बदलते हुए समय के साथ भारत में भी संरक्षित खेती के प्रति किसानों का आकर्षण बढ़ रहा है. हालांकि अभी भी हमारे देश में बीजों को लेकर किसान जागरूक नहीं है. वो संरक्षित खेती करना तो चाहता है लेकिन बीजों की जानकारी के अभाव में ऐसा करने में असमर्थ है. नतीजा ये होता है कि अधिक लागत और कड़े परिश्रम के बाद भी उसे निराशा ही हाथ लगती है. इन्हीं बातों को ध्यान में रखतें हुए कृषि जागरण की टीम एन्ज़ा जाडेन(ENJA ZADEN) के रीजनल डायरेक्टर संजय बिष्ट से मिली. ये कंपनी संरक्षित खेती के लिए बीजों का उत्पादन करती है. संजय बिष्ट से मुलाकात कर हमने जाना कि भारत में संरक्षित खेती के लिए उनकी कंपनी किस तरह के बीजों पर काम कर रही है. पेश है उनसे बातचीत के कुछ प्रमुख अंश:
प्रश्न: आज के समय में कंपनी किस तरह के बीजों पर विशेष ध्यान दे रही है?
उत्तर: किसानों की जरूरतों को समझते हुए आज हम दो तरह के बीजों पर ध्यान दे रहे हैं. पहला है ओपन फील्ड और दूसरा है संरक्षित खेती. दोनों ही तरह की खेती भारत में की जाती है. भारत में आधुनिक तकनीक को उपयोग करते हुए हम भविष्य में टमाटर, खीरा, शिमला मिर्च, मिर्च आदि की खेती करने का लक्ष्य रखें हुए हैं. इस बात को आसानी से समझा जा सकता है कि किसानों को आज बेहतर संरक्षित खेती के बीजों की जरूरत है.
प्रश्न: क्या आम बीज और संरक्षित खेती के लिए बीजों में कोई ख़ास फर्क है?
उत्तर: हर खेती का अपना स्वरुप होता है. उसकी अपनी जरूरतें होती है. संरक्षित खेती करने के लिए बीजों का उत्पादन करने में पॉलिनेशन प्रक्रिया भिन्न होती है. उन्हें अलग तरह के वातावरण की जरूरत होती है. किसी भी खेती का आधार मौसम, मृदा बीज और पानी आदि है. दोनों ही तरह के बीजों में होने वाली वृद्धि की प्रक्रिया अलग है.
प्रश्न: किन किन राज्यों में आपके बीज उपलब्ध हैं?
उत्तर: 2015 की शुरआत से ही हमारा ये लक्ष्य रहा है कि हम भीड़ का हिस्सा न बनते हुए धीरे मगर प्रभावी रूप से आगे बढ़ेंगे. इस समय हम मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, तेलंगाना में हैं. इसके अलावा हम दक्षिण भारत में कर्नाटक और उत्तर में पंजाब, दिल्ली हरयाणा आदि राज्यों में हैं. पूर्वी भारत में हम बिहार, बंगाल आदि राज्यों को लेकर योजना बनाते हुए धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे हैं.
प्रश्न: क्या भारत में संरक्षित खेती के सुनहरे अवसर उपलब्ध हैं?
उत्तर: इस समय भारत में संरक्षित खेती में दो चीज़ें हो रही है.एक तरफ कई ग्रीन हाउस में खेती को किसान छोड़ रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ तेजी से नए ग्रीन हाउस आ रहे हैं. उदहारण के लिए अगर दस प्रतिशत पॉली हाउस खराब हो रहें है तो वहीं बीस से पच्चीस प्रतिशत हर साल नए भी शुरू हो रहे हैं. सबसे ख़ास बात ये है कि आज प्रगतिशील किसान संरक्षित खेती से ज्यादा मुनाफा कमा रहें हैं. संचार के इस युग का फायदा निसंदेह किसानों को भी हो रहा है, आज दुनिया भर की जानकारी उनके मोबाइल फ़ोन में उपलब्ध है. जिससे संरक्षित खेती के बारे में उन्हें सही जानकारी मिल रही है.
प्रश्न: क्या सभी राज्यों में बीजों के एक ही दाम है?
उत्तर: हम एक ही गुणवत्ता के बीज सभी राज्यों के लिए बनातें हैं. दाम भी सभी के लिए एक ही होता है. हालांकि लोकल डीलर्स अपने फायदें के लिए थोड़ा बहुत दामों में वृद्धि कर देते हैं. लेकिन ये वृद्धि विशेष तौर पर किसानों को प्रभावित नहीं करती है.
प्रश्न: किसानों के लिए क्या संदेश देना चाहेगें?
उत्तर: मैं किसानों को यही सन्देश देना चाहूंगा कि बीज खरीदतें समय किसान सिर्फ दाम ही न देखें बल्कि अन्य कारकों पर भी ध्यान दें. ये जरूरी नहीं की सस्ते बीज हमेशा लाभकारी ही हों. बीज ही पूरी खेती का आधार हैं. आधार को कमजोर कर उन्नत खेती की कल्पना नहीं की जा सकती. बीज खरीदतें समय सावधानी बरतें. बीज हमेशा उच्च गुणवत्ता के होने चाहिए. बीज के बारे में विक्रेताओं से, कंपनी से या दुकानदार से पूरी जानकारी लें. लेकिन इसके बाद भी फैसला सोच समझकर विवेक से लें.
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