एक बहुत मशहूर शायरी है कि “मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है.” हमारे ही समाज में अनेक बार हमे ऐसे उदाहरण देखने को मिल जाते हैं, जब संसाधनों के अभाव में भी कोई इंसान सफलता की ऊंचाई पर चले जाता है. सफलताओं की ऐसी ही एक कहानी राजकुमारी देवी से जुड़ी है, जिन्हें किसान चाची के नाम से भी जाना जाता है.
कोरोना काल में भी राजकुमारी देवी किस तरह अपने व्यापार को चलाकर अच्छा मुनाफा कमा रही है, ये जानने के लिए कृषि जागरण की टीम ने उनका साक्षत्कार किया. पेश है उनसे बातचीत के कुछ प्रमुख अंश-
सामान्य महिला से आज आप किसान चाची बन गई हैं, कैसा लगता है?
अपने आप में यह बात खास है कि लोग मेरे काम की इतनी इज्जत करते हैं. लेकिन किसी भी इज्जत को कमाने में उसके पीछे का संघर्ष होता है. मेरी कहानी भी कुछ वैसी ही है, आज जबकि मुझे किसान चाची के रूप में देश की लाखों महिलाएं अपना आदर्श मानती है, ऐसे में मेरी जिम्मेदारी भी पहले से कुछ अधिक बढ़ गई है.
अपने संघर्ष के दिनों के बारे में बताएं, शुरूआत में किस तरह की परेशानियां आई?
मेरा जन्म एक शिक्षक के घर में हुआ था, परिवार की महिलाएं व्यापार नहीं करती थी. इस परंपरा को तोड़ते हुए मैंने घर के पीछे की जमीन में फल और सब्जियों की खेती की, जिसके लिए विरोध भी सहना पड़ा. उस खेती से प्राप्त फल-सब्जियों से मैंने मुरब्बा और अचार बनाकर घर-घर बेचना शुरू किया. शुरू में लोगों ने मजाक बनाया लेकिन फिर धीरे-धीरे अप्रत्याशित परिवर्तन दिखने को मिलने लगा.
कुछ समय बाद आसपास की महिलाएं भी मेरे काम से जुड़ने लगी. मैंने तब साईकिल से घूम-घूमकर महिलाओं को प्रोत्साहित करना शुरू किया और आस-पड़ोस की गांवों की महिलाओं को भी खेती के गुर सिखाए.देखते ही देखते हमारे अचार-मुरब्बे प्रसिद्ध होने लगे और मुझे कई तरह के सम्मान मिलने लगे. प्रसिद्धि का दौर जारी था और फिर एक दिन मालुम हुआ कि मुझे किसान श्री सम्मान के लिए चुना गया है.
देश में लघु उद्योग क्यों सफल नहीं होते, क्या इसके लिए सरकार की नीतियां जिम्मेदार है?
निसंदेह आप सरकार की नीतियों पर सवाल उठा सकते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है कि लघु उद्योगों की असफलता का एक मात्र कारण सरकार ही है. हमारा समाज आज भी गुलामी की मानसिकता से ग्रसित है, उसे बाहर की देशों में बनने वाले उत्पाद पसंद आते हैं. विदेशी उत्पादों को खरीदना लोग अपनी शान समझते हैं. दूसरा बड़ा कारण है कि लोग व्यापार करने में डरते हैं, वो कम पैसों में नौकरी करने को तैयार हैं, लेकिन खुद का कोई काम शुरू करने में दस बार सोचते हैं. पैसों की समस्या और संसाधनों का अभाव भी बड़ा कारण है. आज सरकार कई तरह की योजनाएं चला रही है, लेकिन जानकारियों के अभाव में लोग उसका लाभ नहीं ले पा रहे.
लॉकडाउन ने आपके काम को किस तरह प्रभावित किया?
लॉकडाउन की मार से तो कोई नहीं बच पाया, मेरा काम भी उससे बहुत प्रभावित हुआ. लेकिन आज मैं भगवान की शुक्रगुजार हूं कि हमारे पास तकनीक का इतना बड़ा वरदान है. मुझे तो तकनीक का इतना ज्ञान नहीं, लेकिन परिवार के बाकि लोग और विशेषकर बच्चों ने मेरी बहुत सहायता की. सोशल मीडिया पर ग्रुप बनाकर, व्हाट्सएप के जरिए और इंटरनेट से मनी ट्रांसफर आदि के सहारे मेरा काम बिना रूकावट के चलता रहा.
महिलाओं को क्या संदेश देना चाहेंगी?
महिलाओं से यही कहना चाहूंगी कि अगर एक आदमी के कमाने से परिवार का भरण-पोषण नहीं हो रहा, तो आपको भी कमाना चाहिए. ईमानदारी के साथ कोई भी काम करने में शर्म की बात नहीं है. आपके कमाने से परिवार को आर्थिक बल मिलेगा, घर में दो पैसे आएंगें तो कई रूके हुए काम पूरे होंगें. अगर बाहर जाकर काम नहीं कर सकती, तो घर बैठे ही कोई काम करें. सिलाई-बिनाई, कढ़ाई, टिफिन सर्विस आदि ऐसे कई काम हैं, जो आप आराम से कर सकती हैं.
English Summary: krishi jagran team meet kissan chachi and know how to boost the business in lockdown period
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