Belahi Cow Dairy Farming: आपको बता दें कि बेलाही एक देसी नस्ल की गाय है, जोकि छोटे किसानों के लिए बहुत लाभकारी है, क्योंकि इसकी देखभाल में अधिक लागत नहीं आती है. वहीं माना जाता है कि बेलाही नस्ल की गायें एक ब्यान्त में औसतन 1013 लीटर दूध देती हैं, जबकि अधिकतम एक ब्यान्त में 2091 लीटर तक दूध देती हैं. ऐसे में आइए जानते हैं गाय की देसी नस्ल, बेलाही की पहचान और विशेषताएं-
हमारे देश में ग्रामीण क्षेत्रों में खेती -किसानी के बाद अब पशुपालन व्यापार को आमदनी का सबसे अच्छा स्त्रोत माना जाता है. इसके साथ ही गाय और भैंस के पालन से किसान या पशुपालक किसान दुग्ध व्यवसाय से जुड़कर काफी मुनाफा कमा रहे हैं. यदि आप भी गाय पालन को लेकर सोच रहे हैं, तो बेलाही गाय का पालन कर सकते हैं. इसे मोरनी या देसी के नाम से भी जाना जाता है. बेलाही गाय छोटे किसानों के लिए लाभकारी साबित होती है. वहीं बेलाही नस्ल के पशु अधिक चंडीगढ़, अंबाला, पंचकुला के आसपास के इलाकों में पाए जाते हैं. बेलाही नस्ल के मवेशियों के नाम शरीर के रंग के अनुसार ऱखें गए हैं. बेलाही नस्ल की गायें एक ब्यान्त में औसतन 1013 लीटर दूध देती हैं, जबकि अधिकतम एक ब्यान्त में 2091 लीटर तक दूध देती हैं. तो आइए जानते हैं गाय की देसी नस्ल, बेलाही की पहचान और विशेषताओं के बारे में-
पहचान और विशेषताएं-
बेलाही नस्ल के गायों की ऊंचाई लगभग 120.33 सेमी होती है. वहीं बैलों की ऊंचाई लगभग 131.13 सेमी होती है. गायों का वजन 250 किलोग्राम से 300 किलोग्राम होता है. बेलाही नस्ल की गायें एक ब्यान्त में औसतन 1014 लीटर दूध देती हैं. अधिकतम एक ब्यान्त में 2092 लीटर तक दूध देती हैं. दूध में औसतन 5.25 प्रतिशत वसा पाई जाती है. वहीं दूध में न्यूनतम फैट 2.37 पाया जाता है, जबकि अधिकतम 7.89 प्रतिशत पाया जाता है. बेलाही नस्ल के मवेशियों का रंग एक समान लेकिन अलग होता है और वे आमतौर पर लाल भूरे, भूरे या सफेद रंग के देखने को मिल जाते हैं.
मवेशी मध्यम आकार के होते हैं
सिर सीधा, चेहरा पतला और माथा चौड़ा होता है. इसके साथ ही इनका कूबड़ आकार में छोटा और मध्यम में होता है. इसके अलावा थन का आकार मध्यम भी होता है. सींग का आकार, ऊपर और अंदर की ओर मुड़ा हुआ होता है.
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गायों का पालन
बेलाही नस्ल की गायें गुज्जर समुदाय द्वारा दूध और भार के लिए पाले जानी वाली दोहरी नस्ल है. प्रवास के दौरान इन मवेशियों को खुले में रखा जाता है. लेकिन सर्दियों में जब मवेशी प्रवास नहीं कर रहे होते हैं. तो ज्यादातर इन मवेशियों को चराने के लिए शेड में रखा जाता है. कुछ डेयरी द्वारा गायों को दूध निकालने के दौरान चारा खिलाया जाता है. इन मवेशियों को दो से तीन बैलों के साथ सैकड़ों मादाओं के झुंड में रखा जाता है. युवा बछड़ों को आमतौर पर खेती के लिए बेच दिया जाता है.
कुछ डेयरी द्वारा गायों को दूध निकालने के दौरान चारा खिलाया जाता है. इन मवेशियों को दो से तीन बैलों के साथ सैकड़ों मादाओं के झुंड में रखा जाता है. युवा बछड़ों को आमतौर पर खेती के लिए बेच दिया जाता है.
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