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आत्मनिर्भर बनाने के लिए राज्य सरकार दे रही है मछली पालन पर 90 फीसद अनुदान

यह जमीनी हकीकत है कि मछली उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में बिहार अपना कदम आगे बढ़ा चुका है. अब बिहार में मांग और उत्पादन में 42 हजार टन का अंतर रह गया है. जो कुछ सालों में पूरा हो जाएगा. पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग ने इस अंतर को ख़त्म करने का लक्ष्य लेकर भी काम शुरू कर दिया है. गत वर्ष बिहार के 22 जिलों में सूखा पड़ने के बाद भी 2018 में 2017 की तुलना में तक़रीबन 14 हजार टन अधिक मछली का उत्पादन हुआ था. गत वर्ष राज्य में 6.01 लाख टन मछली का उत्पादन हुआ था, जबकि उसके पहले 5.87 लाख टन मछली का उत्पादन हुआ था. बिहार पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग ने चालू वित्तीय वर्ष 2019-20 में इस अंतर को समाप्त करने का टारगेट निर्धारित किया है. विभागीय अधिकारियों के मुताबिक, मछली खपत का राष्ट्रीय औसत 9 किलो प्रति व्यक्ति वार्षिक है, जबकि बिहार में इसकी उपलब्धता अभी प्रति व्यक्ति 7.7 किलो वार्षिक है. आइसीएमआर की सिफ़ारिश वार्षिक प्रति व्यक्ति 12 किलो खपत की है.

विवेक कुमार राय
विवेक कुमार राय

यह जमीनी हकीकत है कि मछली उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में बिहार अपना कदम आगे बढ़ा चुका है. अब बिहार में मांग और उत्पादन में 42 हजार टन का अंतर रह गया है.  जो कुछ सालों में पूरा हो जाएगा. पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग ने इस अंतर को ख़त्म करने का लक्ष्य लेकर भी काम शुरू कर दिया है. गत वर्ष बिहार के 22 जिलों में सूखा पड़ने के बाद भी 2018 में 2017 की तुलना में तक़रीबन 14 हजार टन अधिक मछली का उत्पादन हुआ था. गत वर्ष राज्य में 6.01 लाख टन मछली का उत्पादन हुआ था, जबकि उसके पहले 5.87 लाख टन मछली का उत्पादन हुआ था. बिहार पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग ने चालू वित्तीय वर्ष 2019-20 में इस अंतर को समाप्त करने का टारगेट निर्धारित किया है. विभागीय अधिकारियों के मुताबिक, मछली खपत का राष्ट्रीय औसत 9 किलो प्रति व्यक्ति वार्षिक है, जबकि बिहार में इसकी उपलब्धता अभी प्रति व्यक्ति 7.7 किलो वार्षिक है. आइसीएमआर की सिफ़ारिश वार्षिक प्रति व्यक्ति 12 किलो खपत की है.

अंतर को समाप्त करने की है योजना 

मछली खपत और उत्पादन  में पिछले कुछ सालों में अंतर आया है. लेकिन अब भी करीब 42 हजार टन की कमी है, वहीं मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार की ओर से चालू वित्तीय वर्ष में भरने का लक्ष्य रखा गया है. इसके लिए निजी मछली उत्पादकों को प्रोत्साहित करने की योजना है. इसी कड़ी में बिहार सरकार की ओर से राज्य के अनुसूचित जाति / जनजाति के मत्स्य पालकों  के लिए विशेष घटक योजना के अंतर्गत  नीचे दी गई योजनाओं को स्वीकृति दी गई है . इन योजनाओं का कार्यवन्यन निजी अथवा निबंधित पट्टे की जमीं पर किया जाएगा. योजना के सभी जरूरी चीज़ो में बैंक द्वारा ऋण तथा सरकार द्वारा 90 फीसदी अनुदान अनुमान्य है. यह योजना इस प्रकार है -

अनुसूचित जाति / जनजाति के लिए मत्स्य पालन हेतु विशेष घटक योजना

नर्सरी तालाब का निर्माण

अधिकतम 50 डिसमल तथा कमसे कम 8 डिसमल जलक्षेत्र  में नर्सरी तालाब का निर्माण किया जा सकता है.  जिसकी प्रति इकाई लागत 1. 51 लाख रूपये प्रति 50 डिसमल जलक्षेत्र तय की गई है. इसके लिए सरकार द्वारा 90 फीसदी अनुदान अनुमान्य होगा . इस योजना के लिए अग्रिम यानि पहले  ही एडवांस में  सरकार द्वारा अनुदान की सुविधा उपलब्ध है . इस योजना के लिए सरकार द्वारा निर्धारित लक्षित क्षेत्र -292 एकड़ रखा गया है.

ट्यूबवेल एवं पंपसेट की स्थापना पर अनुदान

50 हज़ार एवं 25 हज़ार रुपए की लागत वाले क्रमश: ट्यूबवेल और पंपसेट की प्रति इकाई के लिए सरकार की तरफ से  90 फीसदी अनुदान अनुमान्य होगा . ट्यूबेल एवं पंपसेट की को लगाने के लिए कम से कम 40 डिसमल जलक्षेत्र का तालाब  होना आवश्यक है. सरकार ने इस योजना के लिए 584 अदद का लक्ष्य निर्धारित किया है. इच्छुक मत्स्य कृषक अपना आवेदन संबंधित जिला मत्स्य कार्यालय में जमा कर सकते है. किसी प्रकार की कठिनाई अथवा जानकारी हेतु अपने जिला के मत्स्य पदाधिकारी  या -सह- मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी से संपर्क कर सकते है.

इस योजना के बारें में और अधिक जानकारी के लिए आप http://ahd.bih.nic.in/  पर जा सकते हैं.

English Summary: State Government is giving 90% subsidy on fisheries to make self-reliant Published on: 29 April 2019, 05:08 IST

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