1. Interviews

कृषि में और अधिक निवेश की जरुरत

कृषि पूरे विश्व में एक ऐसा क्षेत्र है जिस पर पूरी दुनिया में रहने वाले लोगों का जीवन निर्भर करता है क्योंकि कोई भी इन्सान बिना सोए रह सकता है लेकिन खाने के बिना नहीं रह सकता. इसलिए खेती हमारे लिए बहुत मायने रखती है। लगातार कृषि में बदलाव होते आए हैं। इन बदलावों के साथ होने वाले परिवर्तन और इनके आंकड़े रखना बहुत आवश्यक है। जिससे प्रत्येक वर्ष होने वाले कृषि लाभ और नुकसान का आसानी से आंकलन कर सटीक कदम उठाए जा सके और जरुरी योजनाओं को अमल में लाया जा सके। सरकार को सही आंकड़ें पेश करने का जिम्मा आईसीएआर के संस्थान राष्ट्रीय कृषि आर्थिकी एवं नीति अनुसन्धान संस्थान पर है।

इस संस्थान की जिम्मेदारी जाने-माने वैज्ञानिक डॉ. सुरेश पाल संभाल रहे हैं। उन्होंने कृषि जागरण से बातचीत के दौरान संस्थान के कार्यों पर चर्चा के साथ ही भारतीय कृषि के मौजूदा हालात पर भी चर्चा की। पेश हैं बातचीत के कुछ मुख्य अंश:

हम ग्रामीण हालातों के साथ शुरुआत करते हैं। यदि हम देखे तो गांवों में विकास की दर काफी तेजी से बढ़ी है लेकिन अभी भी कहीं न कहीं कृषि के क्षेत्र में कहीं बिजली सप्लाई की समस्या है तो कही कुछ और समस्या। गांवों में जैसे-जैसे सुधार होगा वैसे ही किसानों की आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी। आप जानते हैं इस समय दो तरीके से खेती हो रही है। पहले तो वो जो किसान गांवों में रहते हुए साधारण तरीके से खेती कर रहे है। दूसरे वो लोग हैं जो कि अपनी नौकरियां छोड़कर खेती कर रहे हैं।

कृषि क्षेत्र की और ज्यादा जानकारी पाने के लिए कृषि जागरण पत्रिका आज ही बुक करे...

इसके लिए ऐसे लोग जो कि पोल्ट्री, मछलीपालन, प्रोटेक्टेड कल्टीवेशन और पशुपालन आदि उच्च मूल्यवर्धन खेती करते हैं। जिससे उनको अधिक लाभ होता है। अब जबकि भारत में तेजी से जनसंख्या वृद्धि हुई है ऐसे में भारत का कृषि से कुल जीडीपी में सिर्फ 5 प्रतिशत की हिस्सेदारी है इसमें बढ़ोत्तरी जरुर होगी। इसके लिए सरकार भी स्मार्ट एग्रीकल्चर की ओर रुख कर रही है।

अब आप देखिए कृषि में आय वृद्धि धीरे-धीरे होती है जबकि अन्य दूसरे क्षेत्रों जैसे एफएमसीजी, सर्विस सेक्टर इनकी कोई लिमिट नहीं है जबकि कृषि की अपनी कुछ सीमाए हैं। कृषि को अधिक बढ़ावा देने और किसानों की आय में इजाफा करने के लिए इसमें और निवेश की जरुरत है। यदि इसमें निवेश बढे़गा तो सरप्लस बढे़गा जिससे कि इकॉनमी रेट भी बढ़ेगा। निवेश की इसमें इसलिए जरुरत है क्योंकि पहले की खेती में और अब खेती करने में बहुत अंतर है। इसमें तकनीक की भी अहम भूमिका है। पहले साधारण तरीकों से खेती होती थी अब माइक्रो इरीगेशन,  बायोपेस्टिसाइड, कृषि के आधुनिक यंत्रों का प्रचलन बढ़ रहा है। लेकिन ये सब ऐसी तकनीक हैं जिनमें निवेश करना जरुरी है, तभी यह किसानों तक सही मायनों में पहुंच पाएंगी। जिससे किसानों की आय में इजाफा होगा।

कृषि क्षेत्र की और ज्यादा जानकारी पाने के लिए कृषि जागरण पत्रिका आज ही बुक करे...

