अवसर खुलेंगे. स्थानीय बकरी पालकों की आजीविका में सुधार होगा.

ऐसे में आइए आज के इस आर्टिकल में आज हम बुंदेलखंडी बकरी/Bundelkhandi Goat से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी के बारे में विस्तार से जानते हैं. ताकि इस नस्ल की बकरी पालन/Bakri Palan करने में आसानी हो सके.

बुंदेलखंडी बकरी की पहचान और विशेषताएं

यह नस्ल कठोरता और चरम जलवायु परिस्थितियों के अनुकूल होने की क्षमता के लिए जानी जाती है. इसकी मुख्य पहचान और विशेषताएं इस प्रकार हैं.

  • काले रंग के बाल और बेलनाकार शरीर.
  • लंबे पैर, संकीर्ण चेहरा और रोमन नाक.
  • घनी पूंछ और आकर्षक लंबे बाल.
  • लंबी दूरी तक चलने और कठोर इलाकों में चरने की क्षमता.

मुख्य रूप से मांस उत्पादन के लिए पाली जाने वाली यह बकरी दूध उत्पादन में भी सक्षम है, जिससे यह किसानों के लिए दोहरे उद्देश्य वाली संपत्ति बन जाती है.

प्रजनन क्षेत्र और संभावनाएं

बुंदेलखंडी बकरी का सबसे शुद्ध रूप मध्य प्रदेश के दतिया जिले और उत्तर प्रदेश के झांसी जिले में पाया जाता है. यहां के गांवों में अन्य नस्लों के साथ इनके छोटे झुंड भी देखे जाते हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि बेहतर आहार और प्रबंधन से इस नस्ल की उत्पादकता और दूध उत्पादन को और बढ़ाया जा सकता है.

संस्थान का योगदान

इस मान्यता का श्रेय आईसीएआर-भारतीय चरागाह एवं चारा अनुसंधान संस्थान (आईजीएफआरआई) के निदेशक डॉ. पंकज कौशल के नेतृत्व में किए गए संरक्षण प्रयासों को जाता है.

बुंदेलखंडी बकरी राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बनाने को तैयार

विशेषज्ञों का मानना है कि बुंदेलखंडी बकरी को नई मान्यता देने से बकरी पालकों की आर्थिक स्थिति में तो सुधार होगा, साथ ही अन्य कई तरह के बदलाव देखने को मिलेंगे. जैसे कि-

  • बेहतर प्रजनन पद्धतियों को बढ़ावा मिलेगा.
  • उत्पादकता में वृद्धि होगी.
  • टिकाऊ कृषि पद्धतियों को नई दिशा मिलेगी.

बुंदेलखंडी बकरी अब न केवल क्षेत्रीय, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बनाने के लिए तैयार है.

English Summary: Bundelkhandi goat developed at ICAR-IGFRI gets recognition new breed Published on: 29 January 2025, 02:39 IST

Like this article?

Hey! I am लोकेश निरवाल . Did you liked this article and have suggestions to improve this article? Mail me your suggestions and feedback.

Share your comments

हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें. कृषि से संबंधित देशभर की सभी लेटेस्ट ख़बरें मेल पर पढ़ने के लिए हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें.

Subscribe Newsletters

Latest feeds

More News