'किसान'- ये नाम सुनते ही हमारे मस्तिष्क में धूल-मिट्टी से सना, चहरे पर झुरियां, धोती और गमछा डाले हुए और खेतो में काम कर रहे व्यक्ति की छवि बनती है। ऐसा कभी नहीं हुआ कि किसान का नाम सुनकर हमें किसी खुशहाल व्यक्ति की याद आए या हमें गर्व महसूस हो। ये बात और है कि गर्व होना चाहिए। परंतु जब यह सुनने में आता है कि देश के किसी किसान को राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया है तो वाकई सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है। आज हम एक ऐसे ही किसान से आपकी मुलाकात कराएंगे, जिन्हें भारत सरकार ने इस वर्ष पद्मश्री से सम्मानित किया गया है। ये मध्य प्रदेश से संबंध रखते हैं और इनका नाम है - बाबूलाल दहिया। पेश है कृषि जागरण के साथ हुई इनकी बातचीत के कुछ अंश ।
अपने बारे में क्या राय रखते हैं आप ?
उत्तर - ( हंसते हुए ) कुछ विशेष नहीं है. परंतु आपने पूछा है तो यही कहूंगा कि बचपन से इस 75 वर्ष की उम्र तक मैनें परंपरागत खेती की है. किसान का बच्चों को खेती सिखाई नहीं जाती, वह खुद ही लड़कपन से किसानी सीख लेते हैं. परंतु शिक्षा के बाद मेरा रुझान साहित्य की ओर हो गया. मैनें लोकगीतों, कहावतों, मुहावरों पर काम करना शुरु किया और काम करते करते मैनें पाया कि ये सब लोकसाहित्य कहीं न कहीं हमारे देसी अनाजों और परंपरागत अनाजों पर ही आश्रित है. इसलिए मैनें सोचा कि लोक साहित्य बचाने के लिए तो हम काम कर रहे हैं परंतु लोक अनाज जो विलुप्त हो रहे हैं, उन्हें बचाना भी ज़रुरी है और इसके बाद मैनें इन्हें बचाने की दिशा में काम किया.
किस फसल पर सबसे अधिक खतरा आपने महसूस किया ?
उत्तर - 'धान'- यह एक ऐसी फसल थी जिसपर मैनें सबसे अधिक खतरा महसूस किया. इसका कारण यह था कि अपने बचपन में मैनें धान की बहुत सारी प्रजातियां देखी थीं परंतु जब हरित क्रांति आई तो दो-चार बौनी किस्में आ गईं और जिससे देसी किस्में पूरी तरह समाप्त हो गईं. क्योंकि प्रकृति ने उनको वर्षाधारित खेती हेतु बनाया था. उनमें गुण भी अच्छे थे क्योंकि वह पानी बचाते थे, कम पानी में भी पक जाते थे लेकिन उनका उनका उत्पादन कम था इसलिए किसानों ने हरित क्रांति आने पर उनको छोड़ दिया और नईं-नईं किस्मों को अपना लिया. तो मैनें इस बात को महसूस किया और मैं दूरस्थ इलाकों में जाकर लोगों से पूछता कि आपके पास धान की कोई किस्में हैं. जिनके पास होती वह मुझे दे देते और मैं उनको हर साल छोटे-छोटे भू-खंडों में उगा देता. ऐसे होते-होते आज मेरे पास धान की 200 प्रजातियां हैं.
जलवायु परिवर्तन होने से कृषि जगत पर असर पड़ा है तो ऐसे में देसी अनाज कितनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे है ?
उत्तर - बीते कुछ वर्षों में जिस तरह जलवायु परिवर्तन हुआ है वह गंभीर है. परंतु यह देखा गया है कि देसी अनाज इस बदलती जलवायु में भी पानी बचाने में सक्षम हैं. क्योंकि प्रकृति ने इन्हें वर्षाधारित खेती के लिए बनाया है. यह कम वर्षा होने के बावजूद, मौसम के प्रतिकूल होने पर भी पक जाते हैं. जब हम कम पानी से सिंचाई करेंगे तो धरती का पानी बचेगा और ग्लोबल वार्मिंग भी रुकेगी. हम लोग 1-1 हज़ार फूट नीचे धरती का पानी निकाल रहे हैं जिससे पेड़ पौधे सूख जाते हैं और ग्लोबल वॉर्मिंग का खतरा बना रहता है.
देश के अधिकतर किसान आज भी वर्षाजल पर निर्भर हैं तो ऐसे में पानी की समस्या से किसान कैसे निजात पा सकता है ?
उत्तर - देखिए, सबसे पहले तो आप यह जान लें कि आप रहते कहां हैं. मतलब जैसे - दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा. यह सब ऐसे राज्य हैं जहां की नदियां हिमनद हैं. यानि इन राज्यों में जो पानी आएगा वो सिंधु नदी, गंगा और जमुना का आएगा. वर्षा हो न हो इन्हें फर्क नहीं पड़ेगा. हिम पिघलेगा और पानी आ जाएगा लेकिन जो दक्षिण भारत का क्षेत्र है, वो हिमनद नहीं है. ये सारी नदियां हिमपुत्री हैं परंतु मध्य प्रदेश की नदियां वनपुत्री हैं. उनके पानी का स्त्रोत जंगल हैं. अगर जंगल खत्म हो जाएंगे तो पानी भी नहीं बचेगा. इसलिए आज हमें ऐसे अनाजों की ज़रुरत है जो कम वर्षा में भी पक जाएं, ओस में पक जाएं और हमें धरती के नीचे से जल निकासी की ज़रुरत ही न पड़े. सरकारी आंकड़ों के अनुसार एक किलो धान उगाने में लगभग 3 हज़ार लीटर पानी लगता है. अगर वो वर्षा का पानी है तो वह जलस्तर बढ़ाएगा और अगर इतना पानी खींच कर निकाला जाए तो यह खतरे की घंटी है.
आपको भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया गया है, अब कितना बदलाव आप अपने जीवन में देखते हैं ?
उत्तर - (थोड़ा मुस्कुराते हुए ) देखिए सम्मान मिला है तो खुश होना स्वाभाविक है परंतु इससे जीवन में किसी प्रकार का कोई बदलाव नहीं आया है. मुझे एयरपोर्ट पर लेने भारत सरकार के लोग आए और मुझे होटल में कमरा दिया और कहा कि आपको 2 बजे राष्ट्रपति भवन चलना है परंतु जब मुझे पता चला कि यहां किसानों का कार्यक्रम हो रहा है तो मैं फौरन तैयार हो गया. क्योंकि मुझे होटल से बेहतर यहां किसानों के बीच आकर लग रहा है. अवार्ड मिलने से मैं खुश हूं लेकिन मैं काम करने में विश्वास रखता हूं.
English Summary: padamshree awardee farmer
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