भारत जैसे विकासशील देशों में मिट्टी और फसलों में सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी आज अपवाद के बजाय एक नियम है। अधिकांश देशों में जस्ता और बोरोन के प्रभुत्व वाले बहु-सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी देखी जा रही है, जो फसल की उपज और गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहे हैं। जस्ता और लोहे जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी भी मानव स्वास्थ्य को प्रभावित कर रही है जिससे सूक्ष्म पोषक कुपोषण हो रहा है। कृषि जागरण ने इस मुद्दे पर फर्टिलाइजर एसोसिएशन ऑफ इंडिया के महानिदेशक सतीश चंद्र से बातचीत की।
मानव पोषण में लौह और जस्ता की भूमिका काफी स्पष्ट है, लेकिन मृदा स्वास्थ्य के मद्देनजर, आप संतुलित पौध पोषण में सूक्ष्म पोषक तत्व को कैसे देखते हैं?
फसल उत्पादकता में सुधार के लिए सूक्ष्म पोषक तत्वों के महत्व और आवश्यकता के बारे में किसानों की जागरूकता बहुत सीमित है। राज्य सरकारें और प्रमुख उर्वरक कंपनियां ज्ञान प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। शुरू से ही, एफएआई सूक्ष्म पोषक तत्वों सहित उर्वरकों के संतुलित उपयोग को बढ़ावा देता रहा है। इंटरनेशनल जिंक एसोसिएशन के साथ मिलकर फर्टिलाइजर एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने 'ग्लोबल माइक्रोन्यूट्रिएंट समिट' का आयोजन किया था, जिसका उद्देश्य आए हुए प्रतिनिधियों को जागरूक करना था।
आप सूक्ष्म पोषक तत्व के बारे में फसलों की आवश्यकताओं को कैसे देखते हैं?
फसलों की सूक्ष्म पोषक तत्वों की आवश्यकताएं कम मात्रा में होती हैं। परंतु इनकी कमी के कारण उत्पादकता पर विपरीत प्रभाव पड़ता है और सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी वाली मिट्टी मे उगाई गई फसलों में इन पोषक तत्वों का अभाव होने के कारण मानव शरीर को भी कुपोषण का शिकार बनाता है। मिट्टी की जांच के बाद सूक्ष्म तत्वों का उपयोग इनकी कमी की अवस्था में मिट्टी में डालकर या स्प्रे के माध्यम से अवश्य पूर्ति करनी चाहिए।
पिछले एक दशक में आप सूक्ष्म पोषक तत्वों की खपत में वृद्धि को किस नजरिए से देखते है और आने वाले 5 वर्षों में आपका इनकी खपत के विषय में क्या अनुमान हैं?
पिछले 10 वर्षों में विशेष रूप से सूक्ष्म पोषक तत्वों की खपत में अच्छी वृद्धि हुई है। हालांकि, खपत और आवश्यकता के बीच एक बड़ा अंतर है। वर्तमान में जिंक सल्फेट की वार्षिक खपत 180 हजार टन है जोकि मृदा की आवश्यकता से काफी कम है। सभी सूक्ष्म तत्वों को उपयोग में लाने की आवश्यकता है न कि सिर्फ 2 या 3 सूक्ष्म तत्वों के उपयोग तक सीमित रहना। सूक्ष्म पोषक तत्वों की आवश्यकता और वास्तविक उपयोग के बीच अंतर सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी की समस्या को और बढ़ाएगा।
एफएआई द्वारा की गई कोई पहल? सूक्ष्म पोषक तत्वों के महत्व और आवश्यकता को उजागर करने के लिए एफएआई के द्वारा कौन – कौन सी पहल की गई?
शुरू से ही एफएआई सूक्ष्म पोषक तत्वों सहित उर्वरकों के संतुलित उपयोग को बढ़ावा देता रहा है। एफएआई ने सूक्ष्म पोषक तत्वों के क्षेत्र में वैज्ञानिकों और उर्वरक उद्योग द्वारा किए गए उत्कृष्ट कार्यों को पहचानने के लिए दो वार्षिक पुरस्कारों की स्थापना की है। इसके वार्षिक प्रकाशन 'स्पेशल फर्टिलाइजर एंड माइक्रोन्यूट्रिएंट स्टैटिस्टिक्स' भी शुरू किया है। सूक्ष्म पोषक तत्वों पर यह विशेष मुद्दा एफएआई की एक और पहल है, जो फसल की पैदावार और मानव स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में सूक्ष्म पोषक तत्वों के महत्व और आवश्यकता को उजागर करता है।
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