एशिया की उभरती हुई समाज सेविका और स्व- निर्मित व्यवसायी सुश्री मालिनी सबा से कृषि जागरण ने बात की, जिन्होंने दक्षिण और दक्षिण- पूर्व एशिया, दक्षिण अमेरिका, अफ्रीका और अमेरिका में, सबा उद्योग 5,00,000 टन चावल का निर्यात कर रहा है. अब सबा इंडस्ट्रीज भारत और थाईलैंड के चावल क्षेत्र में 100 मिलियन डॉलर का निवेश करने वाली है. सुश्री डॉ सबा मालिनी से हुई बातचीत के पेश है कुछ प्रमुख अंश -
आप अपने कृषि व्यवसाय मॉडल पर कुछ प्रकाश डालें?
कृषि बहुत महत्वपूर्ण क्षेत्र है. यह क्षेत्र काफी हद तक प्रकृति पर निर्भर करता है, लेकिन यह वह युग है जहां हम अपने कौशल में निपुण होकर बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं. हम किसानों और वितरकों के साथ काम करते हैं. हम दृढ़ता से विश्वास करते हैं कि हम जिन किसानों के साथ काम करते हैं, उन्हें सशक्त बनाना जरूरी है. क्योंकि ये लोग ही पूरी दुनिया का पेट भरते हैं. हम किसानों को उनके उत्पादन और फसल के समय को बढ़ाने के लिए आधारभूत संरचना और टेक्नोलॉजी प्रदान करते हैं. जितना कम समय वे फसल की कटाई में लगाएंगे, उतनी ही जल्दी वे अपने उत्पाद बेच पाएंगे और अपनी अगली फसल में फिर से निवेश कर पाएंगे. इस तरह से फसल के उत्पादन में भी सुधार होगा. फसल की पैदावार में भी इजाफा होगा.
आपने इसके लिए भारत को क्यों चुना और आपको क्या लगता है कि इस क्षेत्र में मुख्य चुनौतियां क्या होंगी?
भारतीय अर्थव्यवस्था का सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्र कृषि है, क्योंकि भारत एक कृषि प्रधान देश है. भारत को ब्रेडबास्केट के तौर पर भी जाना जाता है. दुनिया भर में भारत दाल, चावल, गेहूं, मसाले और अन्य कृषि उत्पादों का सबसे बड़ा उत्पादक है. हमें लगता है कि भारत के कृषि क्षेत्र में निवेश करके प्रणाली को सुव्यवस्थित करने में मदद हो पाएगी. भारत में हमने यह पाया है कि असंख्य मिल होने के बावजूद वहां सूखाने की क्षमता काफी सीमित है. हमारी योजना है कि हम अच्छी परिचालन क्षमता वाले बड़े ड्रायर्स लाएं. हमारी योजना स्थानीय किसानों के साथ भागीदारी करके चावल का निर्यात करने की है. हमारे साथ काम करने से किसानों को फसल लगाने से लेकर काटने तक में मदद मिलेगी.
क्या आप दक्षिण- पूर्व एशियाई देशों में भारतीय किसानों के साथ भागीदारी करेंगे? आप किस तरह किसानों का सहयोग करेंगे?
हां, इस व्यवसाय को करने का एकमात्र तरीका है सीधे किसानों के साथ साझेदारी करना. हमारे पास कई तरीके हैं और यह विशेष रूप से राज्यों में किसान की जरूरतों पर निर्भर करेगा. हम हर क्षेत्र में सांस्कृतिक मानदंडों का सम्मान करते हैं और यह भी समझते हैं कि हमें उस परिधि में काम करने की आवश्यकता है. हम भारत में किसानों को मुफ्त कृषि उपकरणों और उर्वरकों के साथ समर्थन देने की योजना बना रहे हैं. हम एक ऐसे मॉडल पर काम करेंगे, जहां हम उनके चावल को खरीदेंगे और उसे स्थानीय मिलों में संसाधित करेंगे.
भारतीय किसानो के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ा है?
हमने कई लोगों की आजीविका को बेहतर बनाने में मदद की है क्योंकि उन्हें सीधे हमारे हाथ से पैसा मिलता है. हमने उन्हें यहां पर मदद करके उनके ऋण को कम करने में भी मदद की है. हम यह जानते हैं कि किसान का कर्ज क्या होता है और किस कारण से कर्ज हुआ है. हम तब या तो उन्हें अपने ऋणों का निपटान करने में मदद करते हैं और उन्हें अधिक प्रभावी तरीके से बेहतर फसल उपजाने में सक्षम बनाते हैं.
अपने भविष्य के दृष्टिकोण के बारे में बतायें ?
कृषि क्षेत्र में प्रौद्योगिकी को लाना सबसे जरूरी कदम है. मेरा मानना है कि प्रौद्योगिकी भविष्य के खेतों को प्रभावित करेगी और फसलों के उत्पादन के तरीकों को बदलेगी. इससे दक्षता में सुधार होगा, और उपज क्षमता में वृद्धि होगी. मेरा मानना है कि इससे कृषि, फसल उत्पादन में नई क्रांति आएगी. यदि आप पीछे देखते हैं कि खेती की तकनीकें बदल गई हैं. हमने इस उद्योग में बदलाव किया है और यह आने वाले वर्षों में बेहतर होता रहेगा.
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