आधुनिक समय में पशुपालन का चलन काफी तेजी से आगे बढ़ रहा है. आप पशुपालन ने इतना अच्छा मुनाफ़ा कमा सकते हैं, जितना आप किसी अच्छी नौकरी से नहीं कमा पाएंगे. मगर पशुपालन से भी मुनाफ़ा कमाना आसान नहीं होता है, क्योंकि इसके लिए भी कई अहम बिंदुओं पर विशेष रूप से ध्यान देना जरूरी है. अगर आप गाय का पालन करते हैं, तो इसके लिए ज़रूरी है कि उनका आवास यानी गौशाला (Goshala)अधिक स्वच्छ और आरामदायक हो.
इससे पशुओं का स्वस्थ उचित बना रहता है, साथ ही अधिक दुग्ध देने में सक्षम रहते हैं. ध्यान रहे कि दुधारू पशुओं(Milch cattle) के लिए साफ सुथरी और हवादार आवास का निर्माण करना ज़रूरी है, क्योंकि इसके आभाव में पशु दुर्बल हो जाते हैं, साथ ही उन्हें कई रोग लगने लगते हैं. आइए आपको बताते हैं कि आप एक आदर्श गौशाला किस तरह बनाए.
गौशाला के लिए जगह का चुनाव (Choice of place for Goshala)
गौशाला (Goshala)वाली जगह समतल होनी चाहिए, साथ ही कुछ ऊंचाईपर बनाना चाहिए, ताकि बारिश का पानी,मल-मूत्र और नालियों का पानी आसानी से बाहर निकल जाए. अगर गौशाला की लंबाई उत्तर-दक्षिण दिशा में पूर्व व पश्चिम तक बनाएंगे, तो सूर्य की रोशनी खिड़कियों और दरवाजों द्वारा गौशाला में प्रवेश करेगी. इससे सर्दियों में ठंडी हवाओं से पशु सुरक्षित रहेंगे.
गौशाला में बिजली व पानी की सुविधा (Electricity and water facility in Goshala)
गौशाला (Goshala)में बिजली व पानी की उपलब्धता का विशेष ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि डेयरी के कार्यों के लिए पानी की पर्याप्त मात्रा होनी चाहिए. इसके साथ ही गौशाला (Goshala)में बिजली का होना ज़रूरी है, क्योंकि रात के समय रोशनी की जरूरत होती है, तो वहीं गर्मियों में पंखों की जरूरत होती है.
गौशाला में चारे, श्रम व विपणन की सुविधा(Fodder, labor and marketing facilities in the Goshala)
गौशाला (Goshala)में चारे की उपलब्धता का ध्यान रखना होता है, क्योंकि दुधारू पशुओं कोचारे के बिना का पालना असम्भव है. बता दें कि हरे चारे के लिए पर्याप्त मात्रा में सिंचित कृषि योग्य भूमि भी होनी चाहिए. इसके साथ ही पशुओं के कार्य के लिए श्रमिक की उपलब्धता भी होनी चाहिए, क्योंकि बिना श्रमिक के पड़े पैमाने पर पशुपालन का कार्य नहीं किया जा सकता है. इसके अलावा दुग्ध उत्पाद जैसे दूध,पनीर,खोया आदि के विपणन की सुविधा भी होना चाहिए.
गौशाला के प्रकार(Types of Goshala)
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बंद गौशाला
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खुली गौशाला
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अर्ध खुली गौशाला
बंद गौशाला (Closed Goshala)
इस विधि में पशुओं को बांध कर रखा जाता है और उसी जगह दाना-चारा भी दिया जाता है. इस तरह के आवास में कम जगह की ज़रूरत होती है. पशुओं को अलगखिलाना-पिलाना संभव होता है, साथ ही पशु की बिमारी का आसानी से पता भी लगाया जा सकता है.
खुला गौशाला (Open Goshala)
इस विधि में पशुओं को एक घिरी हुई चारदीवारों के अन्दर खुला छोड़ा जाता है. उनके खाने-पीने की व्यवस्था भी की जाती है. इस आवास को बनाने का खर्च अपेक्षकृत कम होता है. इसमें श्रम की बचत होती है, तो वहींपशुओं के लिए ज्यादा आरामदायक होते हैं.
आधी खुली गौशाला (Half open Goshala)
यह आवास बंद और पूर्ण आवासों की कमियों को दूर करता है. यह पशुपालकों के लिए अधिक उपयोगी होता है. इसमें पशु को खिलाने, दूध निकालने और इलाज करते समय बांध दिया जाता है औरबाकी समय में खुला छोड़ दिया जाता है.
गौशाला बनाते समय ध्यान रखनी बातें (Things to keep in mind while constructing a Goshala)
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गौशाला को सूखी और उचित तरीके से तैयार जमीन पर बनाया जाए, ताकि अगर बारिश हो, तो वहां पानी जमा न हो.
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शेड की दीवारें लगभग 5 से 2 मीटर ऊंची होनी चाहिए.
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दीवारों को नमी से सुरक्षित रखने के लिए उनपर अच्छी तरह पलस्तर कराएं.
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शेड की छत लगभग 3 से 4 मीटर ऊंची होनी चाहिए.
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शेड को पर्याप्त रूप से हवादार होना चाहिए.
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फर्श को पक्का, समतल और ढालुआ बनाना चाहिए.
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इसके साथ ही जल-निकासी की व्यवस्था होनी चाहिए.
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पशुओं के खड़े होने के स्थान के पीछे 25 मीटर चौड़ी पक्की नाली बनवाएं.
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हर पशु के खड़े होने के लिए 2 x 1.05 मीटर की जगह रखें.
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नांद के लिए लगभग05 मीटर की जगह होनी चाहिए. इसकी ऊंचाई लगभग 0.5 मीटर और गहराई 0.25 मीटर होनी चाहिए.
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