जहां तक कृषि उत्पादन की बात है तो हम उत्पादन और एक्सपोर्ट दोनों में अग्रणी हैं। यदि हम खाद्य तेल को छोड़ दे तो बाकी सभी फसलों में हमारा उत्पादन अच्छा रहा है। उत्पादन में इस बार भी काफी इजाफा हुआ है। पिछले कुछ सालों में हमने दाल का आयात जरुर किया है लेकिन अब हमारा दलहन उत्पादन भी बढ़ा है। आने वाले कुछ समय में इस स्थिति में काफी सुधार होंगे।

जैसा कि आप जानते हैं कि हम दूध, चावल, गेहूँ के साथ-साथ अन्य उत्पादों का भी बड़े पैमाने पर एक्सपोर्ट करते हैं। इस साल हमारा सबसे अधिक फसल उत्पादन हुआ है तो इसमें धीरे-धीरे वृद्धि होगी। सरकार ने किसानों को अधिक लाभ पहुंचाने के लिए एमएसपी भी पहले से ही लागू कर रखी है। इसी के साथ गन्ने पर एफआरपी के हिसाब से किसानों को मूल्य मिलता है।

यदि हम स्टोरेज की बात करें तो यह सही है कि हर साल स्टोरेज की वजह से फसल खराब हो जाती है। सरकार इसके लिए काम कर रही है। इसमें सरकारी और निजी स्टोरेज दोनों शामिल हैं। अपनी फसल को कम मूल्य पर स्टोरेज करने के प्रति किसानों को जागरूक किया जा रहा है। इसके लिए सरकार द्वारा किसानों को लोन सुविधा भी दी जा रही है। किसान अपने माल को स्टोरेज में रख सकते हैं जब उनको लगे कि अच्छा दाम मिलने वाला है तब उसको मार्किट में बेच दें।

कृषि क्षेत्र की और ज्यादा जानकारी पाने के लिए कृषि जागरण पत्रिका आज ही बुक करे...

हम जैविक खेती में भी अच्छा कर रहे हैं। देश में जैविक खेती की जरुरत है। इसके लिए सरकार ने सर्टिफिकेशन एजेंसियां भी बना रखी हैं जिससे कि किसान अपने जैविक उत्पाद को सर्टिफाइड करा सकता है। इसका किसान को अधिक लाभ मिलेगा। जहां तक जीएम (अनुवाशिकी परिवर्तित) बीजों का सवाल है तो हर एक चीज का एक प्रोसेस होता है। यदि इससे पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होता, यह वैज्ञानिक प्रमाणों पर खरा उतरता है तो इसमें कोई बुराई नहीं है। इसका भी एक सिस्टम है जिसमें वैज्ञानिक विभाग, योजना विभाग और निर्णय विभाग शामिल हैं।

इससे पहले भी हम जीएम कॉटन का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे हमें अच्छे रिजल्ट मिले हैं। हमें टिकाऊ खेती की जरुरत है। इसके लिए किसानों को पूरी तरह से जागरूक करने की आवश्यकता है जिससे किसान टिकाऊ खेती के लिए सही कृषि तरीकों का इस्तेमाल कर सके।

कृषि क्षेत्र की और ज्यादा जानकारी पाने के लिए कृषि जागरण पत्रिका आज ही बुक करे...

 

English Summary: Need more investment in agriculture: Dr. Suresh Pal

Share your comments

हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें. कृषि से संबंधित देशभर की सभी लेटेस्ट ख़बरें मेल पर पढ़ने के लिए हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें.

Subscribe Newsletters

Latest feeds

More News