जिस तरीके से हम दिनभर जहरीले उत्पाद हम खा रहे हैं यह हमारे शरीर को नुकसान पहुंचा रहा है. ऐसी जहरीली सब्जियां खाने से हमारा शरीर घटक बिमारियों का घर बनता जा रहा है. इससे सिर्फ मानव जाती को ही नही बल्कि जानवरों, पर्यावरण और जल को भी नुकसान पहुँच रहा है. इसका कारण है बिना पूरी जानकारी के अंधाधुंध कीटनाशकों का प्रयोग.
लेकिन जहां कीटनाशकों का अंधाधुंध इस्तेमाल हो रहा है वही दूसरी ओर जैविक खेती को भी बढ़ावा दिया जा रहा है. सरकार जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए हर तरीके से प्रयास कर रही है जैविक खेती को बढ़ावा देने में गाज़ियाबाद स्थित राष्ट्रीय जैविक खेती केंद्र बहुत ही अहम भूमिका निभा रहा है. यह संस्था के तरीके से काम कर रहा है. इसी के विषय में संस्थान के सहायक निदेशक जगत सिंह से बात की गई, पेश है बातचीत के कुछ मुख्य अंश.
प्रश्न : वेस्ट डीकम्पोजर बनाने की विधि क्या है एवं किसान इसका उपयोग क्यों करें ?
वेस्ट डीकम्पोजर खेती के लिए लाभदायक सूक्ष्मजीवों से तैयार कल्चर है जोकि राष्ट्रीय जैविक खेती केन्द्र, गाजियाबाद द्वारा तैयार किया गया है। जिसकी एक बोतल को 200 लीटर साफ पानी में दो किलो गुड़ डालकर उसमे एक शीशी वेस्ट डीकम्पोजर डालकर अच्छी तरह से घोल बनाएं। इस घोल को रोज डंडे से चलायें, 4-5 दिन में ड्रम में पानी का रंग हल्का सफेद या पीलापन लिए दिखने लगता है तथा गुड़ की चासनी जैसी महक आने पर यह तैयार हो जाता है।
प्रश्न : वेस्ट डीकम्पोजर का प्रयोग किन किन फसलों में करना चाहिए ?
वेस्ट डीकम्पोजर का प्रयोग सभी प्रकार की फसलें जैसे आनाज, दाल, तेल, सब्जी, फल, बागानों, फूलों तथा किचन गार्डनिंग आदि में किया जा सकता है।
प्रश्न : वेस्ट डीकम्पोजर इस्तेमाल करने की विधि क्या है ?
वेस्ट डीकम्पोजर का प्रयोग गोबर कूड़े कचरे, खेती के फसल अवशेषों को मात्र 30 से 40 दिन में ही खाद में बदल देता है। इसके अतिरिक्त ताजे घोल से बीजों को 15-20 मिनट तक घोल में डुबोने से बीजोपचार, 20-30% घोल के फसलों पर साप्ताहिक छिड़काव से फसल बढवार, कीट पतंगे तथा बिमारियों के प्रकोप को कम करने में सहायक है.
प्रश्न : क्या वेस्ट डीकम्पोजर का उपयोग सिर्फ फसल में किया जा सकता है या भूमि स्वास्थ्य में भी इसका उपयोग कर सकते है ?
इसके 200 से 500 लीटर प्रति एकड़ की दर से हर तरह सिचाई पर प्रयोग करने से भूमि सवस्थ, उपजाऊ, जैवांश कार्बन मे वृद्धि, उवरकों के बेहतर इस्तेमाल के साथ साथ नमकीन तथा समस्या ग्रस्त भूमी को जल्द सुधारने में पूर्ण सक्षम है।
प्रश्न : वेस्ट डीकम्पोजर के इस्तेमाल करने के बाद रासायनिक उर्वरकों का कितना कम प्रयोग करना पड़ेगा ?
वेस्ट डीकम्पोजर का लगातार प्रयोग करने से हर फसल में 30 से 40 % उर्वरको की आसानी से बचत की जा सकती है।
प्रश्न : क्या वेस्ट डीकम्पोजर से खेत का कार्बन कम हो जाता है?
वेस्ट डीकम्पोजर से खेत का जैवांश कार्बन कदापि कम नही होता। इसके प्रयोग से जैवांश कार्बन हमेशा बढ़ता ही है क्योंकि जब भी वेस्ट डीकम्पोजर का प्रयोग खेती में होगा तभी खेत में पड़े फसल अवशेषों को डीकम्पोज करके जैवांश कार्बन में परिवर्तित कर यह कार्बन भूमि की ताकत बनकर खेत में वेस्ट पड़े उर्वरकों को घुलनशील अवस्था में परिवर्तित कर फसलों की पैदावार बढ़ाने में कारगर साबित होगा।
किसान भाइयों इस तरह से पाएं ये प्रोडक्ट
वेस्ट डीकंपोजर राष्ट्रीय जैवि खेती केंद्र के सभी रीजनल सेंटर पर उपलब्ध है। यह गाजियाबाद, बंगलुरु, भुवनेश्वर, पंचकूला, इंम्फाल, जबलपुर, नागरपुर और पटना के रीजनल सेंटर से प्राप्त किया जा सकता है। बेहतर होगा पहले आप National Centre of Organic Farming पर फोन कर लें। अपने नजदीकी सेंटर से मंगाना ही ठीक रहेगा।
अगर गाजियाबाद के सेंटर से मंगाना है तो इसके लिए जितनी बोतल मंगानी है उसके पैसे मनी ऑर्डर के माध्यम से भेजने होंगे।
मनी ऑर्डर या पोस्टल ऑर्डर DIRECTOR, National Center of Organic Farming के नाम पर भेज सकते हैं।
पता है : Hapur Road, Near CBI Academy, Sector 19, Kamla Nehru Nagar, Ghaziabad, Uttar Pradesh 201002,
फोन : 0120 276 4906
English Summary: jagat singh
